Gujarat Election 2022: गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुस्लिम मतदाताओं को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई है. सवाल उठ रहे है कि गुजरात के मुस्लिम मतदाता बीजेपी के साथ जाएंगे या फिर कांग्रेस के साथ. वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की गुजरात चुनाव में एंट्री के साथ ही मुस्लिम मतदाता इस बार अपना मूड बदल सकते है. यहां बताते चलें कि अब तक सामने आ रहे आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में इस बार फिर से बीजेपी को बढ़त मिलने की संभावना है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार बीजेपी को करीब 23 प्रतिशत मुसलमानों का वोट शेयर मिलने की संभावना है. वहीं, कांग्रेस को करीब 45 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को करीब 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट शेयर मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. वहीं, अगर आदीवासी समुदाय की बात करें तो बीजेपी को 41 प्रतिशत आदिवासी वोट, कांग्रेस को 37 प्रतिशत और अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP को गुजरात के आदिवासी समुदायों के करीब 18 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की संभावना जताई जा रही है.
सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी मुस्लिम को टिकट नहीं देती है. हालांकि, बताया जाता है कि बीजेपी कुछ सीट पर मुस्लिम मतों के विभाजन के प्रयास जरूर करती है. आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, भरुच, जामनगर, खेडा, आणंद में मुस्लिम वोटरों की संख्या दस प्रतिशत से अधिक है. चर्चा यह भी है कि इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में आरएसएस के सांप्रदायिक सौहार्द के संदेश को आगे बढाने के लिए बीजेपी एक या दो सीट पर मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतार देती है, तो राज्य में भारतीय जनता पार्टी को प्रगतिशील मुस्लिम परिवारों का समर्थन मिल सकता है.
गुजरात में मुस्लिम मतदाताओं को लेकर सियासी बहस छिड़ी हुई है. कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी तक के प्रमुख नेता मुस्लिम हिमायती बनने की होड़ में जुटे है. हालांकि, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पार्टी AAP ने गुजरात में 53 चुनावी योद्धाओं को चुनावी मैदान में उतारने का एलान किया हैं. लेकिन, बड़ी बात यह है कि उनमें एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं है. ऐसे में सवाल उठाए जा रहे है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मुस्लिम प्रेम दिखावा है. जानकारी के मुताबिक, गुजरात की जिन 53 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल किए हैं, उनमें नौ विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर किंग मेकर की भूमिका में हैं. वहीं, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल की पार्टी के एक नेता का कहना है कि आम आदमी पार्टी गुजरात में 8-10 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी खड़े करेगी.
इन सबके बीच, खबरों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के बीच अपनी छवि सुधारने की कोशिश में जुट गई है. इसी कड़ी में पिछले कुछ समय से आरएसएस और बीजेपी के बड़े नेता मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मिल रहे हैं. ताकि, यह सदेश जाए कि भारतीय जनता पार्टी मुसलमान विरोधी नहीं है. दरअसल, लोकसभा और विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी मुसलमान सांसद एवं विधायक नहीं है और इसको लेकर पार्टी विरोधियों के निशाने पर रही है. बीजेपी पर आरोप लगता रहा है कि वह चुनावों में मुस्लिमों को टिकट नहीं देती है. लिहाजा, बीजेपी ने अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के बाद अब मुस्लिम मतदाताओं विशेष कर पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में लाने की कोशिश तेज कर दी है. हालांकि, इससे बीजेपी की छवि पर कितना फर्क पड़ेगा, इसपर राजनीति के जानकार फिलहाल कुछ भी नहीं कह रहे है.
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सीएसडीएस (CSDS) के सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, पहले गुजरात के करीब 80 फीसदी मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट करते थे. बताया जाता है कि ये गुजराती भाईजान कांग्रेस के कैडर वोटर थे. वहीं, 2012 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के हाथ से निकल गया. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, 2012 में 70 फीसदी मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट दिया. जबकि, 20 फीसदी मुसलमानों की पसंद भारतीय जनता पार्टी बन गई. इसके बाद, कुछ ऐसा ही 2017 में भी देखने को मिला. वर्ष 2017 के चुनाव में 64 फीसदी मुसलमानों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया. जबकि, 27 फीसदी मुस्लिमों ने बीजेपी को वोट किया था.
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