बोधगया में बनी भगवान बुद्ध की 80 फीट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने 1989 में किया था. ये असमान छूती प्रतिमा बिहार का एक अहम पर्यटन स्थल भी है.
गया जिला में बना कोटेश्वरनाथ मंदिर 8 वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास बनाया गया था. यह आध्यात्मिक भगवान शिव का मंदिर मोरहर और दरगाह नदी के संगम पर स्थित है
महाबोधि मंदिर भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ा एक अहम् स्थान है. जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने जीवन का अमूल्य समय बिताया था. इस महाबोधि मंदिर की वनावट सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तूप के सामान है.
भगवान विष्णु को समर्पित विष्णुपद मंदिर में विशाल पद चिन्ह बने हुए हैं जो की गयासुर की ऊपर विष्णु जी के पैर रखने को दर्शातें हैं. इस मंदिर के आसपास कई और मंदिर भी बने हुए है जो की आप देख सकते हैं.
गया शहर के पास बना दुन्गेश्वरी गुफ़ा मंदिर में भगवान बद्ध ने ज्ञान प्राप्ति से पहले यहाँ कई साल बिताये थे. इस जगह को महाकाल की गुफा भी कहते है.
गया के माँ मंगला गौरी मंदिर की हिन्दू धर्म में काफी मान्यता है. यह मंदिर 18 महाशक्ति पीठ में से एक है. यहाँ सती की पोषण की देवी रूप में पूजा अर्चना की जाती है.
बोध गया में बना मुचालिंदा सरोवर का काफी पौराणिक महत्ब है. यहां सरोवर के बीचो बीच नाग की प्रतिमा से ढकी भगवान बद्ध की एक प्रतिमा है. कहते है भगवान बद्ध को तूफ़ान से नाग देवता मुचालिंदा ने बचाया था जिसको ये प्रतिमा रूपांतरित करती है.
गया में बना शाही भूटान मठ का नाम भूटान मठ इसीलिए पड़ा क्योंकि इसे भूटान के राजा ने बनवाया था. इस बौद्ध मठ के अन्दर दीवारों पर की गयी कलकृतियां देखने लायक है.
बोधगया में बना वट थाई एक बौद्ध मठ है, जिसकी बनावट थाई वास्तुकला के अनुरूप की गयी है. यहाँ पर थाईलैंड के लोगो के रुकने के लिए व्यस्था भी प्रदान की जाती है.