Jharkhand News, Gumla News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : गुमला की फ्लोरेंस बारला ने मंगलवार (9 मार्च, 2021) को ओड़िशा राज्य के भुवनेश्वर में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ट्रायल प्रतियोगिता (World University Trial Competition) में गोल्ड मेडल जीती है. इससे पहले भी फलोरेंस ने कजिस्तान में आयोजित यूरो एशिया कप में दो गोल्ड मेडल जीती थी. लेकिन, ठीक इसके उलट इस नेशनल खिलाड़ी के घर की माली हालत अच्छी नहीं है. मां मजदूरी करती है और घर में बिजली और शौचालय तक नहीं है.
गुमला जिला के कामडारा प्रखंड स्थित नवाडीह गांव में नेशनल एथलीट फलोरेंस बारला का घर है. घर की माली हालत काफी खराब है. इसके बावजूद जुनून ने फ्लोरेंस को एक मुकाम दिलाया. नेशनल एथलीट फलोरेंस बारला के घर में शौचालय व बिजली नहीं है. बरसात के दिन में घर की छत से पानी टपकता है. यहां तक कि राशन कार्ड में फलोरेंस का नाम तक नहीं चढ़ा है. मां मजदूरी कर भरन-पोषण कर रही है. फ्लोरेंस वर्ष 2018 में रांची में आयोजित प्रतियोगिता में 400 मीटर दौड़ में गोल्ड जीती. फलोरेंस लगातार जीत दर्ज कर रही है. झारखंड के साथ देश का नाम ऊंचा कर रही है. इसके बावजूद सरकार से जो सहायता मिलनी चाहिए वह सहायता फलोरेंस व उसके परिवार को नहीं मिल रही है, जबकि परिवार के लोगों ने कई बार गुमला प्रशासन से मदद की गुहार लगा चुके हैं.
फ्लोरेंस बारला के पिता बिलियम बारला का निधन हो गया है. मां रजोला आइंद पर परिवार चलाने की जिम्मेवारी है. फ्लोरेंस की 5 भाई- बहन है. सबसे बड़ा भाई भी मजदूरी करता है. वहीं, 4 बहनों में फ्लोरेंस दूसरे नंबर पर है. छोटी बहन आशा बारला भी नेशनल एथलीट है. कई बार वह भी गोल्ड मेडल जीत चुकी है. फ्लोरेंस की मां दूसरों के खेत में धांगर का काम करती है. उससे जो पैसा मिलता है. उससे घर का चूल्हा जलता है. परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है. किसी प्रकार घर की जीविका चलता है. बड़ी मुश्किल से फलोरेंस पढ़ाई कर रही है. अभी वह बीए पार्ट वन में है और रामलखन सिंह यादव कॉलेज, रांची में पढ़ाई कर रही है. गरीबी के कारण ही फ्लोरेंस व आशा की पढ़ाई और प्रशिक्षण में कई बार कोच आशु भाटिया मदद किये हैं.
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लॉकडाउन में फ्लोरेंस और उसकी छोटी बहन को कोच आशु भाटिया ने अपने घर में अपने परिवार के साथ रखा. साथ ही दोनों बहनों को नियमित प्रशिक्षण भी देते रहे. कोच श्री भाटिया ने बताया कि लॉकडाउन में प्रशिक्षण व पौष्टिक आहार की समस्या को देखते हुए दोनों बहनें घर नहीं गयी. मेरे घर में रहकर नियमित प्रशिक्षण ली है. जिसका नतीजा है कि फ्लोरेंस ने भुवनेश्वर में गोल्ड मेडल जीती है. कोच ने बताया कि फलोरेंस का नाम परिवार के साथ राशन कार्ड में नहीं चढ़ा है. कई बार राशन कार्ड में नाम चढ़ाने की मांग की गयी. अधिकारी फ्लोरेंस के घर तक गये, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने उभरते एथलीट की मदद नहीं की. अभी फ्लोरेंस रांची के SAPS एकेडमी में रहकर प्रशिक्षण ले रही है. उसकी खेल प्रतिभा को देखते हुए भुवनेश्वर में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भाग ली जिसमें वह 400 मीटर दौड़ में गोल्ड प्राप्त की है.
फ्लोरेंस के घर में शौचालय नहीं है. कई बार आवेदन किया. फिर भी किसी ने सुध नहीं ली, जबकि गुमला जिला ओडीएफ घोषित है. यहां गुमला प्रशासन के लिए दुर्भाग्य की बात है. एक नेशनल एथलीट के घर में शौचालय बनवा नहीं पाया. जिससे परिवार के सभी सदस्य खुले में शौच करने जाते हैं.
इधर, कोच आशु भाटिया ने सरकार और गुमला प्रशासन से अपील है कि फ्लोरेंस बारला के परिवार व घर की जो समस्या है उसका निदान करें क्योंकि फ्लोरेंस नेशनल एथलीट है. अगर उसे संसाधन व मदद मिलेगी, तो वह और बेहतर करेगी.
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वहीं, कामडरा ब्लॉक के प्रभारी बीडीओ रवींद्र गुप्ता ने कहा कि मुझे पता नहीं है कि कामडारा में नेशनल एथलीट रहती है और उसके घर में समस्या है. अगर शौचालय, बिजली, पक्का घर व राशन कार्ड में नाम नहीं चढ़ने की समस्या है, तो मैं जांच कराकर समस्या दूर करने का प्रयास करूंगा.
Posted By : Samir Ranjan.