Jharkhand News (पीयूष तिवारी, गढ़वा) : सरकार की ओर से किसानों की आय दुगनी करने के लिए जो प्रयास किये जा रहे हैं, उनमें से कई कृषि विभाग तक आकर रूक जा रही है. इसकी कड़ी में किसानों को परंपरागत खेती से मुक्त कर आधुनिक खेती की ओर अग्रसर करने के लिए कृषि विभाग को उपलब्ध करायी गयी मशीनें किसानों तक पहुंचने की बजाये कबाड़खाने की शोभा बनी हुई है.
किसानों के बीच वितरण के लिए सरकार की ओर से उपलब्ध करायी गयी लाखों रुपये की लागतवाली आधुनिक मशीनें कृषि गोदाम में लंबे समय से पड़े-पड़े जंग खा रही है. इसके अलावे फसल की उत्पादकता बढ़ाने में उपयोग आनेवाला डोलोमाईट, पोटाश, जिंक, बोरोन भी जैसे-तैसे फेंक दिये गये हैं. कीटनाशक के भी सैकड़ों डिब्बे वितरण के अभाव में एक्सपायर होकर बर्बाद हो गये हैं, लेकिन कृषि विभाग इसे कबाड़ रखने के उपयोग में आनेवाले गोदाम में फेंक कर भूल गया है.
कृषि विभाग कार्यालय के समीप एक पुराने व खंडहर से भवन में सभी कृषि यंत्र रखे गये हैं. यह भवन चारों तरफ झाड़ियों से घिरा हुआ है. इसमें आवारा पशु व विषैले जंतु जमे रहते हैं. हालत यह है कि कभी भी इसके जर्जर दरवाजे व खिड़कियों को तोड़कर कृषि यंत्रों को चोरी किया जा सकता है.
गंदगी इस कदर है कि वहां पैर रखने के लिए जगह नहीं है. बदबू से सांस लेने में भी परेशानी होती है, लेकिन हास्यास्पद स्थिति यह है कि विभाग के वरीय पदाधिकारियों को यह भी पता नहीं है कि ये कृषि यंत्र कब और किस योजना से प्राप्त हुए हैं. साथ ही इसका वितरण नहीं कर बर्बाद होने के लिए कौन जिम्मेवार है?
– धान की फसल से घास निकालने वाली मशीन कोनोविडर
– बीजोपचार के लिए सीड ट्रीटमेंट ड्राम
– सब्जी व फल उत्पादक किसानों के उपयोग वाले कैरेट
– बड़ी संख्या में कीटनाशक के डिब्बे
– डोलोमाईट, पोटाश, बोरोन व जिंक
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी लक्ष्मण उरांव ने बताया कि उनके यहां पदस्थापना के पूर्व में सभी कृषि यंत्र रखे हुए हैं. वो किस योजना के तहत और कितनी मात्रा में है उन्हें पता नहीं है. उन्होंने कहा कि वो यह पता लगायेंगे और किसानों को इस योजना का लाभ दिलाया जायेगा.
Posted By : Samir Ranjan.