Jharkhand News, गुमला न्यूज, (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले के 12 प्रखंडों में 14वें वित्त आयोग की राशि में करीब तीन करोड़ रुपये के घोटाला की आशंका है. इसके लिए जांच कमेटी बनायी गयी है, परंतु अभी तक जांच अधूरी है. प्रशासन के अनुसार सिर्फ पालकोट प्रखंड के बीडीओ ने जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की है. 11 ब्लॉक द्वारा अभी तक जांच भी शुरू नहीं की गयी है. इससे घोटाला पर पर्दा डालने की आशंका जतायी जा रही है. यहां बता दें कि मुखिया व पंचायत सेवकों ने जन सरोकार को भूलकर अपनी जेब भरने के लिए ढाई गुनी दर पर सोलर लाइट व पानी टैंकर की खरीद की है.
सोलर जलमीनार लगाने में भी गड़बड़ी हुई है. हालांकि इस घोटाला का मामला उजागर होने के बाद पूर्व डीडीसी नागेंद्र कुमार सिन्हा ने जिले की सभी 159 पंचायतों के मुखिया व पंचायत सेवकों से स्पष्टीकरण मांगा था, परंतु उनकी बदली होने के बाद मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया. इसके बाद एक डीडीसी आये और चले गये, परंतु जांच नहीं हुई. अभी डीडीसी संजय बिहारी अंबष्ठ हैं. उन्होंने जिले के सभी 12 प्रखंड के बीडीओ को पत्र लिखकर जांच करने का निर्देश दिया था, परंतु किसी भी बीडीओ ने जांच में रूचि नहीं दिखायी.
14वें वित्त आयोग की राशि में घोटाला का मामला सामान्य प्रशासन जांच समिति के सदस्यों द्वारा पूर्व में की गयी थी. सामान्य समिति की जांच के बाद एक अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश निकाला था. इसके लिए दो जांच टीम बनी थी. गुमला जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में इसकी जांच करायी गयी थी. जांच में पाया गया था कि अपनी कमाई के लिए मुखिया व पंचायत सेवकों ने सोलर लाइट व पानी टैंकर की खरीद की है. इसमें बाजार मूल्य से ढाई गुना खर्च दिखाया गया है. सभी 159 पंचायतों में जांच हुई है, परंतु बाद में जांच को ही दबा दिया गया. जब नये डीडीसी संजय बिहारी अंबष्ठ गुमला आये तो उन्होंने पुन: जांच का आदेश दिया.
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जिस सोलर पैनल की खरीद हुई थी. उसका बाजार मूल्य प्रति पीस 12 हजार रुपये था, लेकिन सरकारी राशि को हड़पने के चक्कर में मुखिया व पंचायत सेवकों ने उक्त सोलर पैनल को 31,500 रुपये में खरीद कर फर्जी बिल वाउचर प्रस्तुत किया था. वहीं, पानी टैंकर की कीमत 65,000 रुपये थी, परंतु इसे 1,49,000 रुपये में खरीद दिखाया गया था. पंचायत के सभी मुखिया ने उपस्कर की खरीदारी एचए इंटरप्राइज टीवी टावर रोड डालटेनगंज पलामू से किया था. उसी कंपनी का बिल वाउचर भी प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जबकि खरीदा गया उपस्कर गुमला व रांची में सस्ती दर पर उपलब्ध है, लेकिन इन जगहों को छोड़ पलामू से खरीदारी की गयी है. जिससे सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा सके.
पंचायती राज विभाग के अनुसार 14वें वित्त आयोग की राशि से पंचायतों में विकास का काम करना था. जैसे जलापूर्ति की व्यवस्था, स्वच्छता, नाली निर्माण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सामुदायिक संसाधनों का रख रखाव, तालाब निर्माण, बाजार की व्यवस्था, आंगनबाड़ी केंद्र की मरम्मत व निर्माण, सड़क व फुटपाथ का रख रखाव, सार्वजनिक मार्ग व अन्य स्थानों में बिजली की व्यवस्था व रख रखाव, कब्रगाह व श्मशान घाट के रख रखाव में राशि खर्च करनी थी, लेकिन मुखिया ने दोगुने दाम पर सोलर लाइट व पानी टैंकर खरीदकर राशि का बंदरबांट कर लिया था.
गुमला के डीडीसी संजय बिहारी अंबष्ठ ने कहा कि 14वें वित्त में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए सभी बीडीओ को कहा गया था, परंतु अभी तक सिर्फ एक बीडीओ की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है. अन्य बीडीओ ने जांच रिपोर्ट नहीं दी है.
Posted By : Guru Swarup Mishra