Jharkhand News : झारखंड के सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन और बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकारी स्तर पर लगातार प्रयास किया जा रहा है. बच्चों के बीच पोशाक, बैग, कॉपी-किताबों एवं प्रतिपूर्ति राशि का वितरण किया गया है, लेकिन गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के बेको पूर्वी के उत्क्रमित प्रथामिक विद्यालय अंबाटांड़ ऐसा सरकारी विद्यालय है, जहां के बच्चे न तो ड्रेस पहनकर स्कूल पहुचते हैं और ना ही बच्चे के हाथों में किताब-कॉपी होती है. इस मामले की जानकारी जब उपप्रमुख हरेन्द्र सिंह को मिली, तो उन्होंने स्कूल पहुंचकर मामले की जांच की. इस दौरान इसका खुलासा हुआ. उपप्रमुख ने गिरिडीह उपायुक्त से कार्रवाई की मांग की है.
नंगे पैर स्कूल पहुंचे थे बच्चे
उपप्रमुख हरेन्द्र सिंह ने बताया कि सरकारी विद्यालय में जांच के दौरान मात्र 13 छात्र-छात्राएं स्कूल में थे. कोई बच्चा ड्रेस में नहीं था. किसी बच्चे के पास कॉपी-किताब नहीं थी. न ही किसी बच्चे के पास स्कूल बैग था. सभी बच्चे नंगे पैर स्कूल पहुंचे थे. इस स्कूल में दो सहायक शिक्षक हैं. नामांकन 38 छात्र-छात्राओं का है. पहली से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. लॉकडाउन के दौरान बंद स्कूल में प्रतिपूर्ति राशि बच्चों को देनी थी. इसमें भी अनियमितता सामने आयी है. मध्याह्न भोजन में भी अनियमितता पायी गयी है.
डीसी से कार्रवाई की मांग
बताया जाता है कि राशि मेंटेन करने के लिए रजिस्टर में शिक्षकों ने ही बच्चों की जगह हस्ताक्षर किया है. दोपहर में मध्याह्न भोजन में बच्चों को अंडा नहीं दिया जाता है. विद्यालय में दो सहायक शिक्षक हैं. इनकी कार्यशैली पर भी अभिभावकों ने सवाल उठाया है. अभिभावकों ने यह भी शिकायत की है कि शिक्षकों का अभिभावकों के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं है. उपप्रमुख हरेन्द्र सिंह ने गिरिडीह उपायुक्त से कार्रवाई की मांग की है. इसकी जानकारी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को दी गई है. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि मामले की जांच की जायेगी. इसके बाद आगे की कार्यवाही की जायेगी.
Also Read: Kurmi Protest: झारखंड में कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन 5वें दिन समाप्त, अनूप महतो ने कही ये बात
रिपोर्ट : कुमार गौरव, बगोदर, गिरिडीह