राजदेव पांडेय , पटना: बिहार में पहला औद्योगिक गलियारा आकार लेने जा रहा है. बिहार से गुजर रहे अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे (इंडस्ट्रियल कॉरिडोर) में गया के डोभी क्षेत्र में करीब 1670 एकड़ जमीन के भू- अर्जन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. इस संदर्भ में हाल ही में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस औद्योगिक गलियारे के लिए 1158.27 एकड़ भूमि अर्जन की कार्रवाई में प्रभावित रैयतों को को अतिशीघ्र मुआवजा भुगतान के निर्देश जारी कर दिये हैं. उद्योग विभाग इस दिशा में अब काम शुरू करेगा.
इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में विभिन्न औद्योगिक सेक्टर को आवंटित करने रकबा तय कर दिया है. गलियारे में सबसे अधिक भूमि इंजीनियरिंग सेक्टर को दी जायेगी. गलियारा विकास पर खर्च के लिए प्रारंभिक बजट अनुदान 400 करोड़ का है. बिजली, पानी और दूसरी जरूरतों का ब्लू-प्रिंट तैयार है. उदाहरण के लिए डोभी में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए पहले फेज में यहां 68 एमवीए (मेगा वोल्ट एम्पीयर) और कुल 167 एमवीए बिजली की जरूरत होगी.
पहले फेज में 21.66 एमएलडी पानी की जरूरत होगी. पानी आपूर्ति के लिए यहां विभिन्न नदी स्रोतों का आकलन किया जा रहा है. डोभी इंडस्ट्रियल जोन के लिए भू अर्जित की जा रही जमीन में 1297.74 एकड़ जमीन सरकारी ओर 372.47 एकड़ जमीन निजी क्षेत्र की है. इसमें 30 किलोमीटर लंबाई की सड़कें बनायी जानी हैं.
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औद्योगिक सेक्टर- आवंटन के लिए प्रस्तावित रकबा (एकड़ में )
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इंजीनियरिंग सेक्टर- 245
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खाद्य प्रसंस्करण- 200
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टेक्सटाइल सेक्टर- 198
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फर्नीचर- 115
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हैंडलूम आदि- 63
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लॉजिस्टिक – 55
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इस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर- लुधियाना से कोलकाता तक 1893 किमी तक जाने वाले इस गलियारे में बिहार के कैमूर,रोहतास, औरंगाबाद और गया शामिल हैं. इसमें बिहार की हिस्सेदारी 239 किमी की होगी.
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इस्ट-वेस्ट कॉरिडोर – सिलचर-पोरबंदर तक 3300 किमी लंबे इस गलियारे में मुजफ्फरपुर, दरभंगा,सुपौल, पूर्णिया और किशगनंज शामिल हैं.
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साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कॉपोरेशन – एशियन डेवलमेंट बैंक इसे प्रमोट कर रहा है. बिहार से यह कॉरिडोर गुजरेगा,लेकिन अभी रूट तय नहीं है.
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औद्योगिक गलियारे अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे बने होते है. जैसे रेल/सड़क और वायु परिवहन नेटवर्क विशेष आर्थिक क्षेत्रों/औद्योगिक क्षेत्रों, लॉजिस्टिक पार्क आदि की सुविधाएं भी होती हैं.
कॉरीडोर में आने वाले उद्योगों को सरकार विशेष सुविधाएं देती है. रोजगार सृजन के लिहाज से कॉरीडोर बेहद उपयोगी साबित होते हैं. नेशनल कॉरीडोर में राज्य अपनी जरूरत के हिसाब से इंडस्ट्रीज सेक्टर तय करता है.