Gujarat Elections 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज गया है. गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में 1 और 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव के ऐलान के साथ ही गुजरात में अधिसूचना लागू हो गई है. 14 नवंबर तक उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर सकते हैं. जबकि, नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 17 नवंबर है. इन सबके बीच, गुजरात में कच्छ के लिटिल रण से जुड़े मतदाताओं के वोटिंग अधिकार को लेकर एक गंभीर मामला प्रकाश आया है.
मतदाताओं से जुड़ा यह मुद्दा कच्छ के लिटिल रण से संबंधित है, जहां हजारों लोग वोट नहीं कर पाते हैं. बताया जा रहा है कि यह समस्या कई वर्षों से चली आ रही है. वोट न डाल पाने का बड़ा कारण बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र है. बताया जाता है कि गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव का ऐलान हर बार नवंबर-दिसंबर महीने में ही होता है. इस दौरान कच्छ के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के लोग दूसरी जगह शरण ले लेते हैं. वहां से पोलिंग बूथ 50 से 80 किमी तक दूर पड़ता है. इस कारण वे वोट डालने नहीं आ पाते है.
इस संबंध में एमएजीपी की कार्यकारी सचिव पंक्ति जोग ने गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी भारती को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि कच्छ का लिटिल रण Zero Survey Nunmber क्षेत्र है, जो कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी, बनासकांठा और पाटन जिलों के बीच स्थित है. बताया गया कि एलआरके एक 5000 वर्ग किमी चौड़ा मिट्टी का फ्लैट है, जो 4 महीने के लिए पानी से भर जाता है और यह शेष वर्ष के लिए मिट्टी के रेगिस्तान में बदल जाता है. पांच जिलों के लगभग 8000 परिवार पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके नमक की खेती करने के लिए कच्छ के लिटिल रण में प्रवास करते हैं. यह समुदाय खानाबदोश और गैर-अधिसूचित जनजातियों से संबंधित है और इन्हें अगरिया (आगर = नमक खेत) के रूप में जाना जाता है. अगरिया समुदाय को मतदान के दिन रेगिस्तान से अपने पैतृक गांव जाना है. इस प्रकार मतदान प्रतिशत कम हो जाता है, क्योंकि मतदाता (विशेषकर महिलाएं) मतदान करने के लिए दूर की यात्रा नहीं कर सकते हैं. यह मुद्दा लंबे समय से लंबित है.
– एलआरके के लिए एक सहायक या मोबाइल बूथ की व्यवस्था करना ताकि प्रत्येक मतदाता मतदान कर सके.
– रण से मतदान केंद्र और वापस जाने के लिए परिवहन सुविधा की व्यवस्था करना ताकि अगरिया मतदान कर सकें.