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तीन साल में गुमला में मानव तस्करी व बाल श्रम के 778 मामले, CM के ट्वीट के बाद हरकत में प्रशासन

दुर्जय पासवान, गुमला गुमला में मानव तस्करी का समाचार प्रभात खबर में छपने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया. सीएम के संज्ञान लेने व दिशा निर्देश देने के बाद गुमला प्रशासन हरकत में आ गया है. गुमला पुलिस ने पीड़िता के घर जाकर पूरे मामले की जांच की. साथ ही परिवार के लोगों […]

दुर्जय पासवान, गुमला

गुमला में मानव तस्करी का समाचार प्रभात खबर में छपने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया. सीएम के संज्ञान लेने व दिशा निर्देश देने के बाद गुमला प्रशासन हरकत में आ गया है. गुमला पुलिस ने पीड़िता के घर जाकर पूरे मामले की जांच की. साथ ही परिवार के लोगों से मिल रही धमकी की जानकारी ली. मानव तस्करी के खिलाफ की जा रही कार्रवाई की जानकारी गुमला पुलिस ने सीएम व झारखंड पुलिस को ट्वीट कर दी है.

जिसमें गुमला पुलिस ने कहा है कि सीएम के निर्देशानुसार मानव तस्करी के उक्त कांड से संबंधित दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर छापामारी की जा रही है. गुमला डीएसपी प्राण रंजन द्वारा पीड़ित के गांव जाकर धमकी देने वालों के संबंध में जानकारी प्राप्त की है.

वहीं, गुमला पुलिस द्वारा मानव तस्करी की शिकार बच्चियों को 2019 के जुलाई माह में दिल्ली से बरामद किया गया था. इसमें दो अभियुक्तों को पूर्व में ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. फरार चल रहे दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की जा रही है.

डीसी ने दिया लड़कियों के संरक्षण का निर्देश

सीएम के संज्ञान के बाद गुमला डीसी शशि रंजन ने डीसीपीओ संजय कुमार से तीन साल के मानव तस्करी व बाल श्रम के रिपोर्ट की मांग की है. साथ ही जिन छह लड़कियों को दिल्ली से मुक्त कराया गया है. उन लड़कियों को संरक्षण देने का निर्देश दिया है. डीसी ने डीसीपीओ से यह भी कहा है कि इस प्रकार के मामले में तुरंत कार्रवाई हो. जिससे मानव तस्करी को रोका जा सके.

डीसी के निर्देश पर डीसीपीओ संजय कुमार ने सीडब्ल्यूसी पहुंचकर तीन साल का रिपोर्ट प्राप्त किया. तीन साल में 778 मामले सीडब्ल्यूसी के समक्ष दर्ज किये गये हैं. ये सभी मामले मानव तस्करी, बाल श्रम से संबंधित हैं. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में 242, वर्ष 2018 में 280 व वर्ष 2019 में 256 मामले दर्ज हुए हैं. जबकि इस वर्ष 2020 में जनवरी माह में 10 मामले दर्ज किये गये हैं.

डीसीपीओ ने बताया कि दर्ज मामले में कई लड़कियों को दिल्ली से मुक्त कराकर गुमला लाया गया है. इसमें से कई लड़कियां बालगृह में हैं. जबकि कई लड़कियों का नामांकन कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूल सहित दूसरे स्कूलों में कराया गया है.

लड़कियों के संरक्षण देने की पहल शुरू

डीसीपीओ संजय कुमार ने बताया कि डीसी के निर्देश पर सीडब्ल्यूसी के माध्यम से चाइल्ड लाइन को पत्र लिखा गया है. चाइल्ड लाइन को निर्देश दिया गया है कि पीड़ित परिवार के घर जाकर लड़कियों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत करें. जिससे सभी लड़कियों को सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में लेकर सुरक्षा प्रदान करते हुए शिक्षा की व्यवस्था की जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि लड़कियों से दोबारा बयान लिया जायेगा. इसके बाद लड़कियों की पढ़ाई को देखते हुए कस्तूरबा स्कूल में नामांकन कराया जायेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा जायेगा.

प्रशासन पहले इसमें रूचि नहीं लेती थी

मानव तस्करी के मामले में कभी भी प्रशासन रूचि नहीं ली है. जिस कारण गुमला में अक्सर मानव तस्करी के केस दर्ज होते रहे हैं. इधर, जब अखबार में समाचार छपी और सीएम के संज्ञान लेने के बाद गुमला प्रशासन व पुलिस प्रशासन हरकत में नजर आ रही है. अगर प्रशासन शिकायत आने के बाद पूर्व में ही इस प्रकार के मामले में गंभीरता दिखाती तो आज इस प्रकार की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती. ऐसे मानव तस्करी के मामले में सीएम के संज्ञान के बाद आठ फरवरी को इससे जुड़े सभी लोगों की बैठक बुलायी गयी है. जिसमें मानव तस्करी को कैसे खत्म किया जाये. इसपर विचार विमर्श किया जायेगा.

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