गोपालगंज के कुचायकोट प्रखंड के सिपाया में सैनिक स्कूल के निर्माण में फर्जीवाड़े की पोल परत-दर-परत खुलने लगी है. डीएम की ओर से गठित टीम में डीटीओ मनोज कुमार रजक ने जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट फाइनल कर सौंप दी. डीटीओ ने यह रिपोर्ट वरीय उपसमाहर्ता राधाकांत को सौंपी है. परिवहन विभाग की जांच में फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ चुका है.
परिवहन विभाग को 175 ट्रकों का वाउचर जांच करने के लिए मिला था. ट्रकों के मिलान व जांच में चौंकाने वाले सच सामने आये हैं. जिन ट्रकों के नंबर वाउचर पर दिये गये हैं उसमें सर्वाधिक 10 चक्का व कुछ ट्रक 12 चक्के के ही है. लेकिन वाउचर में उसे 22 चक्का बनाकर बालू मंगाने कर भुगतान उठाया गया है. जांच में एक भी ट्रक 12 चक्का से ऊपर का नहीं मिला है.
जांच में डीटीओ की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 10 चक्के के ट्रक पर 900 सीएफटी बालू मंगाने का वाउचर पेश किया गया है. जो आश्चर्यजनक है. क्षमता से तीन गुना अधिक बालू कैसे आया. उन ट्रकों से सचमुच में बालू लाया गया है या नहीं, यह जांच का विषय है. इसकी जांच अभी पूरी नहीं हो पायी है. डीटीओ से मिली जांच रिपोर्ट का अध्ययन टीम कर रही है. जांच टीम सोमवार को अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप सकती है. वैसे महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के खुलासे के बाद इस जांच पर हाइलेवल पर मॉनीटरिंग भी शुरू हो गयी है.
ट्रक एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष लालबाबू यादव ने बताया कि गोपालगंज में अब तक 20-22 चक्का वाले ट्रकों से बालू नहीं आता है. अधिक से अधिक 14 चक्का तक के ट्रक ही बालू ढोने में लगे हैं. अगर कोई एजेंसी दावा कर रही है कि 22 चक्के के ट्रक से बालू ढोया गया है, तो पूरी तरह से झूठ है. जिन ट्रकों का नंबर वाउचर पर दर्ज है, उसके मालिक से प्रशासन के अधिकारी पूछताछ कर लें, तो स्पष्ट हो जायेगा कि उनके ट्रक से उस तिथि में बालू सैनिक स्कूल के लिए लाया गया है या नहीं .अब तो सभी ट्रकों में जीपीएस भी लगा है. सच सामने आ जायेगा कि वे ट्रकों ने बालू को सैनिक स्कूल में पहुंचाया है कि नहीं.
बिहार स्टेट एजुकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी कार्यालय की महालेखाकार की ऑडिट टीम में यह खुलासा हुआ. रिपोर्ट में कहा है कि अभिलेख की नमूना जांच के दौरान यह भी देखा गया कि ठेकेदार सारण के बजाय मधेपुरा से सफेद बालू रेत खरीदता है. ठेकेदार द्वारा जमा किये गये चालान की जांच के दौरान पता चला कि सफेद रेत को अवास्तविक वाहनों जैसे एंबुलेंस, इ-रिक्शा, तिपहिया यात्री वाहन, ट्रैक्टर ट्रॉली, स्कूटर, चोरी की मोटर बाइक आदि के माध्यम से ले जाया गया था. खनन स्थल से परियोजना स्थल तक और कंपनी ने ढुलाई लागत का भुगतान रु. 1,56,99,829/- फर्जी चालान पर भुगतान किया. कॉरपोरेशन ठेकेदार को अनुचित लाभ दे रही थी. कुल 1.75 करोड़ के गड़बड़ी को सामने लाया.
डीटीओ मनोज कुमार रजक ने कहा कि हमें जो वाउचर मिले थे, उसकी गंभीरता से जांच कर रिपोर्ट सौंप दी है. उसमें 10 व 12 चक्के का ही ट्रक नंबर मिला है.
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ट्रक चक्का में क्षमता
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06 चक्का 300 सीएफटी
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10 चक्का 400 सीएफटी
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12 चक्का 550 सीएफटी
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14 चक्का 800 सीएफटी
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18 चक्का 900 सीएफटी
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20 चक्का 1000 सीएफटी
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22 चक्का 1200 सीएफटी