पीरटांड़ (गिरिडीह), भोला पाठक : गिरिडीह जिला अंतर्गत पीरटांड़ प्रखंड में डायरिया ने पांव पसारना शुरू कर दिया है. इसके बाद भी बेकटपुर, आसोरायडीह के सैकड़ों परिवारों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है. गांव के चापाकल खराब हैं. जलमीनार से जलापूर्ति नहीं होती है. खुखरा पंचायत के आसोरायडीह व बांध पंचायत के बेकटपुर गांव के बीच बहियार में एक प्राकृतिक डाड़ी है. उसी डाड़ी से लगभग सौ परिवारों की प्यास बुझ रही है. बेकटपुर गांव के सावड़ीटांड़ टोला में लगभग 40 परिवार रहते हैं. वहीं, आसोरायडीह, पुराणडीह एवं नावाडीह के आधे से अधिक लोग भी इसी डारड़ी का इस्तेमाल करते हैं.
खेतों के बीच है जलस्रोत
बेकटपुर का यह डाड़ी खेतों के बीच है. चारों तरफ से खेतों में गंदे पानी का बहाव होता है. हालांकि, गांव वालों ने डाड़ी को चारों से ओर मिट्टी से बांध दिया है, ताकि गंदा पानी डाड़ी में नहीं जा सके. लेकिन, जब मूसलाधार बारिश होती है तो गंदा पानी डाड़ी में घुस जाता है. बेकटपुर सावड़ीटांड़ में दो चापाकल हैं, लेकिन दोनों चापाकल खराब है. पुराणडीह में एक जलमीनार भी बना है, लेकिन इससे जलापूर्ति नहीं होती है. दूषित पानी का उपयोग डायरिया होने की आशंका बढ़ गयी है. बुधवार को मंदनाडीह में डायरिया से दो लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं एक दर्जन लोग इससे पीड़ित हैं. ऐसे में डाड़ी का पानी का उपयोग खतरे से भरा है.
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जामुन की लकड़ी को डाला गया है पानी में
बेकटपुर के इस डाड़ी में जामुन की लकड़ी को वर्षों पूर्व एक आकार देकर पानी में डाल दिया गया है, जिसके कारण उसी आकार में पानी दिखता है. लकड़ी के किनारे से पानी रिसता है. इस संबंध में बीडीओ मनोज कुमार मरांडी ने बताया कि सूचना नहीं थी. तत्काल संबंधित मुखिया व पंचायत सेवक से बात की जा रही है. बेकटपुर व आसपास के लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की पहल की जा रही है. इधर पेयजल व स्वच्छता विभाग के प्रखंड समन्वयक गिरीश कुमार बेकटपुर गांव पहुंचकर कार्रवाई में जुट गये हैं.
सीएचसी में चल रहा मंदनाडीह के डायरिया पीड़ितों का इलाज
हरलाडीह पंचायत के मंदनाडीह में बुधवार दो लोगों की मौत होने का मामला आया था. वहीं, दर्जन लोग पीड़ित हैं. सभी मरीजों का विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के प्रयास से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पीरटांड़ में इलाज चल रहा है. गांव में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया. खराब चापाकलों की मरम्मत की गयी है. गांव में ओआरएस पैकेट तथा पीड़ितों के बीच अनाज का वितरण किया गया है.
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क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण प्रदीप टुडू ने कहा कि पूर्व के समय से ही हमलोग यहां का पानी पीते आ रहे हैं. गर्मी के दिनों में भी इस डाड़ी से आसानी से पानी मिल जाता है. पानी की दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं, बाबूराम हांसदा का कहना है कि चापानल खराब है. पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं है. यही कारण है कि बरसात में भी हमलोग इसी पानी का उपयोग करते हैं. राजू हांसदा का कहना है कि डाड़ी का पानी पीने की आदत हमलोगों को लग गयी है. पानी का स्वाद अच्छा है. बरसात में पानी कभी- कभी गंदा रहता है, लेकिन कोई विकल्प भी नहीं है. जबकि बड़की देवी का कहना है कि यह एकमात्र दाड़ी है, जिससे सैकड़ों परिवार की प्यास बुझती है. चापाकल हो या जलमीनार, यह तो केवल देखने के लिए है. इससे पानी नहीं मिलता है.