Jharkhand Weather News (दुर्जय पासवान, गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड का एक गांव है ऊंचडीह. यह गांव थंडरिंग जोन है. इस गांव के 111 परिवार के लोग आज भी डर में जी रहे हैं. जब भी आसमान में बिजली गरजता है. इस गांव में वज्रपात होता है. इस कारण, गांव के 111 परिवार को हर समय जान का खतरा बना रहता है.
साल 2020 व 2021 (18 मई तक) के आंकड़े को देंखे, तो इस गांव में 50 से अधिक पशुओं की मौत वज्रपात की चपेट में आने से हो गयी है, जबकि कई ग्रामीण वज्रपात के झटके से घायल हो चुके हैं. एक सप्ताह पहले गांव की एक बच्ची घायल हो गयी थी. इलाज के बाद उसकी जान बची है. ऊंचडीह गांव, जंगल से घिरा है. साथ ही ऊंचे पहाड़ के ठीक किनारे गांव है. पहाड़ पर भी कई घर बसे हुए हैं. इस कारण, यहां वज्रपात अधिक होता है. कई बार तो घर में भी वज्रपात होता है. ग्रामीण कहते हैं कि जब भी आसमान गरजता है, तो डर से घरों में दुबकने को मजबूर होना पड़ता है.
ऊंचडीह गांव में 111 परिवार में 638 लोग हैं. यह गांव पढ़ा- लिखा है. यहां रोमन कैथोलिक, जीईएल के अलावा मुंडा व आदिवासी परिवार के लोग रहते हैं. यह गांव 100 साल पहले बसा है. गांव के लोग बताते हैं. पूर्वज आकर पहाड़ के किनारे बस गये. इसलिए ऊंचडीह गांव पहाड़ के समीप बसा हुआ है. पहाड़ पर कई घर है. इस कारण गांव का नाम ऊंचडीह पड़ा. धीरे-धीरे गांव की तकदीर व तसवीर बदल रही है. लेकिन, वज्रपात से गांव के लोग डर-डर कर जीते हैं. बरसात शुरू होते ही तीन महीने तक ग्रामीण भय के साये में रहते हैं. अगर कोई खेत में रहता भी है, तो बारिश होने व बादल गरजने के बाद भागकर घर अा जाते हैं. ऊंचे पहाड़ होने के कारण यहां आसमानी बिजली भी जोरदार गरजता है.
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गांव के युवक अमल तिर्की ने कहा कि हमारे गांव के लोग सुरक्षित रहे. इसके लिए प्रशासन गांव में तड़ित चालक लगाये. पहले स्कूल में दो तड़ित चालक था. लेकिन, दोनों तड़ित चालक गायब हो गया. ऐसे गांव से दूरी पर स्कूल है. इसलिए स्कूल में लगे तड़ित चालक से सिर्फ स्कूल के बच्चों को सुरक्षा मिलती थी. गांव के लोगों को उससे सुरक्षा नहीं मिलती थी. इसलिए गांव में दो तड़ित चालक जरूरी है, ताकि लोग डर से निकलकर आराम से रह सके. पशुओं की भी जान बचेगी. गुमला प्रशासन से अपील है. तड़ित चालक लगाने की दिशा में पहल हो.
इस संबंध में ऊंचडीह के वार्ड सदस्य अमरबेली खासा कहते हैं कि यह गांव थंडरिंग जोन है. बारिश के मौसम में आसमानी बिजली खूब गरजता है. वज्रपात भी होता है. दो साल में 50 से 60 पशुओं की मौत हो चुकी है. कई लोग घायल भी हुए हैं. गांव की सुरक्षा के लिए तड़ित चालक लगाना जरूरी है.
Posted By : Samir Ranjan.