Jharkhand news: झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत जिस घर में देश के महान सपूत शहीद अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. आज वह घर ध्वस्त हो रहा है. कभी भी भवन गिर सकता है. कुछ कमरे ध्वस्त हो चुके हैं. एक कमरा बचा है. उसपर खपड़ा है. वह भी टूट रहा है. अगर शहीद के इस निशानी को नहीं बचाया गया, तो आनेवाली पीढ़ी शहीद की पहचान को भूलते जायेंगे.
परिवार के लोगों ने कई बार प्रशासन से ध्वस्त हो रहे भवन को बचाने, उसके संरक्षण व उसे दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की, लेकिन राज्य में सरकारें बदलती गयी. किसी ने शहीद के उस घर को बचाने का प्रयास नहीं किया. जिस घर पर देश के सबसे बड़े रियल हीरो शहीद अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था.
हालांकि. अभी भी समय नहीं गया है. गुमला प्रशासन किसी भी सरकारी योजना या फंड से इस भवन को सुरक्षित रखने का प्रयास कर सकता है. अगर गुमला प्रशासन ध्वस्त हो रहे भवन को बचा लेती है, तो आनेवाली पीढ़ी के लिए यह किसी ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं होगा.
Also Read: जारी में लगी परमवीर अल्बर्ट एक्का की प्रतिमा क्षतिग्रस्त, मुखिया ने कहा- शहादत दिवस पहले करा दिया जाएगा ठीक
गुमला के जारी गांव में जन्मे अलबर्ट एक्का 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गये थे. शहीद होने से पहले उन्होंने दर्जनों दुश्मनों को मार गिराया था. यहां तक कि उनकी बहादुरी के कारण सैंकड़ों भारतीय सेना की जान बची थी. ऐसे महान सपूत का गांव में एक म्यूजियम होना आनेवाली पीढ़ी के लिए देशभक्ति व सेना में जाने के लिए प्रेरणा प्रदान करेगी. शहीद के बेटे विंसेंट एक्का (51 वर्ष) ने गांव में अपने शहीद पिता की पहचान को सुरक्षित रखने के लिए म्यूजियम बनाने की मांग की है.
विंसेंट एक्का ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद मेरी ही जमीन पर मेरे शहीद पिता का समाधि स्थल बना है. समाधि स्थल की घेराबंदी हो गयी है. सीमेंट की कुछ बेंच बने हैं. जिस स्थान पर समाधि स्थल है. वहीं पास और जमीन है. जहां सरकार व प्रशासन पहल कर शहीद के नाम से एक म्यूजियम बना सकती है. म्यूजियम में शहीद अलबर्ट एक्का के जन्म से लेकर शहादत तक की जानकारी संग्रह कर रखा जा सकता है, ताकि आनेवाली पीढ़ी युगों-युग तक म्यूजियम के माध्यम से शहीद की वीरता की कहानी पढ़ सकेंगे.
मुखिया दिलीप बड़ाइक ने जारी गांव में सैनिक स्कूल खोलने की मांग की है. क्योंकि शहीद अलबर्ट एक्का से प्रेरणा लेकर कई युवा सेना में जाना चाहते हैं. लेकिन, यही मार्गदर्शन, शिक्षा व प्रशिक्षण नहीं मिलने से गांव के युवा सेना में जाने से वंचित हो रहे हैं.
Also Read: गुमला के 11 गांवों में बिजली व सड़क नहीं है, पीएम आवास योजना का भी नहीं मिल रहा फायदा
हाल के महीनों में गांव के दर्जनों युवक सेना में जाने के लिए भाग लिये. दौड़ निकाला, मेडिकल भी निकाला. लेकिन, लिखित परीक्षा में फेल हो जा रहे हैं. अगर जारी गांव में सैनिक स्कूल रहेगा, तो यहां के अधिक से अधिक युवा सेना में जा सकते हैं और शहीद अलबर्ट एक्का की तरह ईमानदार, अनुशासन व बहादुरी से देश की सेवा करेंगे.
रिपोर्ट: दुर्जय पासवान, गुमला.