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बिहार: स्कूल निर्माण में 1.75 करोड़ का घोटाला, बाइक, एंबुलेंस और ई-रिक्शा से ढो दिए 900 सीएफटी बालू

महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से गोपालगंज में सैनिक स्कूल की बिल्डिंग बनाने में हुए 1.75 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है. रिपोर्ट से पता चला की बालू की खरीद सारण की जगह मधेपुरा से की जा रही है और इसकी ढुलाई के लिए एंबुलेंस, ई-रिक्शा, स्कूटी और चोरी की बाइक इस्तेमाल की जा रही है.

संजय कुमार अभय, गोपालगंज. अब तक तो लोगों ने स्कूटी, बाइक से पशुओं को ढोये जाने की बात ही सुनी थी. ऐसा पशुपालन घोटाले में हुआ था. गोपालगंज में भी अब कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है. इस बार एंबुलेंस, ई-रिक्शा, तिपहिया यात्री वाहन, ट्रैक्टर ट्रॉली, स्कूटी और चोरी की बाइक से मधेपुरा से सफेद बालू की ढुलाई कर गोपालगंज मंगाया गया है. यह खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है.

1.75 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा

महालेखाकार की ऑडिट टीम ने जब बिहार स्टेट एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी कार्यालय का ऑडिट किया, तब यहां सैनिक स्कूल की बिल्डिंग बनाने में हुए 1.75 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया. ऑडिट टीम ने इस पर गंभीर सवाल उठाये हैं. महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के बाद अब राज्य सरकार के आदेश पर इसकी जांच डीएम के स्तर से शुरू हो गयी है. डीएम ने मामले की जांच वरीय उपसमाहर्ता राधाकांत व डीटीओ मनोज कुमार रजक को दी है. जांच अधिकारी एक-एक विपत्र को खंगालने में जुटे हैं.

सारण के बजाय मधेपुरा से खरीदा गया सफेद बालू

कुचायकोट प्रखंड के सिपाया में बनाये जा रहे गोपालगंज सैनिक स्कूल की बिल्डिंग के लिए सारण से सफेद बालू खरीदने की अनुमति मिली थी, वहां से सफेद बालू नहीं खरीद कर मधेपुरा से खरीदा गया. ऑडिट टीम ने जांच के दौरान देखा कि ठेकेदार सारण के बजाय मधेपुरा से सफेद बालू खरीदता है. ठेकेदार द्वारा जमा किये गये चालान की जांच के दौरान पता चला कि सफेद रेत को अवास्तविक वाहनों जैसे एंबुलेंस ई-रिक्शा, तिपहिया यात्री वाहन, ट्रैक्टर ट्रॉली, स्कूटर, चोरी की मोटरसाइकिल से ले जाया गया था. चालान के मुताबिक हर वाहन से नौ सौ सीएफटी बालू की ढुलाई परिजना स्थल तक की गयी. इसके एवज में फर्जी चालान पर 1,56,99,829 रुपये का भुगतान भी कर दिया गया.

ऑडिट टीम ने उठाये गंभीर सवाल

जांच में सामने आया कि परियोजना स्थल प्रभारी साइट ऑर्डर बुक को मेंटेंन रखने में भी विफल रहे. परियोजना स्थल पर ठेकेदार द्वारा उक्त सामग्री की आपूर्ति नहीं की गयी है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि गंडक नदी परियोजना स्थल से मात्र दो किमी दूर थी, तो सफेद बालू मधेपुरा से क्यों मंगाया? ऑडिट टीम ने माना कि बालू ढुलाई के भुगतान के साथ-साथ सामग्री की लागत नकली प्रतीत होती है. इससे सरकारी खजाने को ढुलाई लागत और सामग्री लागत के रूप में 1.75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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प्रभारी डीएम ने कहा, हो रही जांच

प्रभारी डीएम अभिषेक रंजन ने बताया कि पूरे मामले की जांच हो रही है. जांच के बाद रिपोर्ट सरकार को भेजी जायेगी.

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