Prabhat Khabar Explainer: ऋतुओं का राजा बसंत के आगमन के साथ ही पलाश और सिमर के लाल-केसरिया फूल से फिजा रंगीन एवं मनमोहक बन गयी है. पलाश के फूल न केवल मनमोहक लगते हैं, बल्कि इनमें अपार औषधीय गुण भी हैं. झारखंड का राजकीय फुल पलाश कई मायने में लाभकारी साबित है. जंगल की आग के नाम से विख्यात पलाश में औषधीय गुणों का अंबार है. आयुर्वेद में इससे टॉनिक एवं कृमिनाशक बनाया जाता है.
पलाश के पेड़, छाल, फूल एवं पत्तियां हैं उपयोगी
होड़ोपैथिक चिकित्सक ने बताया कि पलाश के पेड़, छाल, फूल एवं पत्तियां आयुर्वेदिक पद्धति में उपयोगी हैं. पलाश का उपयोग रंग बनाने समेत टॉनिक और एंथेलमिटिक (आतों के कीड़े को मारने वाली दवा) के रूप में किया जाता है. कहा कि आयुर्वेदिक ग्रंथ में आचार्य चरक और सुश्रुत ने भी पलाश के बीज और छाल के औषधीय गुणों के बारे में बताया है. पलाश में सूजन को कम करने वाले, कीटाणु नाशक, एंटी डायबेटिक, मूत्रवर्द्धक, दर्दनाशक एवं ट्यूमर रोधी गुण होते हैं. इसके फूल टॉनिक एवं पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इसकी जड़े रतौंधी के इलाज में कारगर होती हैं.
फबासी परिवार का फूल है पलाश
यह फबासी परिवार का एक फूल है. जिसका वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है. पलाश के बीजों में एंटीडायबिटिक पाया जाता है, जो डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक होता है. इसके अलावा इसमें सूजन कम करने का प्रभाव भी दिखता है. वहीं, इसकी जड़ों में मूत्रवर्धक गुण भी मौजूद रहते हैं. यही कारण है कि इसके प्रभाव से शरीर के ऊतकों से अतिरिक्त पानी और नमक को यूरिन के रास्ते बाहर निकाल सकता है.
इन बीमारियों में मिलेगी राहत
– पेट दर्द में राहत
– खूब साफ करने में मददगार
– बुखार में होता फायदेमंद
– कुष्ठ रोग में लाभदायक
– घेंघा रोग में मिलेगा लाभ
– दाद में मिलेगा लाभ
– सर्दी-खांसी में मिलेगी राहत
– त्वचा के लिए फायदेमंद
– बालों के लिए मिलेगा लाभ.