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गोपालगंज में करोड़ों की सरकारी जमीन को बेच कर करा दी जमाबंदी, अब वहां बन गयी बिल्डिंग

देश की आजादी से पूर्व मांझा में स्थापित केशव पुस्तकालय की जमीन को भी माफियाओं ने बेच डाला. संतोष महतो के सहयोग से उसकी जमाबंदी तैयार करा ली गयी. आज केशव पुस्तकालय का नामोनिशान तक नहीं है. वहां भू-माफियाओं ने अपनी घेराबंदी कर ली है

कुमार अखिल, मांझा (गोपालगंज): मांझा में करोड़ों की सरकारी जमीन को बेच दिया गया. बेची गयी जमीन की जमाबंदी भी शिक्षक संतोष महतो के सहयोग से करा ली गयी. पिछले पांच-छह वर्षों में उस सरकारी जमीन पर बड़े-बड़े आलीशान बिल्डिंग बन चुके हैं, जिसमें शिक्षक संतोष महतो की भी दो बिल्डिंग बनी हुई है. संतोष महतो के कारनामों की जांच कर रहे अधिकारियों के सामने इसका खुलासा हुआ है.

माधव हाइस्कूल के आगे रोड व उसके बाद सरकारी फील्ड है. रोड के आगे फील्ड की जमीन की जमाबंदी अंचल कार्यालय से कायम कराकर बेची गयी है, जिस पर एक दर्जन से अधिक बिल्डिंग बन चुकी हैं. इसके पीछे संतोष महतो की कारिस्तानी सामने आयी है. डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने मांझा अंचल के कारनामों की जांच का आदेश डीटीओ मनोज कुमार रजक, एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार, डीसीएलआर वीरेंद्र कुमार को दिया है. जांच में दाखिल-खारिज में खेल की पोल खुलने लगी है. सबसे अधिक सरकारी जमीन को बेच कर जमाबंदी तैयार करने का मामला सामने आया है.

केशव पुस्तकालय की जमीन को भी बेच डाली

देश की आजादी से पूर्व मांझा में स्थापित केशव पुस्तकालय की जमीन को भी माफियाओं ने बेच डाला. संतोष महतो के सहयोग से उसकी जमाबंदी तैयार करा ली गयी. आज केशव पुस्तकालय का नामोनिशान तक नहीं है. वहां भू-माफियाओं ने अपनी घेराबंदी कर ली है, जबकि 1947 में रजिस्टर्ड केशव पुस्तकालय में तक सुभाषचंद्र बोस, स्वतंत्रता सेनानी फुलदेव बाबू, अब्दुल गफूर आदि भी अध्ययन करने पहुंचे थे. बाद में अब्दुल गफूर ने तो अपने फंड से किताबें भी उपलब्ध करायी थीं. वह पुस्तकालय खत्म हो चुका है. बाजार के रेट में वह जमीन तीन करोड़ से अधिक की बतायी जा रही है.

सीओ का सबसे भरोसेमंद था शिक्षक संतोष

मांझा थाने में सीओ शाहिद अख्तर ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. लगटूहाता गांव के मूल निवासी महारूदल प्रसाद के पुत्र संतोष महतो ने 31 जुलाई, 2012 में शिक्षक के रूप में उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगटूहाता में योगदान किया था. उसके पिता मांझा में राजस्व कर्मचारी थे. पहले अंचल कार्यालय में बिचौलिये का काम करता था. पिता 2009 में रिटायर हो गये. उसके बाद वह अंचल अधिकारियों का सबसे भरोसेमंद बन गया.

मांझा की सबसे महंगी जमीन खरीदता था

पुलिस के सामने जो तथ्य सामने आये हैं उससे साफ हो गया है कि संतोष वेतन स्कूल से लेता था, लेकिन काम माफिया वाला करता था. मांझा की सबसे महंगी जमीन खुद लिखवता था. मांझा ब्लॉक के पास बगीचा, स्टेट बैंक के पास, रेलवे स्टेशन के पास लगभग 80 करोड़ से अधिक की कीमत की जमीन खरीद चुका है. प्रशासन अब इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई से जांच कराने पर विचार कर रहा है.

सीओ कार्यालय का रेकॉर्ड खंगालने में जुटे रहे अधिकारी

डीएम की तरफ से गठित जांच टीम गुरुवार की शाम तीन बजे मांझा कार्यालय पहुंची. दाखिल-खारिज से जुड़े एक-एक रेकॉर्ड को खंगालने का काम शुरू हो गया. जांच के दौरान अंचल कार्यालय में आम लोगों के प्रवेश पर राके लगा दी गयी. सीओ व अन्य कर्मचारियों को साथ रखकर डीटीओ मनोज कुमार रजक, एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार व डीसीएलआर वीरेंद्र कुमार की टीम देर शाम तक रेकॉर्ड की जांच करती रही.

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बैंक से मिले पासबुक की जांच में जुटी पुलिस

एसडीएम डॉ प्रदीप कुमार द्वारा की गयी छापेमारी में संतोष के घर से बरामद सामग्री की जांच शुरू हो गयी है. पुलिस बैंक से मिले पासबुक की जांच कर रही है. वैसे उसके पास से माधव हाइस्कूल की पंजी, विभिन्न पंचायतों की भू-वंशावली, मांझागढ़ का नक्शा, दुलुदलिया का रजिस्टर, दाखिल-खारिज के 13 दस्तावेज, सीओ के हस्ताक्षर व मुहर 67 सेट, पंजी-टू का विभिन्न पंचायतों के 21 पीस, सीओ के मुहर कार्ड पीस, लगान रसीद 21 पीस, दाखिल-खारिज की छाया प्रति 106 पीस, दस्तावेज छाया प्रति 77 पीस, दस्तावेज की मूल प्रति सात पीस, निर्गत की गयी लगान रसीद की छायाप्रति 36 पीस, लैपटॉप, की-बोर्ड, चार्जर एक पीस, माउस, प्रिंटर, मोबाइल, पासबुक, 20 रुपये का चार बंडल, जिसमें कुल 80 हजार रुपये कैश, चेकबुक, पेन ड्राइव, पासपोर्ट, सादा स्टांप पेपर 12 पीस आदि बरामद किये गये थे.

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