गया. कृषि सह पशुपालन व मत्स्य विभाग के सचिव डॉ एन सरवन कुमार गुरुवार को गया पहुंचे और गया संग्रहालय के सभाकक्ष में कृषि, पशुपालन, मत्स्य संसाधन व डेयरी विकास की समीक्षा की. साथ ही बाराचट्टी प्रखंड के जयगीर पंचायत के अंजनियाटांड गांव में लेमनग्रास की खेती का जायजा लिया. वहीं, बाराचट्टी की रोही पंचायत के शोभ गांव में मशरूम कलस्टर का निरीक्षण किया. इस दौरान गया के तिलकुट के लिए तिल की खेती को बढ़ावा देने के लिये योजना बनाने का निर्देश दिया. उन्होंने गया जिले में फसल विविधिकरण के साथ ही सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली टपक सिंचाई और स्प्रीकंलर सिंचाई लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की बात कहीं.
इधर, पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुए सचिव ने जिले के सभी 56 पशु चिकित्सालयों में दवाइयों की आपूर्ति ससमय करने का निर्देश दिया. साथ ही पशु टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान के लक्ष्य की पूर्ति करने की बात कही. सचिव ने टीकाकरण व इयर टैगिंग के कार्य में लगे व्यक्तियों को ससमय भुगतान करने का निर्देश दिया. इस दौरान जिला पशुपालन पदाधिकारी ने सचिव के सामने दवाइयों के लिए भंडारण की व्यवस्था करने की मांग रखी. कृषि विभाग की समीक्षा करते हुए सचिव ने कहा कि बिहान ऐप में डाटा सही से अपलोड करने के कारण फसल क्षति की भी सही जानकारी मिल रही है. सुखाड़ आदि की राहत के लिए किसानों को उचित तरीके से सहायता दी जा रहा है.
सचिव ने बाराचट्टी प्रखंड की जयगीर पंचायत के अंजनियाटांड गांव में मंजूद देवी के द्वारा 15 एकड़ से अधिक क्षेत्र की जा रही लेमनग्रास की खेती का निरीक्षण किया. बाराचट्टी के ही रोही पंचायत के शोभ गांव में मशरूम कलस्टर में रिंकू देवी व ममता देवी आदि के द्वारा किये जा रहे मशरूम उत्पादन को देखा व जानकारी ली. इस दौरान डीएम डॉ त्यागराजन ने संबंधित अधिकारियों को लेमनग्रास की खेती के लिए नये क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव देने का निर्देश दिया और मशरूम के विपणन को उचित दर पर सुनिश्चित कराने की बात कही.
सचिव ने भूमि संरक्षण विभाग के कार्यक्रमों को स्थानीय जलछाजन समिति के माध्यम से ही पूरा कराने का निर्देश दिया. सचिव ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन में बाहर की एजेंसियों व व्यक्तियों को इससे दूर रखें. उन्होंने कहा कि सरकार लगातार पराली जलाने वाले किसानों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई कर रही है. किसानों को यह समझाना होगा कि पराली को जलाने से ने सिर्फ पर्यावरण और उनके स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है अपितु उनकी मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है.