Jharkhand News: गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के चाकडीपा, गुंगरूपाट व कोट्यापाट गांव में रहनेवाले असुर जनजाति के 40 बच्चों की पढ़ाई बंद हो गयी है. चार साल पहले विद्यार्थियों की संख्या कम होने के कारण चाकडीपा स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय बंद कर दिया गया था. इसके बाद से स्कूल खुला ही नहीं. बच्चों की पढ़ाई बंद होने के बाद इन बच्चों के भविष्य को लेकर माता-पिता चिंतित हैं. स्थिति ये है कि बच्चे अपना नाम तक लिखना भूल गये हैं.
स्कूल बंद होने से छूट गयी बच्चों की पढ़ाई
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के चाकडीपा, गुगरूपाट व कोट्यापाट गांव के ग्रामीणों ने बंद पड़े चाकडीपा स्कूल में बैठक की. ग्राम प्रधान इसदौर असुर ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि जब तक चाकडीया स्कूल चालू था. हमारे गांव के बच्चे स्कूल जाते थे, लेकिन चार साल पहले बिना कोई सूचना के शिक्षा विभाग ने चाकडीया स्कूल को छह किमी दूर लिंगिरपाट स्कूल में मर्ज कर दिया. इसके बाद गांव से स्कूल की दूरी छह किमी हो गयी. दूरी अधिक होने, पहाड़ी व जंगली रास्ता होने के कारण तीनों गांव के बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया. जानवरों के डर व व नक्सलियों की आवाजाही के डर से माता-पिता अपने बच्चों को अकेले स्कूल नहीं भेजते हैं. ग्राम प्रधान ने प्रशासन से चाकडीपा स्कूल को चालू करने की मांग की है. जनावल पंचायत के चाकडीपा गांव में 36, गुंगरूपाट में 23 व कोट्यापाट में 30 घर हैं.
40 बच्चों की पढ़ाई बंद
मुखिया प्रियंका कुमारी ने कहा कि छह से 18 वर्ष के करीब 40 बच्चों की पढ़ाई बंद हो गयी है. स्थिति यह है कि 10 से 12 साल के बच्चे अपना नाम तक लिखना नहीं सीख पाये हैं. चाकडीपा स्कूल चालू हो जाये, तो गांव के इन बच्चों का भविष्य बन जायेगा.
रिपोर्ट : : दुर्जय पासवान, गुमला