Gujarat Election 2022: गुजरात कपड़ा उद्योग का केंद्र है, जिससे प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूती मिलती है. अब सवाल उठता है कि क्या इस बार के विधानसभा चुनाव में कपड़ा उद्योग प्रमुख मुद्दा बनेगा. दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं की ओर से गुजरात के आर्थिक विकास को और बेहतर करने के दावे किए जा रहे हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है गुजरात चुनाव में इस बार कपड़ा उद्योग चुनावी मुद्दा बन सकता है.
बताते चलें कि तंबाकू, मूंगफली कपास के उत्पादन में गुजरात अग्रणी राज्य है. साथ ही तेल, साबुन जैसे महत्वपूर्ण उद्योग भी गुजरात में स्थापित है. इसके अलावा, गुजरात में रसायन, पेट्रो रसायन, उर्वरक इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योग अलग-अलग हिस्सों में फैले हुए हैं. इसी के साथ, गुजरात के सूरत में साड़ी उद्योग स्थापित है. वहीं, सरदार सरोवर परियोजना की मदद से गुजरात में 17.92 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है.
आंकड़ों पर गौर करें तो गुजरात में बन रहे कपड़े सबसे ज्यादा निर्यात किए जा रहे हैं. अगर देशभर से हो रहे निर्यात की बात करें, तो इनमें अकेले 12 फीसदी हिस्सा गुजरात का है. इसके अलावा, देश में लगभग सभी क्षेत्रों में गुजरात में तैयार कपड़ा ही आता है और इनमें साड़ियां प्रमुखता से शामिल हैं. यही वजह है कि गुजरात की जीडीपी बहुत हद तक कपड़ा उद्योग पर निर्भर है. एक अनुमान के मुताबिक, गुजरात की पूरी जीडीपी में तकरीबन 23 फीसदी योगदान कपड़ा उद्योग का है. इसके अलावा, गुजरात की तकरीबन 16 फीसदी उपजाऊ जमीन पर कपास की खेती हो रही है और यह देशभर में पहले स्थान पर है.
सूरत गुजरात का एक प्रमुख शहर है, जो कपड़ा उद्योग में अव्वल है. आंकड़ों के मुताबिक, सूरत में तकरीबन 500 कपड़ा उत्पादन की इकाइयां हैं और यहां के पावरलूम सेक्टर में 6 से 7 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है. इसी के साथ, प्रोसेंसिंग सेक्टर में भी लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है. गुजरात से होने वाले कुल कपड़ा निर्यात में सूरत की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है.
गुजरात में कपड़ा उद्योग से पाटीदार समुदाय के लोग बड़े पैमाने पर जुड़े है और काम करते है. बीते दिनों जीएसटी लागू होने के बाद इन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किया था. वहीं, कांग्रेस पहले से ही इसे मुद्दा बनाकर चल रही है. हालांकि, हार्दिक पटेल को अपने पाले में खींचकर बीजेपी ने काफी हद तक समीकरण में बदलाव की कोशिश की है. लेकिन, आने वाले चुनाव में इसका कितना असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी.