गुमला शहर से 10 किमी दूर टोटो में मुफ्फसिल थाना बनेगा. इसके लिए पुलिस विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जायेगा. जैसे ही सरकार से स्वीकृति मिलेगी, टोटो में मुफ्फसिल थाना शुरू कर दिया जायेगा. मुफ्फसिल थाना टोटो के अंतर्गत टोटो, खरका, कोटाम, कतरी, पनसो, बसुवा, फोरी, आंजन पंचायत को शामिल किया जायेगा.
ये सभी पंचायत उग्रवाद व आपराधिक घटनाओं से प्रभावित हैं. वहीं टोटो, बसुवा व फोरी पंचायत में अक्सर सांप्रदायिक दंगा फैलने का डर बना रहता है. इसलिए गुमला पुलिस विभाग ने टोटो में मुफ्फसिल थाना की स्थापना की योजना बनायी है. गुमला एसपी हृदीप पी जनार्दनन ने अनुसार, इस पर प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. मुफ्फसिल थाना टोटो के अंतर्गत पड़ने वाले क्षेत्रों की भौगोलिक बनावट को देखा जा रहा है. उसी के अनुसार टोटो में थाना की स्थापना की जायेगी. थाना की स्थापना से इस क्षेत्र में अपराध व उग्रवाद पर नियंत्रण होगा.
पुलिस विभाग के अनुसार, जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां अभी भी विकास नहीं हुआ है. मोबाइल नेटवर्क, सड़क, पुल, पुलिया नहीं है, जिस कारण पुलिस विभाग को अक्सर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में दिक्कत होती है. वहीं नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस के लिए खुफिया तंत्र के रूप में काम करने वाले लोग मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण कोई भी सूचना समय पर पुलिस तक नहीं दे पाते हैं.
एसपी हृदीप पी जनार्दनन ने कहा कि चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़ व घाघरा प्रखंड के तुसगांव इलाके में मोबाइल टावर लग जाये, तो इस क्षेत्र में पुलिस को फायदा होगा. गांव के लोगों को भी सहूलियत होगी. मोबाइल नेटवर्क कमजोर होने के कारण कई बार नक्सलियों की सटीक सूचना समय पर नहीं मिल पाती है. एसपी ने कहा कि पुलिस की विशेष नजर कुरूमगढ़ व तुसगांव के इलाके पर है. प्रशासन अपने स्तर से इस क्षेत्र के लिए योजना बना रही है, परंतु पुलिस विभाग भी इस क्षेत्र से नक्सलियों को खदेड़ कर विकास के काम में तेजी लाने का काम कर रही है. मोबाइल नेटवर्क की दुनिया से दूर गांव
गुमला जिला में वर्तमान में 107 बीएसएनएल का टावर हैं, जिसमें 3जी के 20 टावर, 2जी के 34 टावर व 2जी एलडब्लूइ के 53 टावर हैं. इसके अलावा जियो, एयरटेल, बोडाफोन सहित अन्य कंपनियों के टावर हैं. लेकिन इन सभी कंपनियाें ने प्रखंड मुख्यालय व शहर के लोगों को रिझाने के लिए टावर लगाये, गांवों को मोबाइल नेटवर्क की दुनिया से दूर रखा है. जिस कारण कई ऐसे गांव हैं, जहां अभी भी मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है.
गुमला के नक्सल प्रभावित गांवों के विकास पर पुलिस विभाग की नजर है. कई सड़कों पर काम हो रहा है. ये सड़क बनेगी, तो लाभ मिलेगा. अभी भी कई गांवों में सड़क की जरूरत है. मोबाइल नेटवर्क के लिए कई मोबाइल कंपनियों से बात की गयी है.
हृदीप पी जनार्दनन, एसपी, गुमला
खास कर जारी, डुमरी, चैनपुर, घाघरा व बिशुनपुर प्रखंड में बीएसनएल के टावर नहीं रहने से पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने में दिक्कत होती है. अगर मोबाइल टावर लग जाये, तो पुलिस को अभियान चलाने में आसानी होगी. वहीं गांव में नेटवर्क नहीं रहने से प्रखंड मुख्यालय व जिला से संपर्क टूट जाता है. टावर के लगने से इनमें से कई इलाके के लोग एक-दूसरे से फोन के माध्यम से संपर्क में बने रहेंगे.
थ्री-जी टावर की क्षमता 500 मीटर से एक किमी तक रहती है. इसकी क्षमता रेडिएशन इफेक्ट के कारण कम कर दी जाती है. टू-जी टावर की क्षमता एक किमी तक की रहती है. जबकि टू-जी एलडब्ल्यूइ टावर प्राय: ग्रामीण इलाकों व उग्रवाद इलाकों में लगाया जाता है. इसकी क्षमता पांच किमी से आठ किमी तक रहती है. गुमला थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में टू-जी एलडब्ल्यूइ के तीन टावर लगाये गये हैं, परंतु नक्सल प्रभावित इलाकों में अभी तक टावर नहीं लगा है, जिस कारण पुलिस के साथ आम जनता को परेशानी होती है.
ब्लॉक 3जी 2जी 2जी एलडब्ल्यूइ
गुमला 13 12 03
बसिया 01 03 03
चैनपुर 02 02 06
घाघरा 01 03 06
पालकोट 00 03 07
भरनो 01 01 02
बिशुनपुर 00 01 02
डुमरी 01 01 10
कामडारा 00 02 04
रायडीह 00 03 07
सिसई 01 02 03
जारी 00 01 00
कुल 20 34 53
थ्री-जी टावर की क्षमता 500 मीटर से एक किमी तक रहती है. इसकी क्षमता रेडिएशन इफेक्ट के कारण कम कर दी जाती है. टू-जी टावर की क्षमता एक किमी तक की रहती है. जबकि टू-जी एलडब्ल्यूइ टावर प्राय: ग्रामीण इलाकों व उग्रवाद इलाकों में लगाया जाता है. इसकी क्षमता पांच किमी से आठ किमी तक रहती है. गुमला थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में टू-जी एलडब्ल्यूइ के तीन टावर लगाये गये हैं, परंतु नक्सल प्रभावित इलाकों में अभी तक टावर नहीं लगा है, जिस कारण पुलिस के साथ आम जनता को परेशानी होती है.
Posted By : Sameer Oraon