गया के गुरुआ थाना क्षेत्र की पलुहारा पंचायत के लकड़ाही गांव के सुखदेव यादव के 33 वर्षीय पुत्र अशोक कुमार की हत्या बुधवार की रात धारदार हथियार से अपराधियों ने कर दी. गुरुवार की सुबह तमरुआ के समीप उत्तर कोयल नहर के किनारे से स्थानीय पुलिस ने उसका शव बरामद किया. परिजनों ने बताया कि अशोक की शादी 29 मई को औरंगाबाद जिले के नौगढ़ के अकौना गांव में परमेश्वर की छोटी पुत्री रेवंती कुमारी के साथ हुई थी.
बुधवार की शाम वह कपड़े की खरीदारी कर घर लौटा था. इसी बीच उसके एक दोस्त ने फोन कर बुलाया. इसके बाद वह आधा घंटा में आने की बात बताकर घर से अपनी बाइक लेकर निकला था. लेकिन, देर रात तक वह घर नहीं लौटा, तो परिवार के लोग खोजबीन करने लगे. इसके बाद पूरी रात खोजबीन के बाद सुबह में जानकारी मिली कि उक्त युवक का शव तमरुआ नहर के किनारे है. इसकी सूचना स्थानीय लोगों ने गुरुआ थाने को दी. इस घटना की सूचना पाकर थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह, डीएसपी के रामदास समेत पुलिस की टीम आनन-फानन में घटनास्थल पर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी.
इस संबंध में थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस अपने स्तर से हर बिंदु पर बारीकी से जांच कर रही है. साथ ही फोन लोकेशन के आधार पर भी पुलिस काम कर रही है. इस दौरान गया के सिटी एसपी के साथ-साथ डॉग स्क्वाड भी घटनास्थल पर पहुंचकर पूरी जानकारी ली. इसके बाद जांच-पड़ताल में जुट गयी. इसके बाद पुलिस ने मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए मगध मेडिकल भेज दिया. इस घटना से लकड़ाही गांव में मातम छाया हुआ है. गांव में सभी जुबान से एक सवाल उठ रहे है कि आखिर इसकी हत्या किसने और क्यों की. युवक बिल्कुल सीधा साधा था. इधर मृतक के भाई धर्मेंद्र ने अज्ञात अपराधियों पर मामला दर्ज कराया है.
मरने वाला युवक गुरुआ विधायक विनय कुमार यादव का रिश्तेदार था. वह हमेशा सामाजिक कार्यों से जुड़ा रहता था. घटना की सूचना मिलते ही गुरुआ विधायक विनय कुमार यादव, विधायक प्रतिनिधि सुरेंद्र कुमार यादव, सत्येंद्र आदि घटनास्थल पर पहुंचे व घटना की जानकारी लेते हुए पुलिस प्रशासन से मांग की है कि यथाशीघ्र हत्याराें को पकड़ कर कठोर से कठोर सजा दी जाये, ताकि आने वाले समय में कोई ऐसी घटना का दुस्साहस न करे.
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इधर लकड़ाही गांव में मृतक के परिजनों का रो-रो कर हाल बुरा है. लोग कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि यह घटना कैसे हो गयी. दुल्हन भी ससुराल आने के बाद अभी मायके भी नहीं गयी थी. उसके ऊपर तो दुख का पहाड़ टूट गया. शादी की खुशी मातम में बदल गयी.