प्रदिप कुमार, गिरिडीह : वैज्ञानिक सर जेसी बोस की स्मृति में शहरी क्षेत्र के बरगंडा में संचालित विज्ञान केंद्र का जल्द जीर्णोद्धार होगा. इस कार्य को लेकर राज्य सरकार ने 58.88 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है. इस बाबत सरकार के सचिव राहुल कुमार पुरवार ने झारखंड महालेखाकार को पत्र भी प्रेषित किया है. पत्र के माध्यम से कहा गया कि झारखंड में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए गिरिडीह समेत राज्य के नौ जिलों में संचालित जिला विज्ञान केंद्र का सुदृढ़ीकरण कर शीघ्र क्रियाशील बनाकर आम जनता के लिए खोला जाना है.
पत्र में इस निमित गिरिडीह उपायुक्त से जिला विज्ञान केंद्र के भवन के असैनिक कार्य से संबंधित जीर्णोद्धार के लिए प्राक्कलन उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध किया गया है. जबकि प्रदर्श संबंधी कार्य एनसीएसएम कोलकाता द्वारा किया जायेगा. डीसी द्वारा गिरिडीह विज्ञान केंद्र के लिए 58 लाख 88 हजार पांच सौ का तकनीकी स्वीकृति प्रदत्त प्राक्कलन उपलब्ध कराया गया है. उक्त कार्य के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी कोड एवं अन्य सुसंगत नियमों के आलोक में गिरिडीह उपायुक्त की होगी. स्वीकृत योजना का निर्माण कार्य अवधि कार्यानुमिति निर्गत की तिथि से छह माह होगी.
यहीं शोध करते थे वैज्ञानिक जेसी बोस
वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस कोलकाता से गिरिडीह बराबर आया करते थे. जिस भवन को आज जेसी बोस की स्मृति में विज्ञान केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया गया है उसी भवन में स्व. बोस कई प्रकार के वैज्ञानिक शोध किया करते थे. साथ ही उन्होंने इसी भवन में अंतिम सांस ली थी. जेसी बोस का जन्म 30 नवंबर 1858 को बंगाल के ढाका जिले के फरीदापुर के मेमनसिंह में हुआ था, जबकि 23 नवंबर 1937 में गिरिडीह में वैज्ञानिक जेसी बोस ने अंतिम सांस ली थी. बता दें कि पिछले कई दिनों से प्रबुद्ध लोगों द्वारा विज्ञान भवन के जीर्णोद्धार की मांग की जा रही थी. इसके लिए गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को भी ज्ञापन सौंपा गया था. इसके बाद विधायक श्री सोनू ने राज्य सरकार के समक्ष इसकी पहल की. लिहाजा आज जिला विज्ञान केंद्र के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त हुआ है.
रहस्यमय बनी हुई है जेसी बोस की तिजोरी
विज्ञान केंद्र में रखी गयी वैज्ञानिक जेसी बोस की तिजोरी को खोलने की कोशिश आज तक किसी ने नहीं की. पिछले कुछ वर्षों पूर्व जेसी बोस की तिजोरी को खोलने के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के गिरिडीह आने का प्रोग्राम बना था, लेकिन कुछ कारणवश वे भी यहां नहीं पहुंच सके और अचानक 27 जुलाई 2015 को उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी मृत्यु के बाद जेसी बोस की तिजोरी का रहस्य अब सिर्फ रहस्य ही बन कर रह गया है. गिरिडीह के तत्कालीन डीसी केके पाठक ने उस वक्त बिहार सरकार से जेसी बोस की तिजोरी को खोलने के लिए प्रयास किया था, लेकिन बिहार सरकार ने भी इस ओर गंभीरता नहीं दिखायी. जिस कारण आज भी उनकी तिजोरी रहस्य ही बनी हुई है. जेसी बोस की तिजोरी को खुलवाने के लिए कई संगठनों ने कई बार प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने का काम किया है.
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