गोरखपुर . भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक एवं वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन, तकनीकी विकास एवं युवा ऊर्जा के समन्वय से भारत का स्वर्णिम काल आने वाला है. विगत कुछ वर्षों से देश के नेतृत्व में जो दूरदर्शिता व कर्मठता दिखाई है, उसके परिणामस्वरूप वर्ष 2047 तक भारत पूरी दुनिया में सर्वोपरि होगा. डॉ सिंह रविवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ के 16वें समावर्तन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि 1300-1500 वर्ष पूर्व भारत हर क्षेत्र में विश्व के लिए आदर्श था. इसकी जीडीपी करीब 35 प्रतिशत थी. उस समय पूरी दुनिया भारत पर निर्भर थी.
आज देश एक बार फिर सशक्त नेतृत्व के बल पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. आने वाले समय में भारत अखंड भारत और विश्व गुरु बनने जा रहा है. नॉलेज बेस्ड सेक्टर (ज्ञान आधारित क्षेत्र) देश को विश्व गुरु बनाने का आधार होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसी परिप्रेक्ष्य में तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि एक समय वह भी था कि जब हम वैक्सीन के लिए विदेशों पर निर्भर रहते थे.जबकि वैश्विक महामारी कोरोना के समय अल्प समय में भारत ने न केवल वैक्सीन बना ली बल्कि पूरे विश्व को सप्लाई भी किया. पहले हम दवाओं के लिए दुनिया के अन्य देशों पर निर्भर रहते थे और आज दुनिया के 195 देश मेड इन इंडिया दवाओं का प्रयोग करते हैं.
उन्होंने विद्यार्थियों से भारत को महानतम देश बनाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें न सिर्फ देश के विकास में योगदान देना है बल्कि उसमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना भी है. डॉ सिंह ने समावर्तन समारोह की सराहना करते हुए कहा कि आज इस दिव्य समारोह का साक्षी होना अपने आप में गर्व की बात है. गुलामी के प्रतीक काले गाउन को नकारकर भारतीय परिधान में दीक्षांत संस्कार करवाना न सिर्फ राष्ट्र के वैचारिक अधिष्ठान की मजबूती का प्रमाण है अपितु इन परिधानों से नव ऊर्जा, नव जीवन और नव चेतना का संचार भी होता है.
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समावर्तन संस्कार समारोह के दौरान डॉ सुबोध मिश्र द्वारा संपादित ‘समावर्तन 2023’ पत्रिका का विमोचन मुख्य अतिथि डॉ जीएन सिंह तथा समारोह अध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह द्वारा किया गया.
समावर्तन संस्कार समारोह में मुख्य आकर्षण छात्र-छात्राओं का पारंपरिक भारतीय गणवेश रहा. केसरिया कुर्ता तथा सफेद धोती में छात्र व केसरिया साड़ी में छात्राएं समावर्तन संस्कार समारोह में शामिल हुईं.मुख्य अतिथि ने काले गाउन का यह विकल्प प्रस्तुत करने पर महाविद्यालय को बधाई दी.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप,गोरखपुर