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गोरखपुर: एम्स में अंगदान के लिए पहुंच रहे लोग, अब छात्रों को शोध के लिए मानव शरीर की नहीं होगी किल्लत

गोरखपुर एम्स में अंगदान के लिए लोग आ रहे हैं. पिछले चार वर्षों में 23 मानव शरीर एनाटॉमी विभाग को अंग दान के रूप में प्राप्त हो चुकी है. अब शोध करने वाले छात्रों को मानव शरीर की किल्लत नहीं होगी. मेडिकल कालेज में वर्तमान में केवल एक मानव शरीर है, जिस पर छात्र शोध कर रहे हैं.

अंगदान को लेकर लोग अब जागरूक हो रहे हैं. इसका जीता जागता उदाहरण गोरखपुर एम्स बन रहा है. एम्स में अंगदान के लिए लोग काफी संख्या में पहुंच रहे हैं. एम्स के स्थापना से लेकर अभी तक पिछले 4 वर्षों में 23 मानव शरीर एनाटॉमी विभाग को अंगदान के रूप में प्राप्त हो चुकी है. करीब 57 लोग अपना आवेदन फार्म अंगदान के लिए भर चुके हैं. इससे चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किसी भी विषय पर शोध करने के लिए शोधकर्ताओं को काफी सहूलियत होगी. क्योंकि शोध करने के लिए मानव शरीर का होना बेहद जरूरी है.

बीआरडी मेडिकल कालेज में सिर्फ एक बॉडी
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गोरखपुर: एम्स में अंगदान के लिए पहुंच रहे लोग, अब छात्रों को शोध के लिए मानव शरीर की नहीं होगी किल्लत 2

वहीं बीआरडी मेडिकल कालेज में मौजूदा समय में सिर्फ एक बॉडी है, जिसके सहारे छात्र अपने शोध कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं. बता दें कि बिना बॉडी के चिकित्सा विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ा जा सकता है. चाहे वह हार्ट, यूरोलॉजी, न्यूरोलॉजी या फिर अन्य कोई भी विषय हो. मानव शरीर की जरूरत इन शोध कार्यों के लिए चिकित्सा संस्थानों के पास होना बेहद जरूरी है. एम्स गोरखपुर के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर कुमार सतीश रवि ने बताया की उन्होंने अप्रैल 2023 में बतौर विभाग अध्यक्ष एम्स में ज्वाइन किया था. इसके बाद एम्स की डायरेक्टर डॉक्टर सुरेखा किशोर के मार्गदर्शन में उन्होंने अपने अनुभव और तमाम संस्थाओं से संपर्क कर छात्रों के शोध के लिए अब तक 23 बॉडी प्राप्त कर चुके हैं.

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डॉ कुमार सतीश रवि ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किसी भी विषय पर छात्रों को शोध करने के लिए मानव शरीर का होना बेहद जरूरी होता है. जिसमें एम्स अपने प्रयासों में सफल होता दिखाई दे रहा है. डॉ सतीश ने बताया कि बिना मानव शरीर की चिकित्सा विज्ञान के किसी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ा जा सकता है चाहे वह चिकित्सा विज्ञान से संबंधित कोई भी विषय हो. उन्होंने उम्मीद जताई की आने वाले समय में गोरखपुर एम्स देश के टॉप चिकित्सा संस्थानों में से एक होगा. क्योंकि यह कनेक्टिविटी की दृष्टि से बहुत ही बेहतरीन जगह पर स्थापित है.

डॉ सतीश ने बताया कि गोरखपुर एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन की दूरी कुछ मिनट की है. यहां पूर्वांचल, बिहार, नेपाल और आसपास के मरीजों की तादाद काफी संख्या में पहुंच रही है. ऐसे में विभिन्न प्रकार के रोगों पर शोध के लिए एनाटॉमी विभाग कर रिच होना बहुत जरूरी है. इसके लिए मानव शरीर का इस विभाग में अंगदान के रूप में प्राप्त होते रहना समय की आवश्यकता है. जिससे छात्रों को शोध करने में आसानी हो सकेगी. बताते चलें गोरखपुर एम्स पिछले 4 वर्षों में अपने प्रयासों में सफल होता दिख रहा है. एम्स को पिछले 4 वर्षों में देहदान के रूप में बड़ी सफलता मिली है.

गोरखपुर एम्स को इन लोगों ने दिया अपना शरीर

गोरखपुर एम्स को पहला शरीर कानपुर की ज्योति मां देवी के रूप में 22 अक्टूबर 2019 को प्राप्त हुआ था. उनके शरीर को लेकर युग दधिचि देहदान संस्थान के संस्थापक मनोज सेंगर गोरखपुर एम्स पहुंचे थे. युग दधिचि देहदान संस्थान के संस्थापक मनोज सेंगर के ही प्रयास से 25 नवंबर 2022 को एम्स को दूसरी शरीर देहदान के रूप में मिली थी.

वहीं, 13, 20 और 29 जून 2023 तक एम्स को पांच शरीर प्राप्त हो चुका था. 2 जून 2022 को अपने विवाह की वर्षगांठ पर एक नव दंपति ने देहदान करने का संकल्प लिया और अपना फॉर्म भरा, जिनका नाम डॉक्टर सौरव और लक्ष्मी था. यह तो एम्स में देहदान करने वाले लोगों के कुछ आंकड़े हैं. ऐसे भी नाम एम्स के रिकॉर्ड में दर्ज हो चुके हैं, जिनके सहारे यहां के छात्र अपना शोध कार्य आगे बढ़ा रहे थे. अब छात्रों को अपने शोध के लिए मानव शरीर की चिंता करने की जरूरत नहीं है. वही मीडिया से बात करते हुए एम्स में अपने देहदान का फॉर्म भर चुके जय प्रताप गोविंद राव और अमरचंद ने बताया की छात्र हमारे शरीर पर शोध करें. उनका जरूरी अंग किसी के जीवन को बचाने के लिए अगर उपयोगी हो सके तो उन्हें बहुत खुशी होगी. उन्होंने अपने शरीर के अंगदान का फॉर्म भर दिया है. फॉर्म भर कर उन्हें बहुत ही खुशी है.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप,गोरखपुर

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