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झारखंड : दोपहिया वाहनों के इंश्योरेंस पर दौड़ रही बड़ी गाड़ियां, बीमा में फर्जी करने वालों का सिंडिकेट सक्रिय

देश भर में बीजा में फर्जी करने वालों का सिंडिकेट सक्रिय है. बिचौलियों के साथ-साथ वाहन मालिक, बीमा कंपनी और परिवहन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा होता है. गिरिडीह के बराकर नदी के पुल में हुई बस दुर्घटना मामले में बीमा फर्जीवाड़ा की पड़ताल में लगातार चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं.

गिरिडीह, राकेश सिन्हा : डुमरी-गिरिडीह मार्ग पर बराकर नदी के पुल में हुई बस दुर्घटना मामले में बीमा फर्जीवाड़ा की पड़ताल में लगातार चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं. शुरुआती दौर में झारखंड, बिहार और बंगाल की कई भारी वाहनों का परिचालन दोपहिया वाहन की बीमा पर किये जाने की बात सामने आयी, लेकिन जांच-पड़ताल के बाद अब इसका दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जांच में पाया है कि दोपहिया वाहन की बीमा पर कई भारी वाहन देश के विभिन्न राज्यों में चल रहे हैं. गिरिडीह से हुए खुलासे के बाद बीमा कंपनियों के भी कान खड़े हो गये हैं. कंपनियों के उच्च अधिकारियों ने अपने स्तर से जांच-पड़ताल भी शुरू कर दी है. कई कंपनियों ने अपने आइटी सेल को इसी मामले की जांच के लिए सक्रिय कर दिया है और आइटी सेल के विशेषज्ञों ने यह खंगालना शुरू कर दिया है कि फर्जीवाड़े के इस खेल में किस पोर्टल और किस आइपी एड्रेस का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही इस पूरे खेल में उनके कर्मियों की कितनी और कैसी भूमिका है.

फर्जीवाड़ा में कई बीमा कंपनियां शामिल

जानकार लोगों की मानें तो इस पूरे खेल में बिचौलियों के साथ-साथ वाहन मालिकों, बीमा कंपनियों और परिवहन विभाग के कर्मियों की भी मिलीभगत है. दूसरी ओर, इस बात का भी खुलासा हुआ है कि यह फर्जीवाड़ा कई बीमा कंपनियों के ऑनलाइन सिस्टम से किया गया है. इंश्योरेंस इंफोर्मेशन ब्यूरो (आईआईबी) की वेबसाइट से यह खुलासा हुआ है कि इस फर्जीवाड़ा में द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, एचडीएफसी जेनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, एको जेनरल इंश्योरेंस लिमिटेड, इको-टोक्यो इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, बजाज एलियांज जेनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, चोला मंडलम एमएस जेनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड समेत कई कंपनियों के पोर्टल का इस्तेमाल किया गया है. जानकारों की मानें, तो बिना बीमा कंपनियों के सर्वर से ऑनलाइन किये परिवहन विभाग की वेबसाइट पर इंश्योरेंस सर्टिफिकेट अपलोड नहीं हो सकता है.

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इंश्योरेंस सर्टिफिकेट देखना जरूरी

गौरतलब बात तो यह है कि किसी भी बीमा कंपनी को किसी भी वाहन का इंश्योरेंस करने के पूर्व उसके पूर्व के इंश्योरेंस सर्टिफिकेट को देखना जरूरी होता है. यदि इंश्योरेंस फेल है तो ऐसी स्थिति में वाहन का भौतिक सत्यापन कर ही इंश्योरेंस सर्टिफिकेट जारी करने का प्रावधान है. साथ ही वाहन का आरसी पेपर भी प्रस्तुत करना होता है. लेकिन, इन प्रावधानों की अनदेखी कर बीमा कंपनियों द्वारा सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया. सूत्रों की मानें, तो द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को जांच के क्रम में यह भी जानकारी मिली है कि लगभग ढाई सौ से ज्यादा दोपहिया वाहनों के इंश्योरेंस सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से जारी किये गये हैं. इतनी बड़ी संख्या में एक ही लॉग इन से ये सभी सर्टिफिकेट जारी हुए हैं जो पंकज कुमार के नाम से है.

2018 से चल रहा फर्जीवाड़ा का खेल 

बीमा कंपनी से जुड़े एक सूत्र की मानें तो यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2018 से चल रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए 20 जुलाई, 2018 को एक आदेश जारी कर स्पष्ट किया था कि वाहन डाटाबेस में इंश्योरेंस की जानकारी को भी अपडेट करना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश के आलोक में आइआरडीए ने सख्ती बरती और वर्ष 2018 से परिवहन विभाग के पोर्टल से बीमा सर्टिफिकेट को लिंक कर दिया गया. उसी समय से बिचौलियों ने भी फर्जीवाड़ा का यह खेल शुरू कर दिया.

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प्रीमियम की राशि बचाने के लिए किया जाता है फर्जीवाड़ा 

बीमा कंपनी के सूत्रों की मानें, तो यह फर्जीवाड़ा प्रीमियम की राशि बचाने के लिए की गयी है. स्कूटर के प्रीमियम पर भारी वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर पर इंश्योरेंस सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है. बताया जाता है कि स्कूटर का इंश्योरेंस में 600 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक प्रीमियम जमा करना पड़ता है. जबकि भारी वाहनों के इंश्योरेंस के लिए 60 हजार रुपये से लेकर 90 हजार रुपये तक का प्रीमियम देना पड़ता है. इस मोटी रकम को बचाने के लिए भारी वाहनों के संचालक भी इस फर्जीवाड़ा में शामिल हो गये हैं. सूत्रों ने बताया कि फर्जीवाड़ा करने वाला सिंडिकेट मात्र पांच हजार रुपये में फर्जी इंश्योरेंस सर्टिफिकेट जारी करवा देता है.

फर्जीवाड़ा में कई लोग शामिल

वैसे तो इस पूरे फर्जीवाड़े में कई बिचौलियें शामिल है, लेकिन जानकार लोगों का कहना है कि बीमा कंपनी, परिवहन विभाग और भारी वाहनों के संचालक की संलिप्तता के बिना यह फर्जीवाड़ा संभव नहीं है. जानकार लोगों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारत सरकार के परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्रालय ने प्रावधान किया था कि बीमा कंपनी नया व नवीकरण किये गये इंश्योरेंस सर्टिफिकेट को ऑनलाइन करेगा और डेली बेसिस पर पूरा डाटा एम परिवहन और ई चलान एप्प पर डाटा रिफलेक्ट करेगा. ऐसे में एम परिवहन की वेबसाइट पर इंश्योरेंस सर्टिफिकेट का जो लिंक है, वह बीमा कंपनी के द्वारा अपलोड किया गया है. गौरतलब बात तो यह है कि इसी लिंक को देखकर ही परिवहन विभाग को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करना था और रोड टैक्स समेत अन्य प्रक्रिया पूरी करनी थी. इतने बड़े पैमाने पर किये गये इस फर्जीवाड़े पर परिवहन विभाग के अधिकारियों की नजर न पड़ना, उन्हें संदेह के घेरे में खड़ा करता है. इसके अलावा भारी वाहनों के संचालकों को भी इंश्योरेंस सर्टिफिकेट दिये जाते हैं जिसे वाहन में रखना जरूरी होता है. जगह-जगह पुलिस या परिवहन विभाग की जांच में इंश्योरेंस सर्टिफिकेट भी वाहन संचालक को दिखाना होता है.

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चार्टर्ड एकाउंटेंट के पोर्टल से हुआ था दुर्घटनाग्रस्त बस का बीमा

गत पांच अगस्त को गिरिडीह-डुमरी मार्ग पर स्थित बराकर नदी पुल में हुए हादसे में जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, उसकी बीमा द इंस्टीच्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के पोर्टल से हुई थी. इस पोर्टल के माध्यम से ही द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने इंश्योरेंस सर्टिफिकेट जारी किया था. बताया जाता है कि इंश्योरेंस कंपनियां चार्टर्ड एकाउंटेंट को भी वाहन के इंश्योरेंस के लिए पोर्टल उपलब्ध कराती है. दुर्घटनाग्रस्त बस के लिए जिस चार्टर्ड एकाउंटेंट का पोर्टल इस्तेमाल किया गया है, वह काव्या अरोरा के नाम से है जिसका पेन नंबर इवाइएक्सपीके7213एन है. अब द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी इस बात की जांच में जुट गयी है कि इस पोर्टल का इस्तेमाल कैसे किया गया है. इसमें किसी सीए की संलिप्तता है या यह साइबर क्राइम का मामला है. बता दें कि दुर्घटनाग्रस्त बस नंबर जेएच07एच-2906 जिसका पॉलिसी नंबर 11300031230104001524 है, जांच के बाद फर्जी पाया गया है. जब बस के इंश्योरेंस सर्टिफिकेट की पड़ताल की गयी तो वह स्कूटर का निकला. गौरतलब बात तो यह है कि बस के संचालक का नाम राजू खान है जो गिरिडीह का निवासी है. लेकिन जो इंश्योरेंस सर्टिफिकेट उक्त वाहन नंबर पर जारी किया गया है, उसमें वाहन मालिक का नाम पंकज कुमार बताया गया है. सर्टिफिकेट में पंकज कुमार का एड्रेस बिहार के पटना के शिकारपुर बताया गया है. आइआइबी की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार उक्त बस का परिचालन पिछले तीन वित्तीय वर्ष से स्कूटर के ही इंश्योरेंस सर्टिफिकेट के आधार पर किया जा रहा था. वर्ष 2021-22 और 2022-23 में एको जेनरल इंश्योरेंस लिमिटेड ने यह फर्जी सर्टिफिकेट जारी किया था. जबकि वर्ष 2023-24 में द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने सर्टिफिकेट जारी किया है.

मुख्यालय को दी गयी है जानकारी : डीजीएम

द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के डीजीएम और बिहार-झारखंड के सीआरएम हुकुमचंद मीणा ने दूरभाष पर बताया कि पूरे मामले से मुंबई स्थित मुख्यालय को अवगत करा दिया गया है. मामले की जांच आइटी सेल कर रही है. फिलहाल इस मामले में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. इधर जिला स्तर पर गठित जांच कमेटी ने भी दुर्घटना के हर पहलुओं के साथ-साथ बस के इंश्योरेंस पॉलिसी की भी जांच शुरू कर दी है. सूत्रों की मानें, तो पुलिस के स्तर से रांची के तकनीकी विशेषज्ञों से भी सहयोग लिया जा रहा है.

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जांच जारी है, शीघ्र होगा खुलासा : एसडीओ

दुर्घटनाग्रस्त बस के मामले में डीसी द्वारा गठित जांच कमेटी ने स्पष्ट किया है कि मामले की बारीकी से जांच की जा रही है. जांच कमेटी के अध्यक्ष सह एसडीओ विशालदीप खलको ने बताया कि चालक से बयान लिया जायेगा और कई तरह के दस्तावेज इंश्योरेंस कंपनी ने कमेटी को सौंपा है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही मामले का खुलासा हो जायेगा.

बराकर नदी में गिरी थी बस

मालूम हो कि रांची से गिरिडीह आ रही आलीशान नामक बस शनिवार पांच अगस्त, 2023 को दुर्घटनासग्रस्त हुई थी. बस गिरिडीह-डुमकरी मुख्य मार्ग स्थित पीरटांड के पस अनियंत्रित होकर बराकर नदी में गिर गयी थी. इस हादसे में चार लोगों की मौत और 23 यात्री से अधिक घायल हुए थे.

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केंद्रीय मंत्री समेत कई लोग मौके पर पहुंचे थे.

इस हादसे के बाद बाबाधाम से लौट रहे श्रद्धालु और बराकर नदी के आसपास रहने वाले लोगों ने कई लोगों की जान बचायी. हादसे की जानकारी मिलते ही बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सह पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के अलावा केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, मंत्री हफीजुल हसनख्वि धायक सुदिव्य कुमार सोनू, डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी दीपक शर्मा समेत कई अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे.

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