अहमदाबाद : गुजरात में वर्ष 2002 के दौरान हुए दंगा मामले के सिलसिले में अहमदाबाद की निचली अदालत की ओर से तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाया जाएगा. गुजरात 2002 दंगा मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार बेगुनाहों को फंसाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में जेल में बंद हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद के सत्र न्यायालय के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश डीडी ठक्कर की अदालत को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिकाओं पर गुरुवार को ही फैसला सुनाना था, लेकिन इसे शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया. अदालत को पहले याचिकाओं पर फैसला 26 जुलाई को सुनाना था. बहरहाल, अदालत ने इसे गुरुवार तक टालते हुए कहा था कि आदेश तैयार नहीं है, मगर अदालत ने गुरुवार को इस हफ्ते में दूसरी बार तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार की याचिका पर फैसला टाल दिया.
अदालत ने तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार के वकीलों और अभियोजन की दलीलों को सुनने के बाद पिछले हफ्ते अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. दोनों ने मामले की तफ्तीश करने के लिए गठित किए गए विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन किया है. तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को अहमदाबाद अपराध शाखा ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था.
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विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अदालत को बताया था कि तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई बड़ी साजिश का हिस्सा थे, जिसका मकसद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को अस्थिर करना था. उसने आरोप लगाया था कि गोधरा के बाद 2002 में भड़के दंगों के बाद कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के कहने पर तीस्ता सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये मिले थे, जिनका इस्तेमाल इस मकसद के लिए किया गया. एसआईटी ने आरोप लगाया है कि आरबी श्रीकुमार असंतुष्ट सरकारी अधिकारी थे, जिन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही और पूरे गुजरात राज्य के पुलिस प्रशासन को बदनाम करने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया.