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Under-17 भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तान अष्टम के मां-बाप कर रहे मजदूरी, नहीं मिले अब तक रुपये

गुमला में जिस अंडर-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान अष्टम उरांव के नाम से PCC सड़क बन रही है, उसी में उनके मां-बाप काम करते दिखे. इतना ही नहीं, काम के एवज में इन्हें पूरी रुपये भी नहीं मिले हैं. अष्टम के मां-बाप अपनी बेटियों की अच्छी परवरिश की खातिर मजदूरी करने की बात कह रही है.

Ground Report: गुमला के गांव की उबड़-खाबड़ ग्राउंड से खेलकर और माड़-भात खाकर अंडर-17 भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तान बनी अष्टम उरांव के मां-बाप मजदूरी करते दिखे. जिस बेटी के नाम से PCC सड़क का निर्माण हो रहा है, उसी सड़क निर्माण में उसके मां-बाप मजदूरी कर रहे हैं. इतना ही नहीं, इन्हें पूरी मजदूरी भी नहीं मिली है. आधा मजदूरी दिया गया है, जबकि आधे मजदूरी की राशि अब भी ठेकेदार के पास है.

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अष्टम के मां-बाप बने मजदूर

बता दें कि गुमला की बेटी अष्टम उरांव ने अपने बुलंद हौसले एवं जज्बे से अपनी अलग पहचान बनायी और आज वह फीफा वर्ल्ड कप (Fifa World Cup) में भारतीय महिला फुटबॉल टीम (Indian Women’s Football Team) की कप्तान बनी. प्रशासन ने अष्टम को सम्मान देने के लिए उसी के नाम से गांव में पीसीसी सड़क बनवा रही है. सड़क पूर्ण होने की स्थिति में है. यह सड़क ठीक अष्टम उरांव के घर के सामने से बन रही है. लेकिन,इसी सड़क को बनाने में अष्टम के पिता गोरेलाल उरांव एवं मां तारा देवी मजदूरी कर रही है.

मां-बाप का सपना, तीनों बेटियां खेल में करे बेहतर

अष्टम के माता-पिता ने बताया कि मजदूरी का आधा पैसा मिल गया है. अभी आधा पैसा ठेकेदार के पास बकाया है. कहा कि काम पूरा होने के बाद पैसा मिलने की उम्मीद है. पिता गोरेलाल ने कहा कि स्थिति और परिस्थिति में कुछ भी काम करना पड़ता है. हमारे दादा-परदादा मजदूरी एवं खेती-बारी करते आये. आज हम भी खेती-बारी के साथ मजदूरी करते हैं, ताकि घर का चूल्हा-चौका जल सके. हमारा एक ही सपना है. हमारी तीनों बेटियां खेल के क्षेत्र में बेहतर करें. तीनों बेटियां फुटबॉल खेल में आगे है. अपने बलबूते और अनुशासन के बल पर अष्टम उरांव को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया है.

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बेटियों की अच्छी परवरिश के लिए कर रहे मजदूरी

वहीं, मां तारा देवी ने कहा कि हम मजदूरी अपनी बेटियों की अच्छी परवरिश के लिए करते हैं. पैसा रहेगा, तभी हम अपनी बेटियों को हर सुविधा उपलब्ध करा सकेंगे. तब वे खेल में बेहतर करेंगे. मजदूरी करने में हमें कोई शर्म नहीं है,  बल्कि खुशी है. प्रशासन ने मेरी बेटी के नाम से गांव में सड़क बनवा रही है और उस सड़क में हम मजदूरी कर रहे हैं. यह हमारे लिए गर्व की बात है. मजदूरी करने के काम को दूसरे नजर से नहीं देखा जाना चाहिए.

परिवार के लोग परिस्थितिवश कर रहे मजदूरी : बीडीओ

इस संबंध में बिशुनपुर के बीडीओ छंदा भट्टाचार्य ने कहा कि प्रतिभा और परिस्थिति अलग-अलग चीज है. अष्टम अपनी प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ रही है. जहां तक परिवार की स्थिति की बात है. परिवार की स्थिति में सुधार किया जा रहा है. परिवार के लोग परिस्थितिवश मजदूरी कर रहे हैं.

मजदूरी को दूसरे नजरिए से देखना गलत : डीएसओ

वहीं, गुमला डीएसओ हेमलता बून ने कहा कि अष्टम उरांव इंडिया टीम की कप्तान है, लेकिन उसके माता-पिता मजदूरी कर रहे हैं. इसे किसी दूसरे नजरिये से नहीं देखते हुए पॉजिटिव सोच रखनी चाहिए. परिवार जिस परिस्थिति एवं स्थिति में रहता है. उसी के अनुसार काम करता है.

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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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