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लॉकडाउन : ऑपरेशन के आठ दिन बाद नवजात को गोद में लेकर मुंबई से बिहार पहुंची महिला, दर्द और पीड़ा के बीच पांच दिन में तय किया सफर

कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण अन्य प्रदेशों में फंसे प्रवासियों का जैसे-तैसे बिहार स्थित अपने घर वापसी का सिलसिला जारी है. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किये जा रहे प्रयासों के बावजूद अब भी अन्य राज्यों में फंसे लोगों का घर लौटना मुश्किल दिख रहा है. इसी मुश्किल का सामना करते हुए ऑपरेशन के आठ दिन बाद नवजात बच्चे को लेकर अपने घर सीवान के महाराजगंज के लिए मुंबई से एक महिला पति के साथ निकल पड़ी. नवजात को गोद में लेकर करीब 1770 किलोमीटर की दूरी कभी ट्रक तो कभी पैदल चलकर तय किया.

गोपालगंज : कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण अन्य प्रदेशों में फंसे प्रवासियों का जैसे-तैसे बिहार स्थित अपने घर वापसी का सिलसिला जारी है. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किये जा रहे प्रयासों के बावजूद अब भी अन्य राज्यों में फंसे लोगों का घर लौटना मुश्किल दिख रहा है. इसी मुश्किल का सामना करते हुए ऑपरेशन के आठ दिन बाद नवजात बच्चे को लेकर अपने घर सीवान के महाराजगंज के लिए मुंबई से एक महिला पति के साथ निकल पड़ी. नवजात को गोद में लेकर करीब 1770 किलोमीटर की दूरी कभी ट्रक तो कभी पैदल चलकर तय किया.

दर्द और पीड़ा के बीच पांच दिन में तय किया सफर

दर्द और पीड़ा के बीच पांच दिन की सफर तय कर गुरुवार को यूपी-बिहार की सीमा बलथरी चेकपोस्ट पर पहुंची. यहां आने के बाद महिला की तबीयत बिगड़ने लगी. इसी दौरान एमवीआइ (मोटरयान निरीक्षक) कुमार विवेक की नजर गोद में नवजात को लेकर लड़खड़ाते हुए पैदल आ रही उस महिला पर पड़ी और एक महिला पुलिसकर्मी के सहारे उसे बैठाया. साथ ही सीवान जाने के लिए परिजनों से कह कर गाड़ी भी बुलवाई.

पति के साथ एक कंपनी में करती थी महिला

एमवीआइ ने बताया कि सीवान के महाराजगंज की रहनेवाली सोनी नामक महिला मुंबई में अपने पति प्रकाश कुमार के साथ एक कंपनी में काम करती थी. प्रेग्नेंट होने के कारण 24 मार्च को उसका वापसी का टिकट था, लेकिन इससे पहले ही लॉकडाउन लग गया और वह मुंबई में ही रह गयी. आखिर में सोनी, उसके पति प्रकाश और उनके देवर ने नवजात बच्चे को लेकर बिहार के सीवान जिला पैदल ही जाने का निर्णय किया.

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एमवीआइ ने दिया सहारा

नवजात बच्चे को लेकर महिला अपने परिजन के साथ गोरखपुर से गोपालगंज के बथना तक पैदल ही पहुंच गयी. इस दौरान उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और साथ ही पति व देवर के साथ दो छोटे-छोटे बच्चे भी काफी थक गये. इसी दौरान यूपी-बिहार सीमा के पास निरीक्षण लेने पहुंचे एमवीआइ की नजर उस पर पड़ी. एमवीआइ ने उसी समय पीड़ित परिवार को छाव में बिठाया और आराम करवाया. खाना खिलाने और स्क्रीनिंग कराने के बाद सभी को स्पेशल बस से सीवान भेज दिया.

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