गढ़वा (पीयूष तिवारी) : सरकार ने कहा तो हमने दुकान बंद कर दिया, सरकार ने साढ़े तीन महीने बाद खोलने के लिये कहा, तो फिर खोल दी. सरकार के निर्देश का पालन हम लोगों ने किया, लेकिन अब सरकार को भी हमारी आर्थिक स्थिति का ख्याल रखना चाहिए. आखिर बंद अवधि का दुकान भाड़ा सरकार हमसे क्यों मांग रही है, जबकि हम सबने उन्हीं (सरकार) के आदेश का पालन किया. यह पीड़ा है उन दुकानदारों कि जो सरकारी दुकानों में किरायेदार हैं.
गढ़वा जिले में जिला परिषद, नगर परिषद के अलावा कृषि उत्पादन बाजार समिति आदि ने दुकान का निर्माण कर उसे बेरोजगारों को रोजगार के लिये उपलब्ध कराया है. कोरोना की वजह से 22 मार्च से लॉकडाउन में गढ़वा जिले की सभी दुकानें पूर्णत: बंद रखी गयी थीं. 30 जून तक यानी 101 दिन करीब साढ़े तीन महीने तक अधिकतर दुकानें बंद रहीं. अब लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जब जनजीवन सामान्य हो रहा है, तब किरायेदारों को किराया जमा करने का नोटिस भेजा जाने लगा है. इसमें बंद अवधि का किराया भी शामिल है.
नोटिस मिलने के बाद दुकानदारों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि आखिर वे बंद अवधि का किराया क्यों दें. दुकानदारों का आरोप है कि उन लोगों की पीड़ा को सरकार ने भूला दिया है. पहले दुकान बंद रखने के लिए सख्ती की गयी और अब किराया देने के लिए सख्ती की जा रही है. गढ़वा जिला में जिला परिषद की जमीन पर 317 दुकानों का निर्माण किया गया है. इनसे विभाग को करीब दो लाख रूपये प्रतिमाह की आमदनी होती है. जिला परिषद की जमीन पर गढ़वा थाना के सामने 142, डाकबंगला के पास 90 दुकानों के अलावा एक खादी ग्रामोद्योग है. इसके अलावा नगरउंटारी में 42, डंडई में 28 तथा रमना में 14 दुकानें अवस्थित हैं. यद्यपि इनमें से कुछ दुकानें किराया पर नहीं भी लग सकी हैं.
इसी तरह कृषि उत्पादन बाजार समिति गढ़वा की जमीन पर 198 दुकानें व गोदाम बनी हुयी है. इससे बाजार समिति को प्रतिमाह करीब छह से सात लाख रूपये की मासिक आमदनी होती है. नगर परिषद गढ़वा की ओर से 45 दुकानों का निर्माण कराया गया है. यह चौधराना बाजार व कांजी हाउस के पास स्थित है. इन दुकानों से नगर परिषद गढ़वा को 50 हजार रूपये की आमदनी होती है, लेकिन इनमें से कोई भी दुकानदारों को राहत देने के लिए तैयार नहीं है.
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इस संबंध में जिला परिषद के थाना के सामने स्थित दुकान पर टेलरिंग का काम करनेवाले औरंगजेब खान ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही चरमरा गयी है. अभी तक वे इससे उबर नहीं पाये हैं. वे रोज कमाते और रोज खानेवाले हैं. वे जिला प्रशासन व सरकार से आग्रह करते हैं कि उनसे लॉकडाउन अवधि का किराया नहीं लिया जाये.
जिला परिषद की दुकान में ही किरायेदार आलोक स्पोर्ट्स के प्रोपराइटर आलोक मिश्रा ने कहा कि सरकार के कहने पर ही उन लोगों ने दुकान बंद किया, इसलिए सरकार को उनका मार्च महीने से लेकर जून-जुलाई महीने तक का किराया माफ कर देना चाहिए. लॉकडाउन के बाद अभी तक उनके दुकान में बिक्री पहलेवाली स्थिति में नहीं पहुंच पायी है. उनके समक्ष एक माह का किराया देना भी मुश्किल हो रहा है.
कृषि उत्पादन बाजार समिति के सचिव राहुल कुमार ने कहा कि उनके यहां की दुकानें बंद नहीं थीं क्येांकि खाद्य पदार्थ आवश्यक वस्तुओं में शामिल है. इसलिये किराया माफ करने जैसी कोई बात नहीं है. उधर, नगर परिषद गढ़वा की उपाध्यक्ष मीरा पांडेय ने कहा कि किराया माफी का कोई प्रावधान नहीं है. लोग स्वेच्छा से किराया दे भी रहे हैं. उनके यहां बहुत ज्यादा किराया नहीं है, लेकिन वे इस समस्या को बोर्ड की बैठक में रखेंगे.
Posted By : Guru Swarup Mishra