Jharkhand news: झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी यानी जेएसएलपीएस ने गढ़वा जिला अंतर्गत रमकंडा प्रखंड की हरहे गांव में स्वीकृत दीदी बाड़ी योजनाओं में पोषण वाटिका तैयार करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बीज उपलब्ध नहीं कराया. ऐसे में महिलाओं ने खुद ही बीज की खरीदारी कर पोषण वाटिका तैयार कर लिया. वहीं, कुपोषण को मुक्त करने की सरकार की उद्देश्य को पूरा करने में अहम भूमिका निभायी. इस तरह का मामला मंगलवार को हरहे पंचायत में आयोजित मनरेगा की पंचायत स्तरीय जनसुनवाई में सामने आया है.
जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा से संचालित योजनाओं की सोशल ऑडिट की टीम ने यह गड़बड़ी पकड़ी है. पंचायत स्तरीय जनसुनवाई के दौरान सोशल ऑडिट की टीम ने बताया कि उक्त वित्तीय वर्ष में पंचायत के हरहे गांव में केवलपति देवी के अलावा राजकुमारी देवी, कीमती देवी और आरती देवी के खेत में दीदी बाड़ी योजना स्वीकृत हुआ. लेकिन, जांच के दौरान स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने टीम को बताया कि उन्हें जेएसएलपीएस की ओर से जब बीज उपलब्ध नहीं कराया गया, तो उन्हें खुद ही बाजार से बीज की खरीदारी कर पोषण वाटिका तैयार करना पड़ा.
इसके अलावे 23 योजनाओं में मजदूरी मद की प्राक्कलित राशि से 100-200 रुपये अधिक भुगतान किये जाने का मामला भी सामने आया है. इसी तरह पंचायत में मनरेगा से स्वीकृत 126 योजनाओं में सूचना बोर्ड नहीं होना पाया गया है. वहीं, 16 योजनाओं का अभिलेख अधूरा होना, 8 योजनाओं में मस्टर रोल नहीं होना, 5 योजनाओं में मापी पुस्तिका नहीं होने के साथ ही 101 अभिलेखों में तीन चरण की तस्वीर नहीं होने की बातें भी सामने आयी है.
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जनसुनवाई के दौरान जूरी ने विभिन्न मामलों में दोषी कर्मियों पर करीब 22 हजार रुपये जुर्माने के तौर रिकवरी किये जाने का निर्देश दिया. इस दौरान जूरी के रूप में बीडीसी सुरेंद्र राम, पंचायती राज के प्रखंड समन्वयक उत्तम कुमार, चंदन प्रसाद, सुदामा राम शामिल थे. वहीं, सोशल ऑडिट टीम के सदस्य सहित मुखिया श्रवण प्रसाद कमलापुरी, पंचायत सचिव नरेंद्र प्रसाद, राजेश कुमार, रोजगार सेवक उदय राम, जोसेफ फ्रांसिस, जितेंद्र कुमार त्यागी सहित अन्य लोग उपस्थित थे.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, रमकंडा, गढ़वा.