20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आदिवासियों की जमीन लूटने से बचाने के लिए कार्तिक उरांव ने सबसे पहला किये थे आंदोलन, 29 को है जयंती

29 अक्टूबर को कार्तिक उरांव की जयंती है. कार्तिक उरांव जवाहर लाल नेहरू के कहने पर राजनीति में आये थे. इसके बाद तीन बार सांसद और एक बार विधायक बने थे. इससे पहले विश्व को सबसे बड़े ऑटोमेटिक पावर स्टेशन का प्रारूप ब्रिटिश सरकार को दिया था.

Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : 29 अक्टूबर को कार्तिक उरांव की जयंती है. गुमला जिला के लिटाटोली गांव में 29 अक्तूबर, 1924 को कार्तिक उरांव का जन्म हुआ था. कार्तिक उरांव ने 1959 ईस्वी में दुनिया के सबसे बड़े ऑटोमेटिक पावर स्टेशन का प्रारूप ब्रिटिश सरकार को दिया था, जो आज हिंकले न्यूक्लियर पावर प्लांट के नाम से विद्यमान है. जवाहरलाल नेहरू के कहने पर कार्तिक उरांव राजनीति में आये थे. वे तीन बार सांसद व एक बार विधायक रहे. आदिवासियों की जमीन लूटने से बचाने के लिए सबसे पहला आंदोलन कार्तिक उरांव ने किया था.

1968 में जब भूदान आंदोलन तेज था. आदिवासियों की जमीन कौड़ी के भाव बिक रहा था. ऐसे समय में कार्तिक उरांव ने इंदिरा गांधी से अपील किया कि आदिवासियों की जमीन लूटने व भूमिहीन होने से बचाये. कार्तिक उरांव 9 साल तक विदेश में रहे. विदेश प्रवास के बाद 1961 के मई माह में एक कुशल व दक्ष इंजीनियर के रूप में स्वदेश लौटे. वे रांची के HEC में सुपरीटेंडेंट कंस्ट्रक्शन डिजाइनर के पद पर काम किये. बाद में उन्हें डिप्टी चीफ इंजीनियर डिजाइनर के पद पर प्रोन्नति मिली.

नेहरू के कहने पर आदिवासियों की हालात देख राजनीति में आये

विदेश से पढ़कर जब कार्तिक उरांव अपने देश लौटे. उस समय छोटानागुपर के आदिवासियों की हालात को देख कार्तिक उरांव ने समाज के लिए काम करने का दृढ़ संकल्प लिया और जवाहरलाल नेहरू के कहने पर वर्ष 1962 में HEC के बड़े पद को छोड़ राजनीति में प्रवेश किये. कार्तिक उरांव ने 1962 में कांग्रेस से लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव में खड़े हुए. चुनाव हार गये पर हिम्मत नहीं हारी.

Also Read: छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव 2021 में शामिल हुए CM हेमंत,बोले- आदिवासी समुदाय को आगे बढ़ाने में जुटी है झारखंड सरकार

1967 ईस्वी में दोबारा लोकसभा चुनाव में कूद पड़े और भारी मतों से विजयी हुए. इसके बाद वे 1971 व 1980 ईस्वी के लोकसभा चुनाव में सांसद बने थे. 1977 में भी वे चुनाव लड़े थे. लेकिन हार गये. लोकसभा में हारने के बाद 1977 में उन्होंने बिशुनपुर विधानसभा से चुनाव लड़े और भारी मतों से विजयी हुए थे. 8 दिसंबर, 1981 को उनका निधन हुआ था. आज भी कार्तिक उरांव आदिवासियों के मसीहा व छोटानागपुर के काला हीरा के रूप में जाने जाते हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें