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Common Man Issues: गुमला में हैं 89 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, कई के वर्षों से नहीं खुले ताले, भटक रहे मरीज

Common Man Issues: आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी अस्पताल भवन बने हैं, ताकि गांव के लोगों को स्वास्थ्य व्यवस्था का लाभ मिल सके, परंतु कई केंद्र सात साल तो कोई पांच व तीन साल से बंद हैं. कई भवनों का तो बनने के बाद से आज तक ताला नहीं खुला है और ये भवन बेकार होने लगे हैं.

Common Man Issues: गुमला जिले के 89 गांवों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना हुई है. आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी अस्पताल भवन बने हैं, ताकि गांव के लोगों को स्वास्थ्य व्यवस्था का लाभ मिल सके, परंतु कई केंद्र सात साल तो कोई पांच व तीन साल से बंद हैं. कई भवनों का तो बनने के बाद से आज तक ताला नहीं खुला है और ये भवन बेकार होने लगे हैं. ग्रामीण कहते हैं कि अगर ये सेंटर चालू हो जायें तो गांव के लोगों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का भवन बंद रहने के कारण नर्स भी किसी पेड़ के नीचे या फिर पुराने जर्जर भवन में बैठती हैं. स्वास्थ्य विभाग गुमला का दावा है कि गुमला जिले में 242 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन किया जाना है. जिसमें फिलहाल 89 केंद्र का संचालन हो रहा है. प्रभात खबर की पड़ताल में पता चला कि इसमें अधिकतर सेंटर बंद हैं. कुछ सेंटर चालू हैं तो उसमें संसाधन नहीं है.

गुमला के सिविल सर्जन की सुनिए

गुमला के सिविल सर्जन डॉक्टर राजू कच्छप ने कहा कि जिले में 89 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन किया जा रहा है लेकिन पूरे जिले में 242 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन किया जाना है. अभी 153 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सीएचओ व एएनएम बैठते हैं, जो हेल्थ एंड वेलनेंस सेंटर में आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग करते हैं. जिसमें बीपी, सुगर, सरवाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओरल कैंसर सहित अन्य बीमारी शामिल है. उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि 153 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन भी शीघ्र शुरू कराया जायेगा. जिस पर मैं विशेष रूप से ध्यान देकर कार्य को अग्रेतर कर रहा हूं. शीघ्र ही हमारे प्रयास से बाकी बचे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन शीघ्र शुरू होगा.

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इन गांवों में है हेल्थ सेंटर

गुमला जिले में 89 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना है. जिसमें बसिया प्रखंड में आरया, दलमदी, नारेकेला, लोंगा, सोलंगबीरा, बंबियारी, पोकटा, भरनो में अमलिया, डोंबस, मसिया, लुंडो, दुड़िया, पहाड़बंगरू, पबेया, बिशुनपुर प्रखंड में बेती, चैनपुर में सिविल, टोंगो, केड़ेंग, कटकाही, छतरपुर, तबेला, बेंदोरा, डुमरी प्रखंड में दीना, चेरेया, भागीटोली, तिगरा, जरडा, डुमरटोली, अकासी, श्रीनगर, जुरमू, घाघरा प्रखंड में आदर, बड़काडीह, इचा, गम्हरिया, कुराग, मसरिया, नवाडीह, बदरी करमटोली, तुसगांव, पुटो, गुमला प्रखंड में आंजन, असनी, फोरी, कोटाम, केसीपारा, जोराग, मुरकुंडा, नवाडीह, गम्हरिया, ढिढौली, पुग्गू, तेलगांव, कामडारा प्रखंड में अरहरा, चीतापीड़ी, गरई, झारो, कुरकुरा, सालेगुटू, रामतोलया, हाफू, पालकोट प्रखंड में पिथरटोली, बारडीह, सुंदरपुर, उमड़ा, अलंकेरा, गुड़मा, नाथपुर, रायडीह प्रखंड में बांसडीह, जमगई, कांसीर, कटकांया, लुरू, सिलम, कोनकेल, सलकाया, सुरसांग, सिसई प्रखंड में सकरौली, शिवनाथपुर, गम्हरिया, नगर बाजार टांड़, रेड़वा, ओलमुंडा, चेंगरी, नगर, गढ़वाली व जमगई है.

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केस वन : सोकराहातू में तीन साल में एक दिन भी नहीं खुला ताला

चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत स्थित सोकराहातू गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना है. जबकि यह अस्पताल तबेला बनना था. परंतु गलत तरीके से सोकराहातू में हेल्थ सेंटर बना दिया. परंतु अस्पताल भवन बनें, तीन साल हो गया. अब तक यह चालू नहीं हुआ है. 30 लाख रुपये से अधिक की लागत से अस्पताल भवन बना है. 2018 में यह अस्पताल बनकर तैयार हो गया था. ग्रामीण बताते हैं. एक नर्स कभी कभार आती है. बाहर बैठकर जांच करती है और चली जाती है.

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केस टू : कुम्हारी गांव में 2015 से बेकार पड़ा है हेल्थ सेंटर

बसिया प्रखंड के कुम्हारी गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विभागीय लापरवाही के कारण जर्जर होने के कगार पर है. यह भवन वर्ष 2015 में बनकर तैयार हो गया था. लेकिन विभाग द्वारा हस्तांतरित नहीं होने के कारण भवन के इर्द गिर्द झाड़ी निकल आया है. वहीं रखरखाव के आभाव में भवन जर्जर होने लगा है. समाज सेवी ईश्वर गोप ने कहा कि विभागीय लापरवाही के कारण अब खंडहर में तब्दील होने लगा है. अगर यह चालू हो जाये तो फायदा होगा.

केस थ्री : गोनमेर गांव के सेंटर में सिर्फ भवन बना, संसाधन नहीं है

पालकोट प्रखंड के गोनमेर गांव में आयुष्मान भारत हेल्थ सेंटर में सुविधा नहीं है. वर्ष 2013 में हेल्थ सेंटर का उद्घाटन किया गया था. जिसके बाद से लेकर अब तक यहां लोगों के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था बहाल नहीं हो पाया है. हेल्थ सेंटर में एक नर्स कार्यरत है. लेकिन हेल्थ सेंटर में एक एएनएम, एक सीएचओ और एक सफाई कर्मी की आवश्यकता है. हेल्थ सेंटर में संसाधन नहीं रहने के कारण इसका लाभ गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है. सेंटर चालू होने का इंतजार है.

केस फोर : लुरू गांव में पांच वर्षों से नहीं खुला है ताला

रायडीह प्रखंड के ऊपर खटंगा पंचायत के लुरू गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना है. पांच साल से अधिक हो गया. परंतु एक दिन भी भवन का ताला नहीं खुला. अब यह भवन बेकार होने लगा है. सेंटर के ठीक सामने पुराना अस्पताल भवन है. मजबूरी में नर्स इसी जर्जर भवन में बैठती है. ग्रामीण बताते हैं. अगर यह अस्पताल चालू हो जाये तो काफी फायदा होगा. चूंकि यह क्षेत्र रायडीह व गुमला से दूर है. यहां स्थायी तौर पर स्वास्थ्य व्यवस्था होना जरूरी है.

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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला

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