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2009 के बाद गुमला में नक्सलियों का बड़ा हमला, कुजाम माइंस में 27 गाड़ियों को जलाकर पुलिस को दी चुनौती

jharkhand news: नक्सलियों के निशाने पर रहा है गुमला का कुजाम माइंस. स्थापना साल 2009 को भी नक्सलियों ने हमला कर 12 गाड़ियों को जलाया था और वर्ष 2022 के शुरुआत में बड़ा हमला कर माइंस के 27 गाड़ियों को जला कर पुलिस को खुली चुनौती दी है.

Jharkhand Naxalites News: गुमला से 100 किमी की दूरी पर बिशुनपुर प्रखंड स्थित कुजाम माइंस है. चारों ओर जंगल और पहाड़ है. हालांकि, माइंस तक जाने के लिए पक्की सड़क बन गयी है, लेकिन कुछ दूरी तक सड़क खराब है. कुजाम माइंस की स्थापना वर्ष 2009 में हुई थी. माइंस के स्थापना होते ही 17 अगस्त, 2009 को भाकपा माओवादियों ने यहां हमला किया था. उस समय 12 गाड़ियों को जला दिया था. साथ ही दर्जनों कर्मचारियों की पिटाई की थी. वर्ष 2009 के बाद वर्ष 2022 के शुरुआत में नक्सलियों का यह दूसरा सबसे बड़ा हमला है. जब नक्सलियों ने एक साथ 27 गाड़ियों को जलाकर पुलिस को चुनौती दी है.

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2009 के बाद गुमला में नक्सलियों का बड़ा हमला, कुजाम माइंस में 27 गाड़ियों को जलाकर पुलिस को दी चुनौती 3

कुजाम माइंस के मैनेजर उत्तम गांगुली जो कि घटना की रात नेतरहाट में ठहरे हुए थे. घटना की सूचना पर शनिवार की सुबह पांच बजे माइंस पहुंचे. माइंस में नक्सली हमला का नजारा देखकर मैनेजर भी डर गये. मैनेजर ने कहा कि इस क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं लगता है. किसी प्रकार सुपरवाइजर रामप्रवेश सिंह ने देर रात को घटना की जानकारी दी. इसके बाद गुमला के एसपी डॉ एहतेशाम वकारीब ने मैनेजर को रात को फोन कर नक्सली हमला की जानकारी ली.

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मैनेजर ने कहा कि जब से माइंस की स्थापना हुई है. मैं यहां मैनेजर के रूप में कार्यरत हूं. इस क्षेत्र में नक्सलियों का यह बहुत बड़ा हमला है. एक साथ बड़ी संख्या में गाड़ियों को जलाया गया है. ईश्वर का शुक्र है कि नक्सलियों ने सुपरवाइजर व अन्य लोगों के साथ सिर्फ मारपीट की. किसी की जान नहीं ली. कहा कि नक्सलियों ने पोस्टर साटा है. धमकी भी दिया है कि काम बंद करें. इसलिए कुजाम माइंस का काम बंद कर दिया है. इस माइंस से हजारों लोगों की जीविका चलती है. माइंस बंद होने से लोगों की जीविका पर असर पड़ेगा.

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घटनास्थल से मिली जानकारी के अनुसार, नक्सली पीढ़ापाठ और गढ़ा कुजाम से होते हुए कुजाम माइंस नंबर-दो में पहुंचे थे. पहले सभी को बंधक बनाया. इसके बाद घटना को अंजाम दिया. सभी कर्मचारियों का मोबाइल भी जब्त कर लिया था. जाते समय मोबाइल वापस कर दिया. नक्सली दोबारा उसी रास्ते से वापस पैदल लौट गये. माइंस के अगल-बगल में नवाटोली, जावाडीह, भट्ठीपाठ, कोयनारपाठ, चोटोंग और कुजाम गांव है. जहां आदिम जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं.

नेटवर्क नहीं रहने से परेशानी

कुजाम माइंस में मोबाइल नेटवर्क नहीं है. ऊंचाई पर चढ़ने से कहीं-कहीं नेटवर्क मिलता है. जिससे कर्मचारी घर के लोगों व अन्य लोगों से बात करते हैं. रात की घटना के बाद नेटवर्क खोजकर इसकी जानकारी पुलिस को दी गयी थी, लेकिन पुलिस माइंस तक नहीं पहुंची थी.

सुबह तक धधक रही थी आग

गाड़ियों में आगे लगाने के बाद नक्सली डेढ़ घंटा रुके. इसके बाद चले गये, लेकिन गाड़ी में लगी आग शनिवार की सुबह 8 बजे तक जलती रही. आग धधकता रहा. यहां तक कि माइंस का पूरा क्षेत्र धुआं से भरा हुआ था. घटना की सूचना पर सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण माइंस पहुंचे थे.

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माइंस में हमला के बाद भी पुलिस पिकेट से अधिकारी व जवान नहीं निकले. यहां तक कि सुबह जब मीडियाकर्मी पहुंचे, तो उस समय भी पुलिसकर्मी पिकेट के अंदर थी. जब मीडियाकर्मी पिकेट के अंदर प्रवेश कर घटना की जानकारी लेने का प्रयास किये, तो जवानों ने प्रवेश करने नहीं दिया. पुलिस में डर इतना था कि पिकेट के अंदर से ही कुछ मिनट बात की और कहा कि घटना की जानकारी हमें नहीं है. वहीं, तीन लोग सुबह 7.30 बजे पिकेट से निकले. वे लोग सादे लिबास में थे. वे बाइक से निकले और कुछ देर के बाद दोबारा पिकेट में घुस गये.

जैसा कर्मचारियों ने कहा : जिंदा हैं, बस यही मान लीजिये

गुमला से प्रभात खबर के प्रतिनिधि सुबह 5.30 बजे कुजाम माइंस के लिए रवाना हुए. 100 किमी की दूरी तय कर 8.00 बजे कुजाम माइंस पहुंचे. उस समय माइंस में काफी संख्या में लोग मौजूद थे. सभी के चेहरे में डर था. माइंस के मैनेजर उत्तम गांगुली व सुपरवाइजर रामप्रवेश सिंह जली हुई गाड़ियों का नंबर नोट कर रहे थे. प्रभात खबर से बात करते हुए कर्मियों ने कहा कि साहब, यह आप समझ लीजिये कि हम 40 कर्मी जिस प्रकार शुक्रवार की रात को मुसीबत में फंसे थे. जीवन व मौत दोनों आंख के सामने झूल रही थी. जिंदा हैं. यह भगवान की कृपा है.

नक्सली हथियार लेकर माइंस के कैंप में घुसे और कर्मियों को बंधक बना लिया. कई कर्मी भाग गये तो कई कर्मी भागने के दौरान पकड़े गये. जिसे नक्सलियों ने बंदूक के बट से पीटा. नक्सलियों ने सभी को एक कोने में बैठा दिया और बंदूक तानते हुए नहीं उठने की धमकी दी. नहीं तो गोली मारने की बात कही. डर से सभी कंपकपाती ठंड में बंदूक की नोक पर बैठे हुए थे.

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सुपरवाइजर रामप्रवेश सिंह ने कहा कि माइंस में ड्राम में डीजल व मोबिल था. नक्सली उससे सभी गाड़ियों में आग लगा दिया. यहां तक कि हमलोगों के पानी पीने के लिए रखे गये पानी टैंकर को भी जला दिया. जिससे पीने का पानी खत्म हो गया. कुछ पानी ड्राम में रखा हुआ था तो उसमें डीजल पड़ गया. शनिवार की सुबह को पानी जुगाड़ कर प्यास बुझाये. रात को खाना नहीं खाये. सुबह को 10 बजे के बाद नास्ता किये.

इन वाहनों को जलाया

वाहन : संख्या
पोकलेन : 02
जेसीबी : 04
हाइवा : 17
पिकअप : 02
वाटर टैंकर : 02
कुल : 27

घटनाक्रम इस प्रकार है

नक्सली हमला हुआ : शुक्रवार की रात 7.30 बजे
नक्सली माइंस में रुके रहे : रात 9.00 बजे तक
पुलिस को सूचना दी गयी : रात करीब 9.00 बजे
पुलिस माइंस में पहुंची : सुबह करीब 7.30 बजे
वरीय अधिकारी पहुंचे : सुबह करीब 10.00 बजे

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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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