बोधगया में स्थापित होनेवाले दी दलाईलामा सेंटर फॉर तिब्बत एंड इंडियन एनसिएंट विसडम की आधारशिला मंगलवार को बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने रखी. इस अवसर पर केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री किरण रिजिजू, बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सह राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी, सीएम के प्रतिनिधि के तौर पर कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत, इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिसर्च के अध्यक्ष बिनय सहस्त्रबुद्धे आदि मौजूद थे.
बोधगया के तीन स्थानों पर करीब 50 एकड़ भूखंड पर तैयार होनेवाले इस शैक्षणिक सेंटर के निर्माण पर 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दलाईलामा ट्रस्ट के माध्यम से तैयार होनेवाले सेंटर के लिए बिहार सरकार ने 99 साल की लीज पर 30 एकड़ नि:शुल्क जमीन उपलब्ध करायी है, जबकि केंद्र सरकार की ओर से 50 करोड़ रुपये का सहयोग दिया जायेगा.
अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध व शिक्षण संस्थान की स्थापना के उद्देश्य के संबंध में बताया गया कि यहां प्राचीन भारतीय सोच एवं बुद्धि की उन्नति के लिए शिक्षा अनुसंधान व अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. यह संस्थान दुनिया भर के लोगों को दलाईलामा के चार जीवन मूल्यों को पूर्णरूप से लागू करने का अवसर प्रदान करेगा.
धर्म से इतर प्रेम, दया व करुणा के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ ही विश्व की धार्मिक परंपराओं के बीच अंतर धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देगा. एक शांतिपूर्ण व सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने के लिए स्थानीय, क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय संघर्ष समाधान के लिए शांतिपूर्ण व अहिंसक साधनों की खोज करेगा.
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संस्थान मुख्य रूप से प्राचीन भारतीय दर्शन, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, द्वंद्वात्मक व 14वें दलाईलामा की चार प्रमुख जीवन प्रतिबद्धताओं पर आधारित होगा. इसमें प्रेम, करुणा, दया, क्षमा व सहिष्णुता जैसे बुनियादी मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना है. आधार शिला कार्यक्रम में दलाई लामा ने मौजूद श्रद्धालुओं को कहा कि मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ ही विश्व को हिंसक प्रवृत्ति से मुक्त कराने की दिशा में काम करें. यह सभी बोधिचित्त के अभ्यास से संभव है.