गया: शहर में घरेलू या आवारा पशुओं की मौत के बाद अब तक सड़क किनारे फेंक दिया जाता था या फिर खाली जगहों पर लोग दफना देते हैं. इससे प्रदूषण फैलता है. इस पर रोक लगाने के लिए नगर निगम की ओर से एनिमल क्रिमिएशन मशीनें लगायी जा रही हैं. यह प्लांट नैली स्थित कचरा प्लांट के एक कोने में है. निगम से मिली जानकारी के अनुसार, प्लांट को चलाने के लिए सीएनजी या फिर एलपीजी गैस की जरूरत होगी. एक जानवर के अंतिम संस्कार में एलपीजी का एक कॉमर्शियल सिलिंडर खर्च होगा. घरेलू जानवरों के अंतिम संस्कार के लिए मालिक से निगम कम से कम 2500 रुपये वसूल करेगा. हालांकि, लावारिस जानवरों के अंतिम संस्कार का खर्च नगर निगम को ही उठाना होगा. जानकारों का कहना है कि जानवरों के मरने के बाद गाड़ने या फिर खुले में फेंकने से प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता है. इससे मानव शरीर के साथ अन्य जीव-जंतुओं को भी हानि पहुंचाता है.
कुछ दिन पहले ही मीडिया में खबर सामने आयी थी कि एनिमल क्रिमिएशन मशीनें पुरानी लगायी जा रही है. इसके बाद निगम के अधिकारी ने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही थी. लेकिन, मशीन का काम पूरा होने के बाद भी मशीन व अन्य सामान की जांच करने में निगम से दिलचस्पी नहीं दिखायी गयी. आनेवाले दिनों अब मशीन चालू करने की ही नगर निगम की जल्दबाजी दिख रही है. स्थानीय लोगों ने कहा कि मशीन में एलपीजी या सीएनजी से जानवरों के अंतिम संस्कार होने पर आम लोग इतना पैसा नहीं दे सकेंगे.
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नगर निगम के सफाई व्यवस्था नोडल अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि एनिमल क्रिमिएशन मशीन चालू होने के बाद मरे हुए जानवरों से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी. जानवरों के अंतिम संस्कार के लिए मशीन लगाए जाने प्रक्रिया की स्वीकृति हर स्तर पर विचार-विमर्श के बाद दी गयी है. शहर के लोगों को स्वस्थ रखने के लिए यह प्लांट लगाना बेहद जरूरी है.
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