Jharkhand News (पीयूष तिवारी, गढ़वा) : आजादी के पूर्व साल 1929 में स्थापित गढ़वा जिले का सबसे बड़ा गोविंद प्लस टू उच्च विद्यालय का खेल मैदान इस समय पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार होकर रह गया है. गोविंद उच्च विद्यालय के बच्चों के खेलने के लिए दान के रूप में दिये मैदान में इस समय सबकुछ होता है, सिर्फ खेल गतिविधि नहीं होती है, क्योंकि खेलने के लिए इस मैदान में जगह ही नहीं रह गया है.
इस मैदान में नगर परिषद के आदेश से एक बड़े हिस्से में सब्जी बाजार लग रहा है, जबकि दूसरे हिस्से में वाहनों का अवैध पार्किंग किया जाता है. इसके अलावे मैदान के किनारे बन रहे नगर भवन का भी इस खेल मैदान की भूमि में विस्तार कर दिया गया है. इसका परिणाम है कि इस मैदान खेल के लिए जगह नहीं रह गया है. इसके कारण इस मैदान में सुबह-शाम खेलनेवाले बच्चे खेल से वंचित होकर रह गये हैं.
गौरतलब है कि गोविंद उच्च विद्यालय का मैदान शहर के बीच में और राष्ट्रीय राजमार्ग-75 के किनारे अवस्थित है. इसके कारण खेल गतिविधि के लिए गोविंद उच्च विद्यालय के बच्चों के अलावे अन्य खिलाड़ियों के लिए भी काफी सुविधाजनक था. लेकिन, इसमें सब्जी बाजार, वाहनों की पार्किंग एवं नगर भवन का विस्तार हो जाने के कारण अब यह मैदान गोविंद उच्च विद्यालय के बच्चों के पहुंच से दूर होकर रह गया है.
यह गढ़वा शहर के बीच स्थित एक बड़ा खेल का मैदान है. इसे खेल गतिविधियों के संचालन के लिए ही तत्कालीन जमीनदार की ओर से विद्यालय की जमीन के साथ दान किया गया था. हाल के समय तक इसमें खेल गतिविधियां संचालित भी होती रही हैं, लेकिन पिछले तीन-चार सालों से इसका टैक्सी स्टैंड, सब्जी बाजार आदि के रूप में उपयोग किया जा रहा है. इस मुद्दे पर गोविंद उच्च विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य खिलाड़ियों के हित में कोई भी सामाजिक व राजनीतिक संगठन आवाज नहीं उठा रहा है. खेल को लेकर मंच से बड़ी-बड़ी बातें करनेवाले पदाधिकारियों की भी इसमें रूचि नहीं है.
साल 1929 में गोविंद उच्च विद्यालय की स्थापना के साथ ही इस खेल मैदान की जमीन (रकबा करीब 1.15 एकड़) को दान किया गया था. जमीनदार की ओर से दान में यह कहा गया था कि इस जमीन को गोविंद उच्च विद्यालय के बच्चों के शारीरिक व खेल गतिविधियों के लिए दिया जा रहा है. भविष्य में यदि इसका उपयोग दूसरे रूप से किया गया, तो यह जमीन जमीनदार को वापस कर देना होगा. इसको लेकर कुछ साल पूर्व एसडीओ के यहां जमीनदार के वंशजों की ओर से धारा 144 के तहत अन्य गतिविधियों को रोकने के लिए मामला भी दर्ज कराया गया था. इसके बाद कुछ समय के लिए मैदान खाली भी कराया गया था, लेकिन फिर से तीन-चार सालों से वही स्थिति बन गयी है.
गढ़वा शहर में खेल विभाग के पास अपना कोई मैदान नहीं है. शहर में कन्या मध्य विद्यालय, रामा साहू आर्यवैदिक उच्च विद्यालय एवं गोविंद उच्च विद्यालय का ही मैदान है. इसमें रामासाहू आर्यवैदिक उच्च विद्यालय का मैदान आउटसाइड में होने की वजह से खिलाड़ियों की वहां कम ही आवाजाही होती है. ऐसे में गोविंद उच्च विद्यालय के विद्यार्थी अब कहां खेल व शारीरिक गतिविधियों का संचालन करें, यह बड़ा सवाल उत्पन्न हो गया है.
Also Read: Jharkhand News : झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के आश्वासन पर JAC कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगितगोविंद प्लस टू के मैदान का उपयोग आजादी के काल से ही राजनीतिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता आ रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेताओं की भी सभाएं व रैलियां इस मैदान में हुई है. इस मैदान का उपयोग सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भी किया जाता है. साथ ही स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस में झंडोत्तोलन का सरकारी कार्यक्रम भी अब तक इसी मैदान में होता आया है. झंडोत्तोलन के साथ-साथ पैरेड व झांकियां भी यहां निकाली जाती रही है, लेकिन अब इन सभी के लिए जगह संकीर्ण हो गयी है. आगे से इनके लिए स्थल को बदलना पड़ेगा.
इस संबंध में जिला खेल पदाधिकारी तूफान कुमार पोद्दार ने कहा कि यह विद्यालय का मैदान है. इसलिए उनका हस्तक्षेप इसमें नहीं है. इसका उपयोग विद्यालय अपने स्तर से कर सकता है. जबकि, जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय पांडेय ने कहा कि खिलाड़ी खेलने के लिए दूसरे मैदान का उपयोग करे. हम सब्जी वाले को कहां सब्जी लगाने के लिए भेज दें.
Posted By: Samir Ranjan.