17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News : क्या सचमुच विलुप्त हो रहे बगुले, किसानों के दोस्त व पर्यावरण के रक्षक अब क्यों नहीं आते नजर

बगुले किसानों के दोस्त हैं. फसलों की सुरक्षा करते हैं. फसलों में हानिकारक कीट लगता है. जिसे बगुला चुनकर खाते हैं. हालांकि जिन स्थानों पर आबादी बढ़ी है. घर बना है. वहां बगुले कम हुए हैं, परंतु अभी भी कई ऐसी सुरक्षित जगह हैं, जहां बगुले को देखा जा सकता है.

Jharkhand News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला शहर में बगुले विलुप्त हो रहे हैं. दलदली खेतों में अब बगुले नजर नहीं आते हैं. एक समय था जब गुमला शहर के दलदली खेत व तालाबों के किनारे बगुले झुंड में नजर आते थे. अब बिरले ही कहीं नजर आते हैं. गुमला शहर में जिस तेजी से आबादी बढ़ी है. खेत व दलदली जगह पर भी अनगिनत घर बन गये हैं. इस कारण जहां कल तक बगुले अपने भोजन की तलाश में आते थे. इससे किसानों व पर्यावरण को फायदा होता था. अब बगुले न के बराबर आ रहे हैं.

गिद्ध के बाद अब बगुले भी लोगों की आंखों से ओझल होते जा रहे हैं, जबकि ये पहले झुंड में दिखायी देते थे. एक जमाने में कहावत थी कि गये पेड़ जो बगुला बैठे. यानी बगुले के बीट से पेड़ के सूखने का खतरा रहता था, लेकिन यही बगुला खेत, तालाब व कम पानी के अंदर से कीड़ा का सफाया भी करते थे. जिससे पर्यावरण की रक्षा होती थी. खेतों में बन रहे घर और फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग ने बगुले को विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया है. इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं जो शिकार कर इसका मांस खाते हैं.

Also Read: Jharkhand News : छठ को लेकर नहाने गया था तालाब, डूबने से हुई मौत, शव बरामद

गुमला जिले के गांधी नगर के एक बड़े भूखंड पर किसान खेती करते थे. यह दलदली इलाका था. जहां हर साल ठंड के मौसम में सैकड़ों बगुले आकर बैठते थे. अपना भोजन करते थे, परंतु गांधी नगर में चारों ओर घर बन गये हैं. कुछ दलदली जगह बचा है. जहां एक-दो बगुले घूमते नजर आ जाते हैं. गांधी नगर के अलावा सिसई रोड तालाब, गोकुल नगर का कुछ हिस्सा, मुरली बगीचा का तालाब, बस पड़ाव के पीछे का हिस्सा, लोहरदगा रोड आरा मील का हिस्सा, आजाद बस्ती का हिस्सा, खड़िया पाड़ा का हिस्सा, शांति नगर में भी अब कभी कभार बगुले नजर आते हैं.

Also Read: पद्मश्री छुटनी देवी : कभी डायन-बिसाही का लगा था दाग, आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया सम्मानित

किसान भोला चौधरी बगुले की कमी को भविष्य के लिए खतरा मानते हैं. वे बताते हैं कि खेत की जुताई से लेकर कटाई तक बगुला किसान का सहयोगी रहा है. जुताई के समय बगुले के झुंड हल के पीछे-पीछे दिन भर चलते थे व खेत के अंदर से निकलने वाले एक-एक कीट को चुनकर खा जाते थे. पटवन के दौरान बगुला कीट को खाता था.

Also Read: पटना पुलिस द्वारा बिना बताए अधिवक्ता को ले जाने के मामले में बिहार के गृह सचिव को प्रतिवादी बनाने का निर्देश

कृषि वैज्ञानिक अटल तिवारी ने कहा कि बगुले किसानों के दोस्त हैं. फसलों की सुरक्षा करते हैं. फसलों में हानिकारक कीट लगता है. जिसे बगुला चुनकर खाते हैं. हालांकि जिन स्थानों पर आबादी बढ़ी है. घर बना है. वहां बगुले कम हुए हैं, परंतु अभी भी कई ऐसी सुरक्षित जगह हैं, जहां बगुले को देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि लोगों को इन पक्षियों को बचाने की योजना बनानी चाहिए.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें