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भेलवाघाटी नरसंहार : गिरिडीह के इस गांव के लोग 18 साल बाद भी नहीं भूले नक्सलियों का खूनी खेल

माओवादियों ने 11 सितंबर 2005 की देर शाम पूरे भेलवाघाटी गांव को घेर लिया और गांव के घरों की कुंडी बंद कर दी. इसके बाद ग्राम रक्षा दल के सदस्यों ने एक-एक कर घर से बाहर निकालकर गांव के बीच चौराहे पर जन अदालत लगायी. जन अदालत में ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को मौत की सजा देने का फरमान जारी किया.

देवरी (गिरिडीह), श्रवण कुमार. भेलवाघाटी नरसंहार के 18 साल बीतने के बाद भी ग्रामीण नक्सलियों का खूनी खेल नहीं भूले हैं. 11 सितंबर 2005 की काली रात में भाकपा माओवादियों ने बीच चौराहे पर खून की होली खेलकर गांव के 17 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. दरअसल, क्षेत्र में नक्सल गतिविधि को पनपते देख ग्रामीणों ने ग्राम रक्षा दल का गठन किया था. ग्राम रक्षा दल के सदस्य नक्सलियों को गांव में प्रवेश नहीं होने देने का ऐलान कर दिया. इधर, नक्सली ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को सबक सिखाना चाह रहे थे. नक्सलियों ने कई बार ग्रामीणों को चेतावनी दी गयी, लेकिन ग्रामीणों पर उसका कोई असर नहीं हुआ.

जन अदालत लगाकर मौत की सजा का सुनाया फरमान

इसके बाद माओवादियों ने 11 सितंबर 2005 की रात 7:30 बजे ही पूरे भेलवाघाटी गांव को घेर लिया और गांव के घरों की कुंडी बंद कर दी. इसके बाद ग्राम रक्षा दल के सदस्यों ने एक-एक कर घर से बाहर निकाल कर गांव के बीच चौराहे पर जन अदालत लगायी गयी. जन अदालत में ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को मौत की सजा देने का फरमान जारी किया गया. माओवादियों ने बीच चौराहे पर ग्राम रक्षा दल के सदस्यों की जमकर पिटाई की और किसी को गोली मारी तो किसी का गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया. साढ़े दस बजे तक नक्सलियों ने गांव को घेरे रखा था.

मकई के फसल लगे खेत में घुसकर कईयों ने बचायी थी जान

गांव में नक्सलियों के कब्जे की सूचना पर गांव ग्राम रक्षा दल के कई सदस्य मस्जिद व मकई की फसल लगे खेत में छिप गये थे. माओवादियों ने मस्जिद में छिपे लोगों को बाहर निकालने के लिए बम मारकर मस्जिद को क्षतिग्रस्त कर दिया. विद्यालय भवन को भी उड़ा दिया था. इसके बाद मस्जिद में छिपे लोगों को जबरन बाहर निकालकर जन अदालत में ले गये. वहीं, मकई की फसल में छिपे लोगों को खोज नहीं पाये इससे मकई के फसल ने छिपे लोगों की जान बच गयी. माओवादियों ने मृतक मंसूर अंसारी के घर को बम से उड़ा दिया गया था. मंसूर ग्राम रक्षा दल का नेतृत्व कर रहा था. इस घटना में गांव के मजीद अंसारी, मकसूद अंसारी, मंसूर अंसारी, रज्जाक अंसारी, सिराज अंसारी, रामचंद्र हाजरा, गणेश साव, अशोक हाजरा, जमाल अंसारी, कलीम अंसारी, कलीम अंसारी टू, हमीद मियां, करीम मियां, चेतन सिंह, दिल मोहम्मद अंसारी, युसूफ अंसारी मारे गए थे. वहीं गोली लगने से गांव के कारु मियां घायल हो गये थे.

भेलवाघाटी गांव में नहीं है पेयजल और स्वास्थ्य की सुविधा

भेलवाघाटी नरसंहार के बाद भेलवाघाटी गांव को आदर्श गांव में विकसित करने की घोषणा की गयी थी. लेकिन, घटना के अठारह वर्ष बाद भी भेलवाघाटी गांव में लोग पेयजल व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा से जूझ रहे हैं. गांव में 300 से भी अधिक परिवार रहते हैं. अल्पवृष्टि का प्रभाव व जलस्तर की कमी से सभी कूप सूखे पड़े हैं. चापाकल से पर्याप्त पानी नहीं निकल रहा है. पानी की किल्लत से लोग परेशान रहते हैं. गांव में अभी तक जल नल योजना के तहत घरों तक पानी पहुंचाने का कार्य शुरू नहीं हुआ है. इलाज की सरकारी स्तर पर सुविधा नहीं रहने की वजह से यहां के लोगों को देवरी, चतरो व गिरिडीह जाते हैं.

वहीं, गांव में सिंचाई की सुविधा का अभाव है. सिंचाई सुविधा के अभाव में लोग खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं. यहां सिर्फ धान व मकई की फसल की उपज होती है. गांव में अभी तक आठवीं तक कि पढ़ाई की ही सुविधा है. आठवीं के बाद कि पढ़ाई करने के लिए बरमसिया गांव जाना पड़ता है. ग्रामीण गफूर अंसारी, इमामुद्दीन अंसारी, सलामत मियां, मकबूल मियां, जुमराती मियां, समसुद्दीन अंसारी, दिलवर अंसारी, जुम्मन मियां, सद्दाम अंसारी आदि ने समस्याओं से निजात दिलवाने की मांग की है.

ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद की गयी घोषणा के अनुसार पीड़ित परिवार को नौकरी दे दी गयी. मुआवजा राशि में ढाई लाख की एक लाख रुपये ही दिया गया. गांव में थाना बनवाया गया. गांव तक पक्की सड़क पहुंचा दी गयी. लेकिन, भेलवाघाटी को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने, पीड़ित परिवार को इंदिरा आवास की सुविधा देने, मृतक मंसूर के घर के लिए दस लाख मुआवजा देने, मृतक के बच्चों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाने आदि मांग आज तक पूरी नहीं हुई.

क्या कहते हैं ग्रामीण

नौकरी व मुआवजा राशि के साथ-साथ बच्चों को मुफ्त उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाने व नक्सलियों के द्वारा उड़ाये गये घर को बनाने में लिए मुआवजा के रूप में दस लाख रुपये देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन, शिक्षा दिलवाने की बात तो दूर घर का मुआवजा भी नहीं दिया गया. – मजीदा बीबी

मृतकों के आश्रितों को इंदिरा आवास दिलवाने का आश्वासन दिया गया था. अभी तक आवास की सुविधा नहीं मिल पायी है. शिक्षा की व्यवस्था नहीं की गयी. मुआवजा के नाम पर एक-एक सरकारी नौकरी व एक-एक लाख रुपये ही दिया गया. – शम्सुद्दीन अंसारी

गांव के हर घर में पेयजल की समस्या है. समस्या को दूर करने के लिए लंबे अरसे से मांग की जा रही है. स्वास्थ्य सुविधा का भी अभाव है. इसे दूर करने की जरूरी है. सरकारी स्तर पर समस्या को दूर करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. – मजलूम अंसारी

गांव में वर्षों से पानी की समस्या को दूर करने की मांग की जा रही है. लेकिन, पेयजल संकट दूर करने का कार्य नहीं हो रहा है. बरसात में भी कुआं में पानी नहीं है. पेयजल की विकराल समस्या को शीघ्र दूर करने का प्रयास जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को करना चाहिये. – कासीम अंसारी

जल्द दूर होगी पेयजल समस्या : मुखिया

भेलवाघाटी मुखिया विकास कुमार ने कहा कि पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए जल नल योजना के तहत घरों तक संवेदक को बोरिंग व पाइपलाइन बिछाने का कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया गया है. सिंचाई के लिए डैम बनवाने व स्वास्थ्य सुविधा के लिए जगशिमर में बने स्वास्थ्य उपकेंद्र में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी नियुक्त करवाने की मांग की गयी है.

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