Jharkhand news: झारखंड के चर्चित आरसीएच पदाधिकारी डॉ आरबी चौधरी हत्याकांड के मामले में बुधवार को गुमला के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सचिन्द्र नाथ सिन्हा की अदालत ने 5 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. साथ ही 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.
गुमला कोर्ट ने गुमला के रायडीह निवासी महावीर उरांव, रूपेश प्रसाद, लक्ष्मण नगर निवासी सूरज पंडित, दीपक कुमार और करमटोली निवासी अशोक उरांव को आजीवन कारावास की सजा समेत 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर छह-छह माह अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ सकती है. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहम्मद जावेद हुसैन व बचाव पक्ष से अधिवक्ता जितेंद्र शर्मा व शिवपूजन ने पैरवी किया.
मामला 30 अप्रैल, 2015 की है. अपराधियों ने एक मरीज को देखने के बहाने गुमला शहर के जशपुर रोड स्थित क्लिनिक से डॉ आरबी चौधरी को रायडीह ले गये थे. जहां से उसे अपहरण कर उसके परिजनों से 50 लाख रुपये की फिरौती मांगा गया था. बाद में परिजनों ने 5 लाख रुपये देने को तैयार हुए थे.
परिजनों ने फिरौती के चार लाख रुपये अपराधियों को दिया था. इसके बाद भी अपराधियों ने डॉक्टर को मुक्त नहीं किया और उसकी रायडीह थाना के साहीटोली जंगल के समीप उसकी हत्या कर दिया था. इस घटना के बाद पुलिस ने काफी मशक्कत कर सीसीटीवी फुटेज की सहायता से आरोपियों को पकड़ा था.
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सूरज पंडित को धारा 364-ए व 302/34 के तहत आजीवन कारावास की सजा और 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ सकता है. रूपेश प्रसाद, महावीर उरांव, अशोक उरांव को 364ए एवं 302/34 के तहत आजीवन कारावास तथा 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माने की राशि नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा करने का निर्देश दिया है.
इसके अलावा रूपेश, महावीर, अशोक को धारा 201/34 के तहत दो-दो साल की सजा पांच-पांच हजार रूपये का जुर्माना व जुर्माना की राशि नहीं देने पर दो माह अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ सकता है. वहीं, दीपक कुमार को धारा 364/120बी के तहत आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ सकती है.
गुमला के आरसीएच पदाधिकारी डॉ आरबी चौधरी की हत्या से पूरे झारखंड में आंदोलन हुआ था. स्वास्थ्य व्यवस्था ठप कर दी गयी थी. एक महीने तक आंदोलन चला था. रांची में डॉक्टर के अपहरण की योजना बनी थी. इसके बाद बेतला में फिरौती ली गयी थी और रायडीह में डॉक्टर की हत्या कर दी गयी थी. यहां बता दें कि अपराधियों ने डॉ आरबी चौधरी को छोड़ने के लिए फिरौती के रूप में 50 लाख रुपये की मांग की थी.
लेकिन, बाद में पांच लाख रुपये में मामला तय हुआ था. इसके बाद अपराधियों ने परिजनों को पैसा लेकर पहले रांची बुलाया था. वहां जाने के बाद अपराधियों ने फिर हजारीबाग, लातेहार, सतबरवा और अंत में बेतला पार्क के समीप बुलाया था. बेतला पार्क जाने पर अपराधियों ने एक यात्री शेड के समीप पैसा रखवा लिया और सुबह गुमला शहर के डीएसपी रोड में चिकित्सक के मिल जाने की बात कही थी. लेकिन अपराधियों ने पैसा लेने के बाद भी उन्हें मार दिया था. हत्या के बाद अपराधियों ने चिकित्सक के ऑपरेशन वाले औजार को भी जला दिया था.
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डॉक्टर का शव मिलने के बाद माहौल गरम हो गया था. गुमला के तत्कालीन एसपी भीमसेन टूटी ने अपहरण के बाद हुई हत्या के इस चर्चित मामले का खुलासा कर दिया था. साथ ही शुरू में तीन अपराधियों को पकड़ा गया था. इसमें रायडीह छत्तरपुर के रूपेश प्रसाद, अशोक उरांव व गुमला के दीपक कुमार शामिल थे. फरार आरोपियों में सूरज पंडित, महावीर उरांव व घटना के मास्टर माइंड मुजफ्फरपुर स्थित कुढ़नी गांव निवासी अभय उर्फ धनंजय मेहता उर्फ कृष्ण मोहन झा उर्फ काली शामिल था. बाद में इन तीनों की भी गिरफ्तारी की गयी थी. इनमें धनंजय मेहता उर्फ कृष्ण मोहन की चार्जशीट अलग से दाखिल किये जाने के कारण अलग से उसकी सुनवाई जारी है. वर्तमान में यह मामला गवाही के स्तर पर है.
अपहरण के बाद डॉक्टर ने अपराधियों को पहचान लिया था. इस कारण उनकी हत्या कर दी गयी थी. डॉ चौधरी के अपहरण की योजना रांची के होटल में 28 व 29 अप्रैल, 2015 को बनायी बनायी गयी थी. इस योजना के तहत अपहरणकर्ता महिला के इलाज के बहाने डॉक्टर को 30 अप्रैल को किडनैप कर रायडीह ले गये थे. इसके बाद डॉक्टर को रायडीह थाने के छत्तरपुर स्थित आरोपी सूरज पंडित के पैतृक आवास में बंधक बना कर रखा गया था. अपराधियों की डिमांड पर डॉक्टर के परिजनों ने अपराधियों को फिरौती की रकम चार लाख दे दी थी.
इस दौरान डॉक्टर आरबी चौधरी ने अपराधियों को पहचान लिया था. जहां उन्हें रखा गया था.उस जगह की भी उन्हें जानकारी हो गयी थी. इसलिए अपराधियों ने साक्ष्य छिपाने के लिए रायडीह थाने के साहीटोली डैम के जंगल के समीप ले जाकर उनकी हत्या कर दी थी. पुलिस ने अपहरण में इस्तेमाल की गयी स्कूटी व बोलेरो गाड़ी को भी बरामद की थी. साथ ही जिस घर में डॉक्टर को रखा गया था. वहां अपराधियों के कुछ बाल के टुकड़े मिले थे. बाल के टुकड़े से भी हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में मदद मिली थी.
30 अप्रैल को अपहरण की सूचना के बाद पुलिस ने डॉक्टर की सकुशल बरामदगी के लिए कार्रवाई शुरू कर दी थी. लेकिन, डॉक्टर के मोबाइल को लेकर अपराधी पुलिस को भ्रमित करने के लिए अलग-अलग स्थानों में लेकर घूम रहे थे. साथ ही उनके मोबाइल से कॉल कर डॉक्टर के परिजनों से फिरौती की मांग कर रहे थे. पहला कॉल 30 अप्रैल को रायडीह क्षेत्र से किया गया था. इसके बाद एक मई को रांची व कैमूर (भभुआ) का लोकेशन दिखाने लगा. इसके बाद पुलिस ने जशपुर रोड में लगे एक सीसीटीवी कैमरे की जांच की, तो डॉक्टर को सफेद रंग की स्कूटी से रायडीह की ओर ले जाते देखा गया था.
जांच पड़ताल के बाद पुलिस रूपेश, दीपक व अशोक तक पहुंची थी और तीनों को पकड़ा लिया था. पुलिस की गिरफ्त में सबसे पहले आने वाले रूपेश, अशोक और दीपक घटना के मास्टरमाइंड अभय व सूरज के निर्देश पर गुमला में काम कर रहे थे. बेतला में अभय व सूरज ने ही डॉक्टर के परिजनों से चार लाख फिरौती ली थी. इसके बाद दोनों ने ही अपने साथियों से डॉक्टर की हत्या करने को कहा था. अभय के कहने पर रूपेश, अशोक व दीपक ने डॉक्टर को मार डाला था.
रिपोर्ट: दुर्जय पासवान/अंकित, गुमला.