Jharkhand News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : गुमला जिले के सिसई प्रखंड के पिलखी डांड़टोली निवासी झारखंड आंदोलनकारी पोगो उरांव (65) सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद कोरोना व आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अपना इलाज नहीं करा पा रहे हैं. घर के समीप पेड़ के नीचे बेड लगाकर वे कई दिनों से पड़े हुए हैं. गरीब बिटिया ने इनके इलाज के लिए बैल बेच दिये. घर बनाने के लिए रखे रुपये लगा दिए. फिर भी ये स्वस्थ नहीं हो सके हैं. इधर बिटिया के अपना घर का सपना अधूरा रह गया.
पोगो उरांव की बेटी सुषमा उराइन ने बताया कि दुर्घटना के बाद उन्हें सदर अस्पताल, गुमला में भर्ती कराया गया था. जहां से बढ़ते कोरोना संक्रमण का हवाला देकर 15 अप्रैल को छुट्टी दे दी गयी. इसके बाद उन्हें बेटी वापस अपने घर ले आयी. सुषमा की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उसके पास रहने के लिए अपना घर नहीं है. इस कारण अपने पिता को एक तंबू में रखकर उनकी देखभाल के साथ खुद मरहमपट्टी कर रही है. रुपया जुगाड़ कर घर बनाने लिए सुषमा का पति दीपक उरांव एक साल पहले मजदूरी करने मलेशिया गया है. पति के भेजे रुपयों से घर बन रहा था, लेकिन पिता के इलाज में रुपया खर्च होने के कारण घर भी अधूरा है.
पोगो उरांव के इलाज में अभी तक 60 हजार रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं. रुपयों के जुगाड़ के लिए सुषमा ने 29 हजार में अपना बैल भी बेच दिया है. फिर भी पोगो की हालत जस की तस बनी हुई है. सुषमा ने बताया कि पिता पोगो उरांव का कंधा से लेकर बायां हाथ पूरी तरह से कुचल गया है. बायां पैर के जांघ की हड्डी नौ से 10 इंच चूर हो गयी है. बिस्तर से उठ नहीं पाते हैं. पेशाब के लिए पाइप लगा हुआ है. बिस्तर में ही मलमूत्र करते हैं.
अपने पिता की देखभाल व इलाज में घर की माली हालत खराब हो गयी है. पोगो उरांव व सुषमा का परिवार थोड़ी बहुत कृषि व मजदूरी से चलता है. दोनों का राशन कार्ड नहीं है. दुर्घटना के बाद इलाज के लिए 10 हजार रुपया देकर वाहन मालिक समझौता करना चाहता था. जिसे लेने से इंकार कर दिया गया और वाहन पर केस दर्ज कराया गया है. केस दर्ज कर पुलिस ने वाहन जब्त कर लिया है, लेकिन पोगो के इलाज की व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की जा रही है.
Posted By : Guru Swarup Mishra