Common Man Issues: गुमला जिला के प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत कार्ड (Ayushman Bharat Card) से मरीजों का इलाज बंद है. इलाज बंद होने के कारण जिला के लोगों को इसकी सुविधा नहीं मिल रही है. इसके कारण मरीजों को इलाज के बिना वापस लौट रहे हैं.
प्राइवेट हाॅस्पिटल के साथ हुआ था MoU
बता दें कि आयुष्मान भारत कार्ड से पांच लाख रुपये तक का नि:शुल्क इलाज की सुविधा है. शुरुआती दौर में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज की सुविधा सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक ही सीमित थी, लेकिन बाद में आमजनों को इसकी सुविधा प्राइवेट हॉस्पिटल में भी मुहैया करायी गयी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग एवं जिला मुख्यालय में केयर एडवांस मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नम्रता अस्पताल एवं घाघरा प्रखंड में संचालित भगवती हेल्थ केयर आदि प्राइवेट हॉस्पिटल से एमओयू (समझौता ज्ञापन) किया गया. एमओयू होने के बाद प्राइवेट हॉस्पिटल में आंख का ऑपरेशन, बच्चेदानी का ऑपरेशन, हाईड्रोसिल, हर्निया, पथरी, गोल ब्लाडर, बड़ा ऑपरेशन से डिलिवरी, बच्चेदानी का ऑपरेशन, हड्डी ऑपरेशन सहित अन्य जेनरल मेडिसीन एवं जेनरल सर्जरी के मरीज पहुंचने लगे.
इलाज की सुविधा नहीं मिलने से निराश हो रहे लोग
इधर, विगत सात-आठ माह से इन सभी प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड से इलाज बंद हो गया है. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. आयुष्मान भारत कार्ड से सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं होने के बाद लोग प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां भी आयुष्मान कार्ड से इलाज बंद कर दिया गया है. जिससे लोगों को निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है.
इनलोगों को नहीं मिली सुविधा
अभी कुछ दिनों पहले ही सदर प्रखंड के मुरकुंडा निवासी दीपेश्वर सिंह अपने टूटे हुए पैर का इलाज कराने के लिए एक प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचे थे. उनका एक पैर पहले टूट चुका है. जिसका इलाज आयुष्मान भारत कार्ड से हुआ था. इस बार उनका एक और पैर टूट गया. इसके इलाज के लिए भी वे प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचे थे, लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचने पर उन्हें पता चला कि यहां आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज की सुविधा नहीं है. जिसपर वे निराश होकर लौट गये. इनके अलावा एक और बच्ची बघिमा निवासी प्रदीप चौधरी की पुत्री साक्षी कुमारी भी अपनी मां के साथ अपने पैर से रड निकलवाने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंची थी. जिस समय साक्षी का पैर टूट गया था. उस समय उसके टूटे हुए पैर का इलाज आयुष्मान भारत कार्ड से हुआ था. अब जब उसका पैर ठीक हो गया, तो वह आयुष्मान भारत कार्ड से अपने पैर का रड निकलवाने के लिए पहुंची थी. लेकिन, प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज बंद होने के कारण बच्ची के पैर का रड भी नहीं निकाला जा सका.
नया नियम थोपा जा रहा है, भुगतान भी लंबित है
केयर एडवांस मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पीटल के निदेशक सह संचालक डॉक्टर सौरभ प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राइवेट हॉस्पिटल में जबरन नये-नये नियम थोपा जा रहा है. साथ ही आयुष्मान भारत कार्ड से मरीजों के इलाज का भुगतान भी लंबित है. नम्रता अस्पताल के निदेशक सूर्यमणि तिवारी ने बताया कि उनका आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज का काफी पैसा लंबित है. भुगतान के लिए सिविल सर्जन कार्यालय, गुमला में सभी कागजातों के साथ आवेदन दिये हैं. लेकिन, वहां से जांच के नाम पर अभी तक भुगतान नहीं किया गया है. पैसा का भी अभाव है. जिस कारण आयुष्मान से इलाज नहीं कर पा रहे हैं. घाघरा प्रखंड में संचालित भगवती हेल्थ केयर के संचालक धीरज भगवती ने बताया कि उनके यहां आईसीयू की सुविधा नहीं होने के कारण आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज बंद है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज करने के लिए आईसीयू की सुविधा होनी जरूरी है.
प्राइवेट हॉस्पिटल के दो जगह से पैसे लेने के मामले की हो रही जांच : सिविल सर्जन
इस संबंध में गुमला के सिविल सर्जन डॉ राजू कच्छप ने कहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज के बाद आयुष्मान भारत से भी पैसा ले रहे हैं और सरकार से भी पैसा ले रहे हैं. इसकी जांच चल रही है. सीएस ने बताया कि कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज की सुविधा अभी है.
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रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.