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गढ़वा में फिर हुआ तेंदुआ का हमला, मां के गोद में बैठी बच्ची को किया घायल, वन विभाग की हर तरकीब फेल

गढ़वा में एक बार फिर तेंदुआ का हमला हुआ है. इस बार रमकंडा में एक बच्ची पर हमला किया, लेकिन मां और ग्रामीणों के चिल्लाने से तेंदुआ भागने में सफल रहा. वहीं, बच्ची के शरीर पर गंभीर जख्म के निशान पड़े हैं. इधर, तेंदुआ को पकड़ने के लिए वन विभाग की हर तरकीब फेल नजर आ रही है.

Jharkhand News: वन विभाग की पकड़ से बाहर हो चुके आदमखोर तेंदुआ गढ़वा के भंडरिया, रंका और चिनिया में पशुधन और बच्चे को मारने के बाद 13वें दिन रमकंडा क्षेत्र में लौट गया. मंगलवार की देर शाम आदमखोर तेंदुआ ने मां की गोद में बैठकर घर जा रहे 10 वर्षीय बच्ची पर हमला कर दिया. इससे उक्त बच्ची घायल हो गयी. तेंदुआ के नाखून से बच्ची के शरीर पर गंभीर जख्म के निशान पड़ गये. हालांकि, मां की वजह से उस बच्ची की जान बच गयी.

तेंदुआ ने बच्ची पर किया हमला

जानकारी के अनुसार, मंगराही गांव के शिवताड निवासी तिलेश्वर सिंह की पत्नी बच्चे को लेकर मंगलवार को साप्ताहिक बाजार करने रमकंडा पहुंची थी. बाजार से वापस लौटने के दौरान गांव से बच्चे को गोद में लेकर अपने घर की ओर जा रही थी. इसी दौरान करीब सात बजे बस्ती में पहुंचे आदमखोर तेंदुआ ने बच्ची पर हमला कर दिया. चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीण लाठी-डंडा व टॉर्च लेकर निकले, लेकिन तब तक तेंदुआ भाग निकला. इस घटना के बाद मंगराही सहित रमकंडा क्षेत्र में दोबारा तेंदुआ के भय से लोग आशंकित हो गये.

ग्रामीणों में दहशत

मालमू हो कि भंडरिया के रोदो गांव में पांच वर्षीय बच्ची को मारने के बाद तेंदुआ ने दूसरे दिन रमकंडा के बिराजपुर गांव पहुंचकर शांति देवी नामक महिला पर हमला किया था. लेकिन, इस हमले में उसकी जान बच गयी थी. लेकिन, 13 दिनों बाद दोबारा तेंदुआ के आने से ग्रामीण भयभीत है. उन्हें आशंका है कि तेंदुआ से बचने के लिए लोग शाम ढलते ही घरों में दुबक जायेंगे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन खुले आसमान के नीचे और खुले हुये गौशाला (झाला) में बंधा रहता है. इसके पूर्व सोमवार की रात भंडरिया वन क्षेत्र के बिंदा गांव में तेंदुआ को ग्रामीणों ने देखा था.

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फेल हो रही वन विभाग की हर तरकीब

पिछले 13 दिनों से भंडरिया, रंका, चिनिया, रमकंडा के क्षेत्र में घूम रहे इस तेंदुए को पकड़ने में अभी तक वन विभाग नाकाम साबित हुआ है. पकड़ने की बात तो दूर, अभी तक वन विभाग के ट्रैपिंग कैमरे में तेंदुआ का चित्र भी नहीं आ सका है. वहीं ऑटोमेटिक पिंजड़ा में कैद से भी बाहर है. हर दिन तेंदुआ के संभावित हमले एवं आवागमन के मार्ग पर कैमरा और पिंजड़ा लगाया जा रहा है, लेकिन हर बार तेंदुआ पकड़ से बाहर ही रह रहा है.

तेंदुआ से डरे-सहमे हैं ग्रामीण

ग्रामीण कपिलदेव सिंह, नंदलाल सिंह, देवनाथ राम, निरंजन यादव सहित अन्य ग्रामीण को आशंका है कि इस क्षेत्र में तेंदुआ की संख्या अधिक है. क्योंकि एक ही दिन में तेंदुआ के हमले की घटनाएं एक स्थान पर नहीं, बल्कि अलग-अलग स्थान पर हो रही है. इधर, तेंदुआ के हमले से भंडरिया व रमकंडा की सीमा पर रहने वाले बड़गड़ व इससे जुड़े चांदो व रमकंडा की सीमा पर पलामू के रामगढ़ व नावाडीह क्षेत्र में रहनेवाले ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हो गया है. लोग शाम होते ही अपने घरों में दुबक जा रहे हैं. मनुष्यों के अलावा पशुओं को भी अब घर के अंदर बांधने की कोशिश शुरू हो गयी है.

रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, रमकंडा, गढ़वा.

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