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भारतीय सेना में अफसर बन 71 कैडेट्स देश सेवा के लिए समर्पित, गया ओटीए से सबसे अधिक यूपी के 20 कैडेट्स पास आउट

गया ओटीए में प्रशिक्षण पा रहे 82 कैडेट्स शनिवार को पास आउट हुए. इनमें 11 मित्र राष्ट्रों के कैडेट्स को छोड़ बाकी 71 सैन्य अधिकारी देश सेवा को समर्पित किये गये. पासआउट हुए सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट बन कर देश सेवा के लिए अलग-अलग जगहों पर भेजे जायेंगे.

गया ओटीए में शनिवार की सुबह 23वीं पासिंग आउट परेड व पिपिंग सेरेमनी के बाद प्री कमीशन प्रशिक्षण पा रहे 82 कैडेट्स पास आउट होकर सैन्य अधिकारी बन सेना की सेवा के प्रति वफादार, निष्ठा व ईमानदारी के साथ देश सेवा की शपथ ली. इनमें 11 मित्र राष्ट्रों के कैडेट्स को छोड़ बाकी 71 सैन्य अधिकारी देश सेवा को समर्पित किये गये. पासआउट हुए सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट बन कर देश सेवा के लिए अलग-अलग जगहों पर भेजे जायेंगे.

टेक्निकल इंट्री स्कीम (टीइएस)-41 में कुल 66 कैडेट्स पास आउट हुए, जिनमें 56 भारतीय सैन्य अधिकारी बने, जबकि 10 कैडेट्स मित्र राष्ट्रों में भूटान के पांच, श्रीलंका के तीन व म्यांमार के दो शामिल हैं. इसी तरह स्पेशल कमीशन अफसर (एससीओ)-450 में कुल 16 कैडेट्स पास आउट हुए, जिनमें एक नेपाल के छोड़ बाकी भारतीय सेना में अधिकारी बने. पासिंग आउट परेड व पिपिंग सेरेमनी के बाद बने सैन्य अधिकारियों में सबसे अधिक 20 उत्तर प्रदेश के, उत्तराखंड के आठ, बिहार व महाराष्ट्र के सात-सात, हरियाणा व केरल के चार-चार, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब के तीन-तीन, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान के दो-दो व असम, मणिपुर, तेलंगाना के एक-एक कैडेट्स सैन्य अधिकारी बने हैं.

कैडेट्स के माता-पिता को भी गौरव पदक से किया गया सम्मानित

मुख्य निरीक्षी अधिकारी दक्षिणी कमान के जनरल अफसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह ने कहा कि ओटीए गया में पासिंग आउट परेड में आकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है. एकेडमी एक-एक कैडेट को तराशती है, उसे एक अफसर बनाती है. इसके लिए माता-पिता भी कम संघर्ष व त्याग नहीं करते. इसलिए उनके लिए भी गौरव पदक समारोह का आयोजन कर गौरव पदक से सम्मानित किया जा रहा है. उनके बलिदान को भी नवाजा जाना चाहिए.

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अनुशासित व्यक्ति किसी भी चुनौती का कर सकता है सामना

दक्षिणी कमान के कमांडिंग-इन-चीफ ने कहा कि आज की तारीख में लड़ाई के नये तरीके अपनाये जा रहे हैं. नयी तरह की टेक्नोलॉजी है. अग्निवीर व कमीशन से बन रहे सेना के अफसर में अंतर पर उनका जवाब था कि अग्निवीर स्कीम में ट्रेनिंग चल रही है. यह काफी ट्रांसफॉरमेशनल स्कीम है. अग्निवीर का परफॉर्मेंस रेजिमेंटल सेंटर के अंदर काफी अच्छी रही है. पूरे समय में इंतजाम व स्टैंडर्ड अच्छे हैं. शुरुआत अच्छी रही है, तो हमें विश्वास है कि रेजिमेंट में जाकर सही तरीके से अंजाम भी करेंगे. थोड़े समय के लिए सेवा में चले जाते हैं, तो पूरी तरह ट्रेंड, मोटिवेटेड सोल्जर बन कर निकलेंगे. फौज के अंदर अनुशासन है. एक बार आदमी अनुशासित हो जाता है, तो फिर जीवन में कोई भी चुनौती आसान हो जाती है. वे सक्षम हो जाते हैं. यह सरकार की अच्छी पहल है.

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