गुमला, दुर्जय पासवान : झारखंड के गुमला व छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की पुलिस नक्सलियों के खिलाफ मिलकर अभियन चलायेगी. इसके लिए जल्द रणनीति तय कर दोनों जिले की पुलिस सीमावर्ती जंगलों में नक्सलियों के ठिकानों में घुसेगी. यह निर्णय दोनों जिला की पुलिस की बैठक में ली गयी.
पुलिस अधिकारियों संग बैठक
छतीसगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज की अध्यक्षता में कलेक्टर कार्यालय जशपुर के सभागार में छतीसगढ़ के सीमा में लगे जिलों के दंडाधिकारी, पुलिस अधिकारियों के साथ संयुक्त बार्डर बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सभी तरह के अंतरराज्यीय चोर, अपराधी गिरोह पर निगरानी रखने, सीमा पर नक्सल अभियान तेज करने व चेकानाका लगाकर गहनता से जांच करते हुए उचित कार्रवाई किये जाने के संबंध में विस्तृत चर्चा की गयी. साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया.
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अपराध की रोकथाम के लिए दोनों जिलों की पुलिस संयुक्त रूप से करेगी कार्य
इस संबंध में गुमला एसपी डॉ एहतेशाम वकारीब ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का जशपुर जिला गुमला जिला से सटता है. दो राज्यों की सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण अक्सर देखा जाता है कि अपराधी गुमला में अपराध करने के बाद जशपुर में जाकर छिप जाते हैं या फिर जशपुर के अपराधी गुमला में घुस आते हैं. इसलिए दोनों जिले की पुलिस आपसी तालमेल के साथ अपराध को कम करने व अपराधियों को पकड़ने के लिए मिलकर काम करेगी.
छत्तीसगढ़ से पशु तस्करी चरम पर
दोनों जिलों के लिए पशु तस्करी बहुत बड़ा मुद्दा और चुनौती है क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य से भारी मात्रा में पशुओं को अवैध तरीके से गुमला के रास्ते प्रवेश कराया जाता है. इसके बाद लोहरदगा सहित रांची, खूंटी व बंगाल तक ले जाया जाता है. हालांकि, गुमला पुलिस लगातार पशु तस्करी के खिलाफ अभियान चलाते रही है और पशु तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते रही है. लेकिन, पशु तस्करी को जड़ से खत्म करने के लिए गुमला के अलावा जशपुर पुलिस को भी इसमें सजग होकर कार्रवाई करनी होगी. तभी पशु तस्करी को खत्म किया जा सकता है.
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नक्सल पर अंकुश लगा है
गुमला और जशपुर जिला की पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त रूप से अभियान चलाते रही है. जिसका परिणाम है कि बॉर्डर इलाके में नक्सली गतिविधि कम हुई है. एक समय था जब इस क्षेत्र में भाकपा माओवादी के साथ पीएलएफआई हावी था. लेकिन, पुलिसिया कार्रवाई के बाद इस क्षेत्र से पीएलएफआई खत्म हो गया है. जबकि अभी भी भाकपा माओवादी के कुछ गिने-चुने नक्सली हैं. जिसे जड़ से खत्म करने के लिए पुनः दोनों जिलों की पुलिस मिलकर अभियान चलाने की रणनीति तय की है.