गया. कोरोना महामारी ने कई स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है. कई लोगों ने अपने सगे-संबंधी को खोया, तो किसी ने अपने रोजगार से हाथ धो दिया है. कई लोगों का बसा-बसाया रोजगार बंद कर हो गया है. नगर निगम को कॉमर्शियल टैक्स देना भी अब लोगों के लिए भारी पड़ रहा है. चार दर्जन से अधिक लोगों ने अपने रोजगार बंद होने के बाद कॉमर्शियल बिल्डिंग को रेसिडेंसियल बना दिया है.
खुद ही वहां रहने लगे हैं. लेकिन, निगम से टैक्स कॉमर्शियल से रेसिडेंसियल कराने के लिए आवेदन लेकर चक्कर काट रहे हैं. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, नगर निगम में चार दर्जन से अधिक आवेदन टैक्स परिवर्तन के लिए आ चुके हैं. सभी को यहां के कर्मचारी एक ही जवाब दे रहे हैं कि बोर्ड या स्टैंडिंग कमेटी ही इस मामले में कोई फैसला ले सकती है.
कॉमर्शियल व रेसिडेंसियल टैक्स में काफी अंतर
निगम में होल्डिंग टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी एक प्राइवेट एजेंसी को दे दी गयी है. प्राइवेट एजेंसी को टैक्स परिवर्तन करने का किसी तरह का अधिकार नहीं है. प्राइवेट एजेंसी की वसूली में निगम के आंतरिक स्रोत को सुदृढ़ बनाने में काफी सहायता मिल हरी है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, रेसिडेंसियल व कॉमर्शियल टैक्स में करीब 300 फीसदी का अंतर है. इसलिए लोग रोजगार बंद होने के बाद रेसिडेंसियल टैक्स कराने में किसी तरह की देरी नहीं करना चाहते हैं. लोगों को कहना है कि कोरोना के कारण रोजगार गया और ऊपर से टैक्स अधिक देना संभव नहीं है.
डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि जांच कर निकाल लिया जायेगा. सच है कि कोरोना महामारी के दौरान कई लोगों का बसा-बसाया रोजगार चौपट हो गया है. इसके कारण कई लोग बेरोजगार हो गये. निगम क्षेत्र में भी कई लोगों का रोजगार बंद हो गया है. पहले से कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स या फिर मकान को फिलहाल रेसिडेंसियल बना दिया गया है. निगम में इस तरह के चेंज के लिए आवेदन मिलने पर जांच कर उसमें सुधार किया जायेगा. जरूरत पड़ने पर इस मामले को बोर्ड व स्टैंडिंग कमेटी में रख कर सुधार किया जायेगा. किसी को परेशान होने नहीं दिया जायेगा.
Posted by: Radheshyam Kushwaha