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तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात HC से नहीं मिली नियमित जमानत, तत्काल सरेंडर करने का आदेश

वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद फैले सांप्रदायिक दंगों के दौरान फर्जी दस्तावेज और हलफनामों के आधार पर गुजरात को बदनाम करने का आरोप है. गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ के वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने तक फैसले पर रोक लगाने की मांग को भी खारिज कर दिया है.

अहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से दायर जमानत अर्जी को खारिज करते हुए तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद गुजरात में फैले सांप्रदायिक दंगों से संबंधित मामलों में तथाकथित तौर पर सबूतों से छेड़छाड़ करने के साथ ही गवाहों को ट्रेनिंग देने का आरोप है. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट जाने के आदेश पर रोक लगाने के उनके वकील के अनुरोध को भी खारिज कर दिया है.

फर्जी दस्तावेज के जरिए गुजरात को बदनाम करने का आरोप

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद फैले सांप्रदायिक दंगों के दौरान फर्जी दस्तावेज और हलफनामों के आधार पर गुजरात को बदनाम करने का आरोप है. गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ के वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने तक फैसले पर रोक लगाने की मांग को भी खारिज कर दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर, 2022 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई अंतरिम जमानत के माध्यम से तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली हुई थी. इसके बाद उन्हें इस मामले में न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया था.

सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट से मिली थी जमानत

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात दंगों से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार की गईं तीस्ता सीतलवाड़ को साल 2022 के सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उनकी नियमित जमानत पर गुजरात हाईकोर्ट ही फैसला सुना सकता है.

Also Read: Gujarat Riots Case: तीस्ता सीतलवाड़ 69 दिनों बाद जेल से बाहर, 2002 गुजरात मामले में लगा है गंभीर आरोप

फिलहाल, उन्हें अंतरिम जमानत दी गई है. अपने आदेश में सर्वोच्च अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि तीस्ता सीतलवाड़ को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ेगा और जब तक हाईकोर्ट से नियमित जमानत नहीं मिल जाती, तब तक वह भारत से बाहर नहीं जा सकतीं.

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