विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले की शुरुआत गयाजी में 29 सितंबर से हो रही है. इस दौरान देश विदेश से तीर्थयात्री अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष की प्राप्ति की कामना को लेकर पिंडदान, श्राद्ध कर्म व तर्पण का कर्मकांड करने यहां आते हैं. गयाजी में वर्तमान में 54 वेदी स्थल हैं, जहां यह कर्मकांड किए जाते हैं. इन वेदी स्थलों में आठ ऐसे सरोवर हैं, जिनका पौराणिक व धार्मिक महत्व है. साथ ही, गया से इनका रिश्ता युगों पुराना है. रवि आचार्य के अनुसार, ब्रह्म सरोवर, वैतरणी, उत्तर मानस सरोवर, सूर्यकुंड, रुक्मिणी सरोवर, ब्रह्म कुंड, राम कुंड व गोदावरी सरोवर, सभी ब्रह्मजी के द्वारा निर्मित हैं. इन सरोवरों पर पितृपक्ष मेले में पिंडदान व तर्पण के कर्मकांड का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है. आश्विन मास में अनंत चतुर्दशी से 17 दिनों तक आयोजित होने वाले पितृपक्ष मेले में अलग-अलग तिथियां में इन सरोवरों में पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड किया जाता है.
गोदावरी : यहां पिंडदान व तर्पण से तीर्थ का मिलता है फल
शहर के दक्षिणी क्षेत्र स्थित गोदावरी सरोवर है. 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के अनंत चतुर्दशी तिथि को जो पुनपुन नदी नहीं जा सकते, उनके लिए यहां पिंडदान व तर्पण का विधान है. गोदावरी में पिंडदान से तीर्थ करने के समान फल मिलता है. आज की तारीख में गोदावरी सरोवर की सीढ़ियों पर मोटे तह में काई जमी हुई है. प्रदूषण से इसका पानी हरे रंग का हो गया है.
ब्रह्मकुंड : यहां पिंडदान से पितरों को प्रेतयोनि से मिलती है मुक्ति
शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में ब्रह्मकुंड स्थित है. पितृपक्ष मेले की द्वितीया तिथि को यहां पिंडदान व तर्पण का विधान है. ब्रह्मकुंड पिंडदान से पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है. वर्तमान में इस सरोवर की सफाई ठीक नहीं है, जबकि ब्रह्मकुंड की सफाई व इसकी पानी की शुद्धता के लिए प्रशासनिक स्तर पर घोषणा की गयी है.
रामकुंड : यहां पिंडदान से पितरों को विष्णुलोक की होती है प्राप्ति
शहर के उत्तरी क्षेत्र में रामशिला पहाड़ के पास रामकुंड स्थित है. यहां पितृपक्ष मेले की द्वितीया तिथि को पिंडदान व तर्पण का विधान है. रामकुंड में पिंडदान व तर्पण करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को विष्णुलोक की प्राप्ति होती है. प्रशासनिक स्तर पर रामकुंड से गंदे पानी को निकाल कर साफ व शुद्ध पानी भरने की व्यवस्था शुरू की गयी है.
उत्तर मानस सरोवर : यहां पितरों को जन्म-मरण से मिल जाता है छुटकारा
शहर के मध्य क्षेत्र में फल्गु नदी के तट पर उत्तर मानस सरोवर स्थित है. 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले की द्वितीया तिथि को यहां भी पिंडदान व तर्पण का विधान बताया गया है. वायु पुराण में भी इस सरोवर की चर्चा है. यहां के पंडा भवानी पांडेय के अनुसार इस सरोवर में तर्पण करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को जन्म-मरण यानी जीवन चक्र से छुटकारा मिल जाता है. वर्तमान में इस सरोवर का पानी भी काफी प्रदूषित है. गंदगी के साथ-साथ सीढ़ियों पर भी काई जमी हुई है.
सूर्यकुंड : यहां पिंडदान व तर्पण करने से पितरों को सूर्य लोक की होती है प्राप्ति
विष्णुपद मंदिर के पास सूर्यकुंड (दक्षिण मानस) सरोवर स्थित है. 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के तीसरे दिन यहां कर्मकांड का विधान है. जानकारों के अनुसार सूर्यकुंड सरोवर में तर्पण करनेवाले तीर्थयात्रियों के पितरों को सूर्य लोक की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष मेले के मुख्य क्षेत्र में स्थित होने से यह सरोवर सालों भर साफ-सुथरा रहता है.
ब्रह्म सरोवर : यहां तर्पण करने से पितरों का होता है उद्धार
शहर के दक्षिणी क्षेत्र में ब्रह्म सरोवर स्थित है. पितृपक्ष मेले की चतुर्थी तिथि को यहां पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान बतलाया गया है. इस सरोवर में पिंडदान व तर्पण करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों का उद्धार होता है और उनको बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. करीब चार वर्ष पहले इस सरोवर का केंद्र सरकार की हृदय योजना से जीर्णोद्धार कराया गया है. वर्तमान में इस सरोवर की स्थिति शहर के अन्य सरोवरों से बेहतर है. इस योजना के तहत लोगों को आकर्षित करने के लिए यहां लाइट एंड साउंड के अत्याधुनिक सिस्टम लगाये गये हैं.
वैतरणी सरोवर : यहां गोदान से स्वर्ग के लिए खुल जाते हैं दरवाजे
शहर के दक्षिणी क्षेत्र में वैतरणी सरोवर स्थित है. 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले की चतुर्दशी तिथि को यहां कर्मकांड का विधान बतलाया गया है. वैतरणी सरोवर में गोदान व तर्पण करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को भवसागर की प्राप्ति होती है. उनके लिए स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं. हृदय योजना से इस सरोवर का भी जीर्णोद्धार कराया गया है. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण वर्तमान में यहां गंदगी की भरमार है.
रुक्मिणी सरोवर : यहां पिंडदान करने का फल अक्षयवट वेदी जैसा
शहर के दक्षिणी क्षेत्र स्थित अक्षयवट वेदी के पास रुक्मिणी सरोवर स्थित है. अक्षयवट वेदी पर भीड़ अधिक रहने से श्रद्धालु इस सरोवर में आकर पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण का कर्मकांड करते हैं. इस स्थल पर कर्मकांड करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को अक्षयवट वेदी पर कर्मकांड करने जैसे फल की प्राप्ति होती है, वह यहां भी मिलती है. वर्तमान में यह सरोवर पूरी तरह से स्वच्छ है.
गया से नीरज कुमार कुमार की रिपोर्ट.