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गुमला के 11 गांवों में बिजली व सड़क नहीं है, पीएम आवास योजना का भी नहीं मिल रहा फायदा

गुमला से 90 किमी की दूरी पर कुटवां मौजा है. इस मौजा में 11 गांव है. यह चैनपुर प्रखंड के पीपी बामदा में आता है. गांव की भौगोलिक बनावट जंगल व पहाड़ है.

गुमला : गुमला से 90 किमी की दूरी पर कुटवां मौजा है. इस मौजा में 11 गांव है. यह चैनपुर प्रखंड के पीपी बामदा में आता है. गांव की भौगोलिक बनावट जंगल व पहाड़ है. कुटवां मौजा में 200 से अधिक घर है. परंतु सरकारी योजना का लाभ इस गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है. किसी भी परिवार का प्रधानमंत्री आवास से पक्का घर नहीं बना है. गांव में बिजली नहीं है.

लोग अंधेरे में रहते हैं. ग्रामीण मोबाइल चार्ज कराने कुरूमगढ़, टोटो, आंजन या फिर गुमला आते हैं. बिजली नहीं रहने के कारण रात को बच्चें पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. गांव में चलने लायक सड़क भी नहीं है. गांव में 40 फीट मात्र पेबर ब्लॉक बनी है. बाकी सभी सड़कें कच्ची है और कई जगह नाला है. जहां पुलिया नहीं है. गांव में शौचालय भी आधा अधूरा बना है. कई घर में तो शौचालय भी नहीं है.

लोग खुले में शौच करते हैं. महिलाएं व युवतियां भी मजबूरी में खुले में शौच करने जाती हैं. जंगल-पहाड़ के बीच गांव होने के कारण यह पूरा इलाका नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता है. इसलिए पंचायत व प्रखंड के अधिकारी के अलावा पंचायत के प्रतिनिधि भी गांव नहीं जाते. ग्रामीणों ने कहा कि हम विकास को छटपटा रहे हैं. कोई तो विकास का रहनुमा आयेगा, जो हमारे गांव की तकदीर व तस्वीर बदलेगा.

11 गांव, इनकी कब बदलेगी तस्वीर?

कुटवां मौजा में कुटवां, अंबाटोली, महुआटोली, देवीटोंगरी, कुसुमटोली, बरईकोना, हेंठटोला, ऊपरटोला, बरटोंगरी, असुर टोला व बरटोली गांव है. इन 11 गांवों की तकदीर व तस्वीर कब बदलेगी? यह सवाल गांव के लोग कर रहे हैं. हालांकि ग्रामीणों ने गांव में बिजली पहुंचाने की मांग की है. जिससे शाम को लोग बिजली की रोशन में रह सके. कुटवां मौजा में मुंडा जाति के लोग अधिक है. इसके बाद असुर जनजाति के लोग भी रहते हैं 10 घर अहीर व दो परिवार लोहरा जाति के हैं. सरकार ने मुंडा व असुर जनजाति के विकास के लिए कई योजना चला रही है. परंतु उसका लाभ गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है.

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