Jharkhand News: कहने को गुमला खेल नगरी है. हॉकी खेल गुमला की पहचान मानी जाती है. लेकिन, हाल के दिनों में फुटबॉल एवं एथलीट में गुमला का नाम रोशन हुआ है. गुमला की कई बालिका खिलाड़ी फुटबॉल एवं एथलीट में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है. लेकिन, गुमला के लिए दुर्भाग्य की बात है. एकमात्र परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम का ग्राउंड किसी भी खेल के लिए सही नहीं है. राजनीति एवं सामाजिक संगठनों के कार्यक्रम होने से ग्राउंड खराब हो गया है. ग्राउंड में लोहे के कील सहित पत्थर का चूर्ण भरा पड़ा है. जिससे खिलाड़ी अभ्यास के दौरान घायल होते रहते हैं. ग्राउंड में दौड़ने के लिए ना ट्रैक है. ना फुटबॉल खेलने लायक ग्राउंड है. खिलाड़ी सवाल कर रहे हैं कि कैसे करें खेल का अभ्यास.
खिलाड़ियों ने की मांग
परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में हर तरह के खेल, अभ्यास, मॉर्निग वॉक के अलावा राजनीति एवं सामाजिक संगठनों का कार्यक्रम होता है. खिलाड़ियों की मांग है कि खेल ग्राउंड को खेल ग्राउंड की रहने दिया जाए. राजनीति और सामाजिक संगठनों के कार्यक्रम पर रोक लगे. मॉर्निग वॉक करने वाले लोग सुबह को स्टेडियम के अंदर बाइक घुसा देते हैं. ग्राउंड में बाइक भी चलाते हैं. जिससे खिलाड़ियों को परेशानी होती है. खिलाड़ियों ने ग्राउंड के अंदर बाइक व अन्य वाहन को घुसाने पर रोक लगाने की मांग किया है. जिला स्तर पर वर्षों से प्रतियोगिता नहीं हुई है. जिससे खिलाड़ियों की प्रतिभा कुंठित हो रही है.
हर साल लाखों खर्च, फिर भी खेल लायक ग्राउंड नहीं
परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में हर साल लाखों रुपये खर्च होता है. गुमला में जो उपायुक्त आते हैं. अपना दिमाग लगाते हैं. बनी हुई चीजों को तोड़-फोड़ करते हैं. इसके बाद भी खिलाड़ियों को खेल के लिए बेहतर ग्राउंड नहीं मिल पा रहा है. हर दो-तीन साल में मरम्मत, दीवार तोड़ो और जोड़ो, जाली लगाने, लगे हुए गेट को तोड़कर हटाने फिर नया लगाने में 30 से 50 लाख रुपये तक ग्राउंड में खर्च होता है. इसके बाद भी ग्राउंड का न तो ट्रैक ठीक है और न ग्राउंड ठीक है. अभी बरसात में ट्रैक में पानी जमा हो गया है. इस कारण खिलाड़ी सुबह शाम अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं.
Also Read: ग्रामीण विकास सचिव एनएन सिन्हा पहुंचे लोहरदगा, बोले- विकास योजनाओं से वंचित नहीं रहे कोई योग्य लाभुकगोलपोस्ट धक्का मारने से गिर जाता है
ग्राउंड में फुटबॉल खेलने के लिए गोलपोस्ट लगा है. लेकिन, कई बार धक्का मारने से यह गिर जाती है. गोलपोस्ट में जाली तक नहीं लगा है. जब भी किसी बड़े राजनीति पार्टी या प्रशासन का कार्यक्रम होता है. गोलपोस्ट को उखाड़ कर हटा दिया जाता है. इसके बाद सप्ताह बाद गोलपोस्ट को जैसे तैसे लगाया जाता है.
खिलाड़ियों की सुनिए समस्या
सरकार और जिला प्रशासन से अपील
खिलाड़ी हर्षित बाड़ा ने कहा कि जिला स्तर पर प्रतियोगिता नहीं होने से खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल रहा है. गुमला के कुछ खिलाड़ी रांची में रहकर बेहतर कर रहे हैं. लेकिन, जो गुमला में हैं. उन्हें अवसर नहीं मिल रहा है. खिलाड़ी राजकिशोर महतो ने कहा कि गुमला का एकमात्र परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम है. सरकार और प्रशासन से अनुरोध है कि स्टेडियम के ग्राउंड को खराब होने से बचाये. यहां सुबह-शाम खिलाड़ी अभ्यास करते हैं, ताकि वे खेल में आगे बढ़ सके.
कई साल से जिला स्तर पर नहीं हुई प्रतियोगिता
खिलाड़ी प्रकाश बारला ने कहा कि स्टेडियम में बेवजह होने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगे. एक समय था कि गुमला में हर साल फुटबॉल से लेकर कई प्रकार की प्रतियोगिता होती थी. लेकिन, कई वर्षों से जिला स्तर पर प्रतियोगिता नहीं हो रही है. वहीं, खिलाड़ी प्रवीण तिर्की ने कहा कि खेल को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर से कोई प्रयास व पहल नहीं हो रहा है. खिलाड़ी अपने बूते आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं. कोई खिलाड़ी अपने बूते बेहतर करता है तो नाम कमाने के लिए अधिकारी आगे आ जाते हैं.
खेल ग्राउंड नहीं होने से प्रैक्टिस में होती है परेशानी
खिलाड़ी बुद्धदेव उरांव ने कहा कि गुमला के परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम में कुछ लोग बाइक घुसा देते हैं. इससे सुबह के शाम अभ्यास करने में परेशानी होती है. मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों से अनुरोध है कि बाइक को स्टेडियम के अंदर ने ले जाये. खिलाड़ी सूरज बाखला ने कहा कि खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन को काम करना चाहिए. क्योंकि गुमला जिला खेल नगरी है. पूर्व के कई खिलाड़ियों ने गुमला को एक पहचान दी है, लेकिन अब खेल ग्राउंड ठीक नहीं रहने के कारण अभ्यास करने में परेशानी हो रही है.
गुमला में खेल मानक के अनुरूप ट्रैक और ग्राउंड की कमी
खिलाड़ी आसिफ अली ने कहा कि गुमला के कई नेशनल खिलाड़ी अब खस्सी टूर्नामेंट खेल रहे हैं. क्योंकि जिला स्तर पर कोई ऐसी प्रतियोगिता है जो बंद हो गयी. कार्तिक उरांव से लेकर जिला स्तर पर कोई भी प्रतियोगिता प्रशासन आयोजित नहीं करा पा रहा है. वहीं, खेल संयोजक कृष्णा उरांव ने कहा कि गुमला को खेल के क्षेत्र में पहचान देने के लिए जरूरी है कि एक प्लानिंग के तहत काम हो. खेल संसाधन व ग्राउंड की व्यवस्था जरूरी है. तभी खिलाड़ी बेहतर कर पायेंगे. गुमला में खेल मानक के अनुरूप ट्रैक व ग्राउंड की कमी है.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.