Gorakhpur : जिले के गोला तहसील के बड़हलगंज क्षेत्र में आछीडीह बैरिया –सरिया बांध को स्वीकृति मिल सकती है. जिससे गोला तहसील के करीब 30 गांव के 32000 लोगों को कठिनाइयों से मुक्ति मिलेगी. इस क्षेत्र के लोग बारिश के मौसम से लेकर लगभग 6 माह तक आवागमन व जलभराव की समस्या से जूझते हैं. जिला प्रशासन की ओर से इस मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में लाया गया है. जिसको लेकर सकारात्मक आश्वासन भी मिला है.
गोरखपुर के दक्षिणांचल क्षेत्र में गोला तहसील के पूर्वी हिस्से कछरांचल में करीब 30 गांव में बरसात और बाढ़ के समय राप्ती नदी तबाही मचा देती है. बांध ना होने की वजह से इन गांव में बरसात के शुरुआत से ही पानी भर जाता है. इन गांव में रहने वाले ग्रामीणों को आवागमन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. लंबे समय तक इन गांव के खेत पानी से डूबे रहते हैं. यहां आमजन के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानी झेलनी पड़ती है. लोगों को उनके चारे की समस्या से जूझना पड़ता है.
बांध के निर्माण के लिए 2007 से ही आवाज उठाई जा रही है. 2007 में ही इसके निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है. इन क्षेत्रों में लंबे समय तक खेत डूब जाने से अन्न का एक दाना भी घर नहीं आता है. यह क्षेत्र सरयू और राप्ती नदी का संगम भी है. निचला क्षेत्र होने के कारण यह गांव बरसात की शुरुआत से ही जल मग्न हो जाते हैं. कोठा–नवलपुर बांध आछीडीह के पास बैरिया गांव में स्थित नाला तक ही बना है. इसके बाद से अब तक करीब 6 किलोमीटर दूरी तक बांध ना होने के कारण इन गांवों में पानी लग जाता है.
अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड 2 रूपेश कुमार खरे ने बताया कि बड़हलगंज क्षेत्र के करीब 30 गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए बांध बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इस को स्वीकृति मिल जाएगी. बांध बनने से करीब 32000 लोगों को सीधा फायदा होगा. आपको बता दें कि वर्ष 2007 में इस बांध के लिए चिल्लूपार के विधायक राजेश त्रिपाठी ने सिंचाई मंत्री से बात की थी. पूर्व जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने भी गांव को इस दुर्दशा से निकालने के लिए बांध बनाने का आश्वासन दिया था.
सिंचाई विभाग की ओर से बांध बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिली है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बाढ़ प्रभावित जिलों में बाढ़ बचाव कार्यों की समीक्षा की थी. तब गोरखपुर जिला प्रशासन द्वारा इन गांव की समस्या को उनके सामने रखा गया था.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर